भाजपा के गले में पड़ा चंदे का फंदा, कांग्रेस ने भाजपा पर लगाए बड़े आरोप

भाजपा के गले में पड़ा चंदे का फंदा, कांग्रेस ने भाजपा पर लगाए बड़े आरोप

चंदे की रिपोर्ट सामने आते ही विपक्ष ने भाजपा पर चौतरफा हमला बोलना शुरू कर दिया है। आश्चर्यजनक रूप से आम आदमी भी भाजपा के हिस्से की चंदे की रकम देखकर हैरान है और उससे भी ज्यादा हैरान चन्दा देने वालों का नाम जानकर है खासतौर पर जिन परिस्थितियों में भाजपा को चन्दा मिला है वह साफ तौर पर दिखा रहा है कि चंदे की यह बड़ी रकम जुटाने के लिए भाजपा ने जिन टूल्स का सहारा लिया है वह मामूली नहीं  हैं।

चुनाव आयोग द्वारा जारी किए गए विवरण के अनुसार, सत्तारूढ़ भाजपा को सबसे अधिक 6,000 करोड़ रुपये से अधिक का दान मिला। इसमें इस बात का खुलासा नहीं किया गया है कि किसने किस पार्टी को चंदा दिया।

बीजेपी को 2019 में 19,71,75,01,000 रूपये।  2020 में 73,89,00,000 रूपये।  2021 में 3,72,99,50,000 रूपये।  2022 में 16,76,32,61,000 रूपये।  2023 में 2,02,00,00,000 रूपये और 2024 में 60,60,51,11,000 रूपये रूपये का चंदा मिला। इस तरह से पिछले पाँच सालों में बीजेपी को कुल 60,60,51,11,000 रूपये दान में मिले।  

ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस  चन्दा पाने के मामले में दूसरे नंबर पर है।  तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने चुनावी बांड के माध्यम से 1,609.50 करोड़ रुपये प्राप्त किया है। ममता बनर्जी की पार्टी को साल 2019 में 87,09,46,000 रूपये।  2020 में 29,77,00,000 रूपये। 2021 में 3,30,94,30,000 रूपये। 2022 में 4,68,80,00,000 रूपये।  2023 में 5,62,47,38,000 रूपये और 2024 में 1,30,45,00,000 रूपये चंदे के रूप में प्राप्त हुये थे। 

चुनावी चंदा जुटाने में कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही है। कांग्रेस कुल 1,421.9 करोड़ रूपये मिले। इस पार्टी को साल 2019 में 1,70,31,10,000 रूपये।  2020 में 9,00,00,000 रूपये।  2021 में 1,23,92,45,000 रूपये।  2022 में 2,89,36,00,000 रूपये।  2023 में 7,93,37,00,000 रूपये और 2024 में 35,90,00,000 रूपये मिले थे।  

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चंदे की चौथी पायदान पर भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस)पार्टी का नंबर आता है। इस पार्टी को साल 2019 में 37,15,29,000 रूपये।  2021 में 1,53,00,00,000 रूपये।  2022 में 52,89,87,00,00 रूपये।  2023 में 4,95,57,00,000 रूपये का दान मिला। भारत राष्ट्र समिति को कुल 1,214,70,99,000 रूपये का चंदा प्राप्त हुआ।  

ओडिशा में सत्तारूढ़ बीजू जनता दल को इलेक्टोरल बॉन्ड के रूप में कुल 7,75,50,00,000 रूपये मिले। इस पार्टी को साल 2019 में 10,00,00,000 रूपये।  2020 में 77,00,00,000 रूपये।  2021 में 2,41,00,00,000 रूपये।  2022 में 1,95,00,00,000 रूपये और 2023 में 2,52,50,00,000 रूपये का दान मिला है।  

चन्दा एकत्र करने द्रविड़ मुनेत्र कड़गम पार्टी का नाम छठे नंबर पर आता है। डीएमके पार्टी को साल 2019 में 9,00,00,000 रूपये।  2020 में 80,00,00,000 रूपये।  2021 में 2,05,00,00,000 रूपये।  2022 में 2,85,00,00,000 रूपये। 2023 में 40,00,00,000 रूपये और 2024 में 20,00,00,000 रूपये का चंदा मिला था । इस प्रकार से इस पार्टी को कुल 6,39,00,00,000 रूपये का दान मिला।  

वाईएसआर कांग्रेस पार्टी को इस अवधि में कुल 3,37,00,00,000 रूपये का दान मिला। चंदा मिला था।   तेलुगु देशम पार्टी  को 2,18,88,00,000 रूपये प्राप्त हुए है।   शिवसेना को चंदा के रूप में 1,58,38,14,000 रूपये मिले प्राप्त हुए है।

लालू प्रसाद यादव की  राष्ट्रीय जनता दल  को  इलेक्टोरल के रूप में कुल 72,50,00,000 रूपये मिल है।

