सर्वसेवा संघ पर कब्जे की कोशिश जल,जंगल, जमीन पर हो रहे हमले का ही एक रूप है – मेधा पाटेकर
वाराणसी। सर्वसेवा संघ पर वाराणसी जिला प्रशासन की ओर से बुलडोजर की कार्रवाई के बाद गांधीवादी तरीके से संघ के अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे गांधीवादी नेताओं को 6 दिसंबर को पुलिस द्वारा जबरिया हटावा दिया गया। पुलिस ने संघ के परिसर के पास आन्दोलन करने से मना कर दिया। लेकिन गांधीवादी नेता 100 दिन के अनशन करने के अपने फैसले पर कायम रहते हुए कचहरी स्थित शास्त्री घाट पर अपनी लड़ाई को जारी रखे हुए हैं। आन्दोलन को उस समय धार मिल गई जब 7 दिसम्बर को आन्दोलन से जानी मानी सामाजिक कार्यकर्ता मेधा पाटेकर जुड़ गईं।
आज के आन्दोलन का नेतृत्व कर रही मेधा पाटेकर ने प्रशासन द्वारा की गई कार्रवाई पर कहा कि आज देश में जल,जंगल और जमींन पर जिस प्रकार का हमला हो रहा है ठीक उसी प्रकार का हमला गांधी की विरासत पर भी हुआ है। यह जमींन 1960 में रेलवे मंत्रालय से ली गई थी उस समय लाल बहादुर शास्त्री रेल मंत्री थे। यह विरासत गांधी, विनोवा और जयप्रकाश जी की थी। गांधी विद्या संस्थान को सरकार ने जमींदोज करवा दिया। यही नहीं इस संस्थान के सामने वक्फ बोर्ड की जमींन पर जहां पर गरीब तबके के लोग रहते थे, उस बस्ती को भी खत्म कर दिया गया। मैंने भी कागज देखा है। जब भी मैंने अधिकारियों से इसके बारे में पूछा तो उनका यही कहना था कि मेरे बस में कुछ नहीं है यह सब ऊपर से हो रहा है। सबसे बड़ा सवाल तो यही है कि किसने यह आदेश दिया?
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सरकार सर्व सेवा संघ की जमींन को पूंजीपतियों का सौंपना चाहती है।
अपनी मांग में मेधा पाटेकर ने कहा कि यह जमींन सर्व सेवा संघ को मिलनी चाहिए । जो भी ध्वस्तिकरण की कार्रवाई हुई है उसकी पूरी भरपाई होनी चाहिए। चूंकि यह मामला कोर्ट में है और जज बदलते रहते हैं तो सही समय पर न्याय न मिलना भी एक अन्याय है। जब संविधान ने सत्याग्रह का अधिकार दिया हुआ तो सरकार आगे आकर