न्याय में देरी ताक़तवर गुनाहगारों को और भी ताक़त देती है
अखिलेश यादव
नारी, महिला, स्त्री या बहन, बेटी, बहू चाहे जो कह लें, इन सबमें एक बात समान है कि बड़े-बड़े दावों के बीच भी इनके लिए भयमुक्त स्वतंत्र वातावरण नहीं बन पा रहा है। सवाल सिर्फ़ ये नहीं है कि इसके लिए कौन ज़िम्मेदार है, सवाल ये भी है कि ये कब और कैसे मुमकिन होगा। अक्सर ज़िम्मेदारी तय करने की बात लोगों को बीती घटना तक ही सीमित कर देती है। जिसमें घटना की बात तो होती है पर उसकी मूल वजहों पर बात नहीं होती। इसीलिए बात समस्या में उलझकर रह जाती है, सार्थक समाधान की बात नहीं कर पाती है। इसी वजह से समय की माँग ये है कि प्रश्न में वर्तमान की चिंता के साथ-साथ सच्चे समाधान की बात आज से ही शुरू होनी चाहिए। इसके लिए व्यक्तिगत सोच से शुरुआत करनी पड़ेगी, जो परिवार, समाज और फिर देश के स्तर पर बदलाव लाएगी।
इसके लिए नारी पर एकतरफ़ा पाबंदी की बात भी नारी-उत्पीड़न का ही एक और रूप है। शर्तों के नाम पर जीवन की स्वतंत्रता नहीं छीनी जा सकती है। शिक्षण संस्थानों से लेकर खुले व कार्य स्थलों तक, हर जगह नारी-सुरक्षा के लिए नयी चेतना जगानी होगी, सार्थक व्यवस्थाएँ करनी होंगी। सरकारों को इसके लिए आगे आना होगा। हर तरफ़ सुरक्षा व्यवस्था को चौकन्ना करना होगा। यदि संकीर्ण राजनीति का हस्तक्षेप न हो और ऐसी घटनाओं का राजनीतिकरण करके सियासी रोटी न सेंकी जाए तो आधी समस्या ख़ुद-ब-ख़ुद सुलझ जाएगी क्योंकि तब कोई गुनाहगार ये नहीं सोचेगा कि वो कुछ गलत करने के बाद सत्ता का संरक्षण पाकर बच पाएगा। नारी-अपराध के मुजरिम को जब ये पता होगा कि उसको गले में हार डालकर बचानेवाला कोई नहीं है और उसे सख़्त सज़ा मिलेगी तो अपराधियों का मनोबल चूर-चूर हो जाएगा। नारी-अपराध की घटनाओं पर विचारधारा के नाम पर दूर से मुँह मोड़कर, अंधे बने रहना और ऐसे कुकृत्यों पर सुविधाजनक चुप्पी साध लेना अब और नहीं चलनेवाला।
नारी की स्वतंत्रता और सुरक्षा के हनन के मामलों में न्यायिक प्रक्रिया को सबसे अधिक तीव्रता से कार्य करने की माँग अब आवश्यकता नहीं, अपरिहार्यता बन गयी है। न्याय में देरी ताक़तवर गुनाहगारों को और भी ताक़त देती है। सबूत से लेकर गवाह तक बदलने के मौके देती है। साथ ही तरह-तरह के दबावों को जन्म देती है। न्यायालय की देखरेख में पीड़ितों और गवाहों की सुरक्षा के लिए नये सुरक्षा-प्रबंध करने होंगे, तभी सही मायनों में नारी अपनी सामर्थ्य दिखा पाएगी… परिवार, समाज और देश-दुनिया के विकास में अपनी भूमिका निभा पाएगी… सच्चा स्वतंत्रता दिवस मना पाएगी।
अखिलेश यादव उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की कन्नौज सीट से सांसद हैं।