आईआईटी बीएचयू गैंगरेप (2023) के खिलाफ आंदोलन करने वाले छात्र-छात्राओं के निलंबन का विरोध
वाराणसी। बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय प्रशासन ने दिनांक 26 सितम्बर को विश्वविद्यालय के तेरह स्टूडेंट्स को 1 महीने से लेकर 15 दिनों के लिए निलंबित किया है। निलंबन के साथ उन्हें हॉस्टल और लाइब्रेरी की सुविधा से लेकर सभी सुविधाओं से वंचित कर दिया गया है। साथ ही इन स्टूडेंट्स को ‘हैबिचुअल ऑफेंडर’, यूनिवर्सिटी प्रशासन के प्रति निम्न स्तर का सम्मान रखने वाले, विश्वविद्यालय की प्रतिष्ठा को धूमिल करने वाले कहा गया है।
ज्ञात हो कि 1 नवंबर 2023 को आईआईटी बीएचयू की एक छात्रा के साथ बीजेपी आईटी सेल के 3 पदाधिकारियों ने गैंगरेप किया। इसके खिलाफ अपराधियों पर कार्रवाई की मांग करते हुए छात्र छात्राओं ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया।
शर्मसार कर देने वाले घटना के बाद भी विश्वविद्यालय और जिला प्रशासन के रूखे और अनसुने रवैया को देखते हुए कई संगठनों और तमाम अन्य छात्र छात्राओं ने 3 नवंबर को बीएचयू गेट पर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। चूंकि इसमें आरोपी बीजेपी आईटी से जुड़े हुए लोग थे इसलिए बीजेपी सरकार के इशारे व सह पर बीएचयू प्रशासन, जिला प्रशासन और एबीवीपी इस विरोध प्रदर्शन के खिलाफ शुरू से ही अड़चन पैदा करना शुरू कर दिए थे।
बीएचयू प्रशासन ने प्रदर्शन में शामिल होने वाले छात्र छात्राओं को डरा धमकाकर पीछे खींचना शुरू कर दिए। इसको समझते हुए प्रदर्शनकारी छात्रों को मारपीट की आशंका लगने लगी। इसलिए 4 नवंबर को प्रर्दशनकारी छात्रों ने बीएचयू प्रशासन को अपनी सुरक्षा के लिए ज्ञापन दिया।
प्रशासन का नियंत्रण सत्ता के हाथ में था और अगले ही दिन एबीवीपी के लंपट कार्यकर्ताओं ने पुलिस प्रशासन के सामने हमला कर दिया। इसमें प्रदर्शन कर रहे छात्र छात्राओं को गंभीर चोटें आई और लंपटों द्वारा लड़कियों के कपड़े भी फाड़े दिए गए।
इस विरोध प्रदर्शन के दबाव में ही आकर तीनों बीजेपी आईटी सेल के बलात्कारियों को गिरफ्तार किया गया लेकिन 8 महीने बाद ही तीन में से दो को ज़मानत दे दी गई। अब लगभग 11 महीने बाद बीएचयू प्रशासन ने बदला लेने की कार्यवाही करते हुए 13 छात्र-छात्राओं को विश्वविद्यालय की सभी सुविधाओं से निलंबित कर दिया।
हम नागरिक समाज वाराणसी के लोग इस सत्ता के रवैए को लेकर बेहद चिंतित हैं। देशभर में ऐसे बलात्कारियों व अपराधियों को खुलकर बचाने का काम बीजेपी की सरकार कर रही है। बृजभूषण सिंह, कुलदीप सिंह सेंगर, प्रज्वल रेवन्ना, राम रहीम, आशाराम जैसे तमाम लोग हैं जिनको सरकार सभी संभव तरीके से संरक्षित कर रही है।
हम यह मानते हैं कि न्याय के लिए लड़ रहे छात्र छात्राओं को निलंबित करने की कार्रवाई सिर्फ कोई बीएचयू प्रशासन की कार्यवाई नही है बल्कि यह सरकार द्वारा की गई कार्रवाई है। जिस कमिटी ने छात्र छात्राओं को निलंबित किया है उस कमिटी के सदस्य में एबीवीपी के सदस्य भी शामिल थे। इस तरह हम देख रहे हैं कि देश के हर संस्थानों को सरकार अपने कब्जे में रखकर मनमाने तरीके से चला रही है।
नागरिक समाज वाराणसी, इस पक्षपाती कार्यवाई का विरोध करता है और वाराणसी के नागरिकों से अपील करता है कि बलात्कार जैसे घिन्नौनी घटना के आरोपियों के बचाने के विरोध में खड़े हों।
‘न्याय तक’ सामाजिक न्याय का पक्षधर मीडिया पोर्टल है। हमारी पत्रकारिता का सरोकार मुख्यधारा से वंचित समाज (दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक) तथा महिला उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाना है।