विधानसभा चुनाव : महाराष्ट्र में एनडीए तो झारखंड में फिर झामुमो की सरकार
महाराष्ट्र और झारखंड विधानसभा चुनावों की मतगणना और नतीजों पर सभी की निगाहें टिकी है। दोनों राज्यों में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए और विपक्षी दल इंडिया ब्लॉक के बीच कड़ी टक्कर है। 288 सीटों वाले महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में मुख्य मुकाबला मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन – भाजपा, शिवसेना और एनसीपी (अजीत पवार गुट) और विपक्षी महा विकास अघाड़ी (एमवीए) – कांग्रेस, शिवसेना (यूबीटी) और एनसीपी (शरद पवार गुट) के बीच है।
इंतज़ार खत्म हो गया है और वोटों की गिनती ने राजनीतिक पर्यवेक्षकों को चौंका दिया है। भाजपा के नेतृत्व वाली महायुति ने चुनावों में निर्णायक जनादेश हासिल किया है, जबकि विपक्षी महायुति 50 सीटें जीतने के लिए भी संघर्ष कर रही है। महायुति 226 सीटों पर आगे चल रही है, जबकि महा विकास अघाड़ी 49 सीटों पर आगे चल रही है। महायुति 26 नवंबर को अपना शपथ ग्रहण समारोह आयोजित कर सकती है, क्योंकि देवेंद्र फड़नवीस सीएम पद की दौड़ में सबसे आगे हैं। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह पहले से ही एक्शन में हैं और उन्होंने गठबंधन के तीनों बड़े नेताओं- फड़नवीस, एकनाथ शिंदे और अजीत पवार को बुलाया है। 288 विधानसभा सीटों पर 20 नवंबर को एक ही चरण में मतदान हुआ और मतगणना जारी है। राज्य में लगभग 66% मतदान दर्ज किया गया है, जो 1995 के बाद से सबसे अधिक है।
अधिकांश एग्जिट पोल ने महायुति गठबंधन – जो सत्ता बरकरार रखने का लक्ष्य लेकर चल रहा है, को एमवीए के खिलाफ जीत की भविष्यवाणी की है। शिवसेना और एनसीपी के एकनाथ शिंदे और अजीत पवार के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी गुटों में विभाजित होने के बाद यह पहला विधानसभा चुनाव है। वहीं दूसरी तरफ झारखंड विधानसभा चुनाव की 81 सीटों में सत्तारूढ़ जेएमएम के नेतृत्व वाली पार्टी (झामुमो) राज्य में एक बार फिर से सत्ता में आती हुई दिख रही। झारखंड विधानसभा चुनाव में जेएमएम के नेतृत्व वाले गठबंधन की जीत के साथ हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन पार्टी कार्यकर्ताओं के साथ जश्न मनाती नजर आईं।
केरल की वायनाड और महाराष्ट्र की नांदेड़ लोकसभा सीटों पर भी चुनाव हुए। उधर कांग्रेस की प्रियंका गांधी वाड्रा पहली बार चुनावी मैदान में हैं, जो वायनाड से चुनाव लड़ रही हैं। वायनाड से पहले उनके भाई राहुल गांधी चुनाव लड़ रहे थे। वायनाड और रायबरेली दोनों सीटों पर राहुल गांधी के जीतने और रायबरेली को बरकरार रखने के बाद वायनाड में चुनाव जरूरी हो गया था।
राहुल गांधी अपनी बहन प्रियंका गांधी के लिए सक्रिय रूप से प्रचार कर रहे हैं। एक चुनावी रैली में उन्होंने कहा, अगर वह आपको पसंद करती हैं, तो वह कुछ भी करेंगी; आप जो सोच भी नहीं सकते, उससे परे। उन्हें वायनाड भी बहुत पसंद आएगा। देखिए, एक अच्छा सांसद होने का एक बड़ा हिस्सा यह है कि आपको वह लोग और जगह पसंद है, जिसके लिए आप काम करते हैं। उन्हें यह पसंद आएगा।
प्रियंका गांधी ने 2024 के चुनावों में राहुल गांधी के 3.65 लाख वोटों के रिकॉर्ड को तोड़ते हुए 4 लाख से ज़्यादा वोटों के अंतर से जीत हासिल की है। यह वोटिंग में गिरावट के बावजूद है।
वायनाड उपचुनाव में वोटिंग प्रतिशत लगभग 65 प्रतिशत रहा, जो इस साल अप्रैल में हुए लोकसभा चुनावों में लगभग 74 प्रतिशत से कम है और 2019 के आम चुनावों में पहाड़ी निर्वाचन क्षेत्र में 80 प्रतिशत से ज़्यादा मतदान से भी काफ़ी कम है।
भाजपा-शिवसेना-एनसीपी सत्तारूढ़ महायुति गठबंधन बनाते हैं, जबकि कांग्रेस-एनसीपीएसपी-सेना यूबीटी विपक्षी महा विकास अघाड़ी का हिस्सा हैं। विधानसभा 2019 के चुनावों में भाजपा ने 105, शिवसेना ने 56, एनसीपी ने 54 और कांग्रेस ने 44 सीटें जीती थीं। 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 122, शिवसेना ने 63, कांग्रेस ने 42 और एनसीपी ने 41 सीटें जीती थीं। क्षेत्रीय क्षत्रपों के लिए इसे निर्णायक चुनाव कहा जा रहा है, जिसमें शिवसेना और एनसीपी के दोनों गुटों का भाग्य अधर में लटका हुआ है। शरद पवार, उनके धुर विरोधी अजित पवार, उद्धव ठाकरे, उनके प्रतिद्वंद्वी एकनाथ शिंदे और राज्य के अन्य नेता उस अग्निपरीक्षा के परिणाम को देखने के लिए तैयार हैं, जिससे वे गुजरे हैं।
दूसरी तरफ उपचुनावों के लिए वोटों की गिनती शुरू हो गई है। पिछले कुछ हफ्तों में 14 राज्यों – असम, बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, कर्नाटक, केरल, मध्य प्रदेश, मेघालय, पंजाब, राजस्थान, सिक्किम, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की 48 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए। उत्तर प्रदेश विधानसभा उप चुनाव के नतीजे लगभग लगभग साफ होता नजर आ रहा है। 9 सीटों पर हुए उप चुनाव में एनडीए को 7 सीटें मिलती हुई दिख रही हैं जबकि समाजवादी पार्टी को 2 सीट।
डॉ राहुल यादव न्याय तक के सह संपादक हैं। पिछले 20 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं । दलित, पिछड़े और वंचित समाज की आवाज को मुख्यधारा में शामिल कराने के लिए, पत्रकारिता के माध्यम से सतत सक्रिय रहे हैं।