अगर पूजा स्थल अधिनियम खत्म होगा तो कल भाजपा आरक्षण भी खत्म कर देगी- शाहनवाज़ आलम
लखन। पूजा स्थल अधिनियम को चुनौती देने वाली याचिकाओं को ख़ारिज कर देने के बजाए उसे तीन जजों की बेंच को सुनवाई के लिए भेज दिया जाना चिंता का विषय है। आज इस क़ानून के साथ ऐसा हो रहा है तो कल आरक्षण की भी समीक्षा भाजपा सरकार करायेगी।
ये बातें कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 172 वीं कड़ी में कहीं।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि पिछले दिनों जस्टिस अहमदी फाउंडेशन द्वारा आयोजित व्याख्यान में सुप्रीम कोर्ट के रिटायर्ड न्यायाधीश रोहिंगटन नरीमन द्वारा पूजा स्थल अधिनियम को कमज़ोर करने में पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ की भूमिका पर उठाए गए सवालों से न्यायपालिका कटघरे में आ गयी है। मौजूदा मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना के सामने यह लक्ष्य है कि वो चंद्रचूड़ द्वारा क़ानून के साथ की गयी छेड़छाड़ को दुरुस्त करें ताकि न्यायपालिका पर लोगों का भरोसा फिर से बहाल हो सके। उन्होंने कहा कि संविधान का आर्टिकल 141 स्पष्ट तौर से कहता है कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये निर्णय देश की सभी अदालतों पर लागू होंगे तब निचली अदालतें अगर इसकी अवमानना करती हैं तो ऐसे जजों के खिलाफ़ कार्यवाई करना मुख्य न्यायाधीश की ज़िम्मेदारी है। लेकिन देश देख रहा है कि मुख्य न्यायाधीश अपनी इस संवैधानिक ज़िम्मेदारी को निभा पाने में असहज लग रहे हैं। यह अपने पद की गरिमा के साथ समझौता करने के समान है।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार में भी जस्टिस वेंकट चलैय्या के नेतृत्व में आरक्षण को खत्म करने के लिए संविधान की समीक्षा करने की कोशिश की गयी थी। लेकिन पूर्ण बहुमत नहीं होने के चलते वाजपेयी सरकार में ऐसा नहीं हो पाया। इसलिए दलित और पिछड़े वर्ग को यह समझना होगा कि मोदी सरकार बहुमत के बल पर अगर आज पूजा स्थल अधिनियम को खत्म करने की कोशिश कर रही है तो कल संविधान में दिए गए आरक्षण को भी खत्म कर देगी। इसलिए संविधान की रक्षा के लिए सभी वर्गों को कांग्रेस के नेतृत्व में एक साथ आना होगा।
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