इस तरह से चंदा अन्य पार्टियों को भी मिला है। पर भाजपा का चंदा बाकी पार्टियों को मिले चंदे से अलग है। चन्दा लेने में वह सबसे आगे है यह बड़ा मामला नहीं है बल्कि बड़ा मामला चन्दा प्राप्त करने का तरीका है।

कुछ चंदे की तारीखें चिल्ला-चिल्ला के बता रही हैं कि चन्दा मिला नहीं है बल्कि चन्दा देने वालों की हलक में हाथ डालकर भाजपा ने चन्दा वैसे ही वसूला है जैसे डी कंपनी अपने गुर्गों से धमकी दिलवाकर लोगों से रंगदारी वसूला करती थी।

कांग्रेस के नेता चंदे के इस खेल को देखकर भाजपा पर हमलावर हो गए हैं। राहुल गांधी से लेकर जयराम रमेश तक भाजपा को घेरते नजर आ रहे हैं। राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री पर आरोप लगाते हुये कहा है कि ‘नरेंद्र मोदी इलेक्टोरल बॉन्ड्स के नाम पर दुनिया का सबसे बड़ा वसूली रैकेट चला रहे थे।‘

राहुल गांधी ने सोशल मीडिया के माध्यम से कहा है कि, ‘इलेक्टोरल बॉन्ड्स के नाम पर ‘हफ्ता वसूली सरकार’ ने दुनिया का सबसे बड़ा भ्रष्टाचार किया है।  कंपनियों से एक्सटोर्शन का यह मॉडल खुद नरेंद्र मोदी का तैयार किया हुआ था।  इस ‘आपराधिक खेल’ के नियम स्पष्ट थे:  – एक तरफ कॉन्ट्रैक्ट दिया, दूसरी तरफ से कट लिया, – एक तरफ से रेड की, दूसरी तरफ चंदा लिया,  ED, IT, CBI जैसी जांच एजेंसियां नरेंद्र मोदी की ‘वसूली एजेंट’ बन कर काम कर रही हैं।  जो कभी देश के संस्थान हुआ करते थे वो अब भाजपा के हथियार के रूप में काम कर रहे हैं।   भारतीय मीडिया इस स्थिति में नहीं है कि वह इलेक्टोरल बॉन्ड की सच्चाई जनता को बता सके, इसलिए आपको खुद ही भाजपा का असली चेहरा पहचानना होगा।  सरकारी तंत्र को पूरी तरह संगठित भ्रष्टाचार में झोंक देने वाले नरेंद्र मोदी देश के पहले प्रधानमंत्री हैं।‘

प्रेस कान्फ्रेंस के माध्यम से कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि भाजपा ने स्कीम के जरिए करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार किया है। उन्होंने कहा कि हम यूनीक बॉन्ड ID नंबर मांगेंगे, जिससे पुख्ता तौर पर पता चलेगा कि किसने किसको कितना चंदा दिया है।  जयराम रमेश ने भाजपा और दानदाता कंपनियो में से एक मेघा इंजीनियरिंग एंड इन्फ्रा को लेकर कहा है कि, ‘मेघा इंजीनियरिंग एंड इन्फ्रा ने 800 करोड़ रुपए चंदे में दिए हैं। अप्रैल 2023 में कंपनी ने 140 करोड़ रुपए डोनेट किए। इसके ठीक एक महीने के बाद कंपनी को 14,400 करोड़ रुपए का ठाणे-बोरीवली ट्विन टनल प्रोजेक्ट मिल गया। वहीं, जिंदल स्टील एंड पावर ने 7 अक्टूबर 2022 को 22 करोड़ रुपए का चंदा दिया। इसके ठीक 3 दिन बाद 10 अक्टूबर को गियर पाल्मा कोल माइन कंपनी को मिल गई।

जयराम रमेश ने कहा कि भाजपा ने चन्दा के नाम पर एक आसान सी हफ्ता वसूली की स्ट्रैटजी बना राखी थी। वह  पहले ED, CBI और IT की रेड डलवाती थी और दबाव बनाकर हफ्ता यानी की डोनेशन वसूलती थी।

जयराम ने भारतीय जनता पार्टी पर बड़ा आरोप लगाते हुये कहा है, ‘टॉप 30 डोनर्स में से 14 के खिलाफ छापा पड़ चुका है। शिर्डी साई इलेक्ट्रिकल्स पर दिसंबर 2023 में छापा पड़ा था। इसके बाद जनवरी 2024 में कंपनी ने 40 करोड़ का डोनेशन दे दिया। फ्यूचर गेमिंग कंपनी का भी यही ट्रेंड देखने को मिला है। जयराम रमेश ने कहा कि कुछ कंपनियों ने केंद्र सरकार से कोई प्रोजेक्ट मिलने के तुरंत बाद भाजपा को चंदा देकर एहसान चुकाया है। जैसे वेदांता ग्रुप को राधिकापुर वेस्ट प्राइवेट कोल माइन 3 मार्च 2021 को मिली। कंपनी ने अगले ही महीने 25 करोड़ रुपए भाजपा को चंदे में दिए।

कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने कहा कि, पहले कंपनी के मुनाफे का केवल एक छोटा प्रतिशत ही चंदे में दिया जा सकता था। चुनावी बॉन्ड स्कीम में ये प्रतिबंध हटा दिया गया। इससे शेल कंपनियों के लिए ब्लैक मनी चंदे के रूप में देने का रास्ता खुल गया। चुनाव आयोग की लिस्ट से पता चलता है कि क्विक सप्लाई चेन लिमिटेड ने 410 करोड़ रुपए डोनेट किए, जबकि इस कंपनी का पूरा शेयर कैपिटल 130 करोड़ रुपए ही है।

चुनावी बांड के बारे में अपर्याप्त जानकारी उपलब्ध कराने पर सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर स्टेट बैंक (एसबीआई) को फटकार लगाई है। हालांकि चुनावी बांड की जो सूची दी गई, उस पर कोर्ट ने निर्देश दिया है कि किस पार्टी को कितना दिया गया, इसकी जानकारी दी जाए।  कोर्ट ने यह भी कहा कि स्टेट बैंक सोमवार तक यह जानकारी मुहैया कराए और

चुनावी बांड फंड के संबंध में सोमवार तक विस्तृत जानकारी दें, किस कंपनी ने कितना फंड दिया इसकी घोषणा गुरुवार को की गयी। लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि किस कंपनी ने किस राजनीतिक दल को कितना फंड दिया। सुप्रीम कोर्ट ने जब चुनाव आयोग से इस बारे में पूछा तो उन्होंने एसबीआई पर उंगली उठाई। फिर सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को जब्त कर लिया। सुप्रीम कोर्ट ने एसबीआई को यह विस्तृत जानकारी सोमवार 18 मार्च तक मुहैया कराने का निर्देश दिया है।

चुनाव आयोग द्वारा चुनावी बांड का विवरण सार्वजनिक करने के बाद फ्यूचर गेमिंग कंपनी ने पांच साल में 1,368 करोड़ का फंड दिया है। अप्रैल 2019 से फरवरी 2024 तक दानदाताओं के नाम और उनके द्वारा दान की गई रकम की लिस्ट सामने आ गई है। डियर लॉटरी की कंपनी फ्यूचर गेमिंग पहले पायदान पर है। इस कंपनी ने 5 साल में 1 हजार 368 करोड़ रुपए का दान दिया है। दूसरे स्थान पर मेघा इंजीनियरिंग है। हालाँकि, इस सूची में एक अंतर भी है। बताया जा रहा है कि ये चुनावी बॉन्ड किस पार्टी को दिए गए और कितने दिए गए इसकी अभी घोषणा नहीं की गई है। इसलिए अभी यह पता नहीं चल पाया है कि रकम किस पार्टी को मिली।

चुनाव आयोग की वेबसाइट पर चुनावी बॉन्ड का डेटा केंद्रीय चुनाव आयोग ने चुनावी बॉन्ड को लेकर एसबीआई द्वारा उपलब्ध कराया गया डेटा अपनी वेबसाइट पर अपलोड कर दिया है। केंद्रीय चुनाव आयोग ने यह डेटा सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई समयसीमा से एक दिन पहले अपलोड किया है। ये डेटा 12 अप्रैल 2019 से 24 जनवरी 2024 तक का है। इसमें 1 लाख, 10 लाख और 1 करोड़ रुपये का लेनदेन दिखाया गया है। चुनावी बांड खरीदने वाले व्यक्तियों और कंपनियों के नाम सूचीबद्ध करते हुए दो अलग-अलग सूचियाँ दी गई हैं।

आयोग की वेबसाइट पर कुल दो सूचियाँ हैं। पहली सूची में बॉन्ड खरीदने वाली कंपनियों की जानकारी है और दूसरी सूची में राजनीतिक दल और खरीदे गए बॉन्ड की मात्रा के हिसाब से जानकारी है। चूँकि ये दोनों सूचियाँ अलग-अलग हैं, इसलिए यह ठीक से पता नहीं चल पाया है कि किस कंपनी ने किस पार्टी के लिए बांड खरीदे हैं। मंगलवार को स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने आयोग को आंकड़े सौंपे और कोर्ट में हलफनामा भी दाखिल किया। इसके मुताबिक 22 हजार 217 इलेक्टोरल बॉन्ड दिए गए। इनमें से 22 हजार 30 बांड राजनीतिक दलों द्वारा भुनाए गए। राजनीतिक दलों द्वारा नहीं भुनाए गए 187 बांड की राशि नियमानुसार प्रधानमंत्री सहायता कोष में जमा करा दी गई है।

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