समाज के दबे-कुचले व्यक्ति को सत्ता के शिखर पर देखना चाहते थे जय प्रकाश- सुजीत यादव

समाज के दबे-कुचले व्यक्ति को सत्ता के शिखर पर देखना चाहते थे जय प्रकाश- सुजीत यादव

वाराणसी। आज समाजवादी पार्टी कार्यालय अर्दली बाजार में लोकनायक जयप्रकाश नारायण जी की जयंती मनाई गयी। इस अवसर पर एक विचार गोष्ठी का आयोजन किया गया। विचार गोष्ठी में स्वतंत्रता आंदोलन एवं समाजवादी आंदोलन में इनके योगदान की चर्चा की गई।

विचार गोष्ठी को संबोधित करते हुए जिलाध्यक्ष सुजीत यादव लक्कड़ ने कहा कि जयप्रकाश नारायण जी ने संपूर्ण क्रांति का नारा दिया था। “सम्पूर्ण क्रांति” से उनका तात्पर्य समाज के सबसे अधिक दबे-कुचले व्यक्ति को सत्ता के शिखर पर देखना है। सम्पूर्ण क्रांति में सात क्रांतियाँ शामिल हैं: राजनैतिक, आर्थिक, सामाजिक, सांस्कृतिक, बौद्धिक, शैक्षणिक व आध्यात्मिक क्रांति। इन सातों क्रांतियों को मिलाकर सम्पूर्ण क्रान्ति होती है।

जिला प्रवक्ता संतोष यादव बबलू एडवोकेट ने कहा कि जयप्रकाश नारायण जी कहा करते थे कि भ्रष्टाचार मिटाना, बेरोजगारी दूर करना, शिक्षा में क्रान्ति लाना आदि ऐसी चीजें हैं जो आज की व्यवस्था से पूरी नहीं हो सकतीं। क्योंकि वे इस व्यवस्था की ही उपज हैं। वे तभी पूरी हो सकती हैं जब सम्पूर्ण व्यवस्था बदल दी जाए और सम्पूर्ण व्यवस्था के परिवर्तन के लिए क्रान्ति की आवश्यकता है।

कार्यक्रम की अध्यक्षता जिलाध्यक्ष सुजीत यादव लक्कड़ व संचालन जिला प्रवक्ता संतोष यादव बबलू एडवोकेट ने किया। विचार गोष्ठी में मुख्य रूप से पूर्व महानगर अध्यक्ष विष्णु शर्मा, पूर्व जिला पंचायत सदस्य अखिलेश यादव, राहुल सोनकर, आयुष यादव, शम्भू यादव, राजेन्द्र प्रसाद, शिव प्रसाद गौतम, अब्दुल कलाम कुरैशी, संजय पहलवान, समन यादव, रामकुमार यादव, सचिन प्रजापति, शुभम यादव, शरद सोनकर, आशुतोष यादव, अमित सिंह, नमन राय, राहुल कुमार, राजू यादव व विनोद शुक्ला ने विचार व्यक्त किये।

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