मुस्लिम और दलित समझें कि मोदी क्षेत्रीय दलों को क्यों मजबूत बने रहने की नसीहत दे रहे हैं- शाहनवाज़ आलम

पूजा स्थल अधिनियम, वक़्फ़ बिल और यूनिफॉर्म सिविल कोड जैसे मुद्दों पर जो स्पष्ट स्टैंड नहीं रखेगा उसका हश्र भी आप जैसा होगा
लखनऊ। कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने कहा है कि दिल्ली चुनाव में भाजपा की जीत के बाद प्रधानमंत्री मोदी द्वारा दिए गए भाषण को उत्तर प्रदेश के दलितों और मुसलमानों को गौर से सुनना चाहिए। इस भाषण में मोदी ने इन दोनों के क्षेत्रीय पार्टियों में बंटे होने को ही भाजपा की जीत की वजह होना स्वीकार किया है।
गौरतलब है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में कहा था कि कांग्रेस उत्तर प्रदेश में सपा के वोट बैंक समझे जाने वाले मुसलमानों और बसपा के वोट बैंक समझे जाने वाले दलितों को अपने पाले में करना चाहती है। जिससे सपा और बसपा को सावधान रहना चाहिए।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मोदी ने सपा और बसपा को यह नसीहत इसलिए दी कि उन्हें पता है कि इन दोनों वोट बैंकों के सपा और बसपा में बंटे रहने तक ही भाजपा का अस्तित्व बचा हुआ है। जैसे ही 21 प्रतिशत आबादी वाले दलित और 20 प्रतिशत आबादी वाले मुस्लिम कांग्रेस के साथ आ जाएंगे वैसे ही भाजपा 1989 के पहले वाली हैसियत में पहुँच जाएगी जब लोकसभा में उसके सिर्फ़ दो सांसद हुआ करते थे। उन्होंने कहा कि सिर्फ़ दलितों और मुसलमानों का ही एक मुश्त वोट 41 प्रतिशत है जबकि भाजपा को 2022 में 41 प्रतिशत वोट मिला था। इन दोनों वोट बैंकों के दुबारा कांग्रेस की तरफ आने से ही मोदी जी डरकर क्षेत्रीय दलों को मजबूत बने रहने की नसीहत दे रहे हैं।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि मोदी का अपने भाषण में मुलायम सिंह यादव की तारीफ़ करना भी साबित करता है कि दिवंगत सपा संस्थापक भाजपा के लिए क्यों महत्वपूर्ण थे और क्यों उन्हें मरणोपरांत पद्म विभूषण दिया गया होगा। जबकि इसी सरकार ने उनके ही एक सहयोगी मुस्लिम नेता को मुर्गी चोरी के आरोप में सपरिवार जेल में रखा है।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि पूरा उत्तर प्रदेश जानता है कि नोएडा प्राधिकरण घोटाले में भूमिका होने के बावजूद एक विपक्षी नेता को इस शर्त पर जेल नहीं भेजा गया कि वो भाजपा के इशारे पर कांग्रेस पर अनर्गल टीका टिप्पणी करते रहें। जिसका उदाहरण पिछले दिनों राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी के संभल के मुस्लिम पीड़ितों से मिलने जाने पर भी दिखा था।
उन्होंने कहा कि इंडिया गठबंधन में शामिल क्षेत्रीय दलों को पूजा स्थल अधिनियम, यूनिफॉर्म सिविल कोड और वक़्फ़ संशोधन बिल पर अपनी स्थिति स्पष्ट करनी होगी नहीं तो उनका हश्र भी केजरीवाल जैसा होना तय है क्योंकि आम आदमी पार्टी भी इन मुद्दों पर अपना कोई स्टैंड नहीं रखती थी।

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