वाराणसी की सड़क पर गूंजी महिलाओं की ललकार, हक और सम्मान के लिए साथ आए संगठन

वाराणसी की सड़क पर गूंजी महिलाओं की ललकार, हक और सम्मान के लिए साथ आए संगठन

वाराणसी के शास्त्री घाट (कचहरी) पर महिला अधिकार सम्मेलन का आयोजन किया गया। इस सम्मेलन के आयोजन में बनारस के तमाम महिला संगठन, छात्र संगठन और नागरिक समाज ने हिस्सा लिया और संयुक्त अपील के माध्यम से कहा की हम बनारस की महिलाएं बराबरी, सम्मान, सुरक्षा और रोजगार के अधिकार के लिए एकजुट होकर सरकार तथा सभी राजनीतिक दलों से यह अपेक्षा करते हैं कि आगामी लोकसभा चुनाव मन्दिर-मस्जिद और नफरती मुद्दों के बजाय रोटी, कपड़ा, मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य, सुरक्षा और सामाजिक न्याय जैसे असल मुद्दों पर लड़ा जाए। इस सम्मेलन के माध्यम से हमनें अपना 13 सूत्रीय महिला घोषणापत्र जारी किया। यह घोषणापत्र हमारे आगामी संघर्ष का आधार बनेगा।’ सम्मेलन की शुरुआत से पूर्व जेपी मेहता इंटर कॉलेज से शास्त्री घाट तक महिलाओं द्वारा मार्च भी निकाला गया।

इस सम्मेलन को लेकर वक्ताओं ने कहा कि, ‘सम्मेलन एक ऐसे वक्त में हो रहा है जब हमारे समाज में हिंसा और नफरत लगातार बढ़ती जा रही है। मीडिया, सरकारी एजेंसियों से लगायत देश की तमाम लोकतांत्रिक संस्थाएं नफरत फैलाने के इस प्रोजेक्ट का हिस्सा है। हिंसा हमेशा से महिला विरोधी रही है। आज जब देशभर में उन्मादी माहौल बनाया जा रहा है, जब शहर जल रहे हों और जब सड़कें हिंसक भीड़ का गवाह बन रही हो, तब हम देख रहे हैं कि महिलाओं के खिलाफ हिंसा में भी भयावह रूप से बढ़ रही है। गृह मंत्रालय के आंकड़ें महिलाओं और ट्रांसजेंडर के खिलाफ बढ़ते अपराध की गवाही देते हैं और उत्तर प्रदेश इस मामले में प्रथम स्थान पर है। मौजूदा वक्त में महिला सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। कठुआ, उन्नाव, हाथरस, बिलकिस  बानो, महिला पहलवानों, मणिपुर से लगायत बीएचयू तक, सभी मामलों में बलात्कारियों और अपराधियों को सरकार एवं BJP का खुला संरक्षण हासिल था। हमने देखा कि कैसे बीएचयू गैंगरेप के तीनों अपराधी जो BJP के पदाधिकारी उनको दो महीने तक बचाया गया और मध्य प्रदेश में चुनाव प्रचार कराया जाता रहा। हम इस सम्मेलन के जरिये सरकार से यह मांग करते हैं कि हमारी आजादी में बिना कोई समझौता किए हमारी सुरक्षा सुनिश्चित की जाए। साथ ही सभी संस्थाओं में विशाखा गाइडलाइंस लागू कर GSCASH का गठन किया जाए।’

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महिला अधिकार सम्मेलन और मार्च के कुछ दृश्य

वक्ताओं ने कहा कि, ‘आजादी के 75 वर्षों बाद भी आधी आबादी अपने उचित प्रतिनिधित्व के लिए संघर्षरत है। हमारी माँग है कि संसद, राज्य की विधानसभाओ एवं सभी सरकारी नौकरियों में महिलाओं को 50 फीसदी आरक्षण सुनिश्चित किया जाए। साथ ही सम्मानजनक रोजगार को मूलभूत अधिकारों में शामिल किया जाए। आशा, आंगनबाड़ी आदि स्कीम में काम करने वाली महिलाओं का शोषण किया जा रहा है। सामाजिक  सुरक्षा हमारा अधिकार है। सभी स्कीम वर्कर्स को नियमित उचित तनख्वाह दिया जाए। सरकार द्वारा महिलाओं के स्वास्थ्य अधिकारों का रक्षा किया जाए तथा सबको निःशुल्क सैनिटरी पैड दिया जाए। विधवा, वृद्धा, दिव्यांग पेंशन 5000 प्रतिमाह हो। लड़कियों की KG से PG तक की पढाई निःशुल्क हो तथा सबको पढाई में सहयोग के लिए छात्रवृत्ति मिले।’

सम्मेलन में बतौर वक्ता जनजागरण अधिकार मंच से कमायानी, सामाजिक कार्यकर्ता ऋतु, ऐपवा की राष्ट्रीय सचिव प्रो. सुधा चौधरी, पत्रकार और गाँधीवादी कार्यकर्ता मणिमाला, यूपी महिला कांग्रेस की पूर्व अध्यक्ष प्रतिभा अटल पाल, समाजवादी महिला सभा की राष्ट्रीय उपाध्यक्ष नेहा यादव तथा आम आदमी पार्टी से मोहिनी ने अपनी बात रखी। इसके अलावा महिला अधिकार से संबंधित मुद्दों पर सांस्कृतिक कार्यक्रम भी हुए। कार्यक्रम में सूरज एंड टीम ने अपना इमेज थियेटर प्रस्तुत किया, दस्ता के साथी विवेक सुल्तानवी ने क्रांतिकारी गीत प्रस्तुत किय, संस्कृति ने नृत्य की प्रस्तुति दी तथा प्रेरणा कला मंच द्वारा नाटक प्रस्तुत किया गया।

कार्यक्रम में यूपी कांग्रेस  के अध्यक्ष अजय राय , गुरुचरण कौर, अनुराधा यादव, बिंदु, संध्या जी, ऋतु पांडेय, अपर्णा , जागृति राही, फादर आनंद, अफलातून, ज्योति,कुसुम वर्मा, रैनी, इंदु, नीति आदि मौजूद रहे। इस सम्मेलन का आयोजन दखल, ऐपवा, लोक समिति, महिला चेतना समिति, साझा संस्कृति मंच, आइसा, बीएसएम, प्रिस्मैटिक फाउंडेशन और मनरेगा मजदूर यूनियन द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में हजारों की संख्या में महिलाओं ने हिस्सा लिया। वक्ताओं के अलावा कामगार महिलाओं और छात्राओं ने सुरक्षा, शिक्षा, सम्मान, और रोजगार जैसे विषयों पर अपनी बात रखी।

न्याय तक के लिए चंदा यादव की रिपोर्ट

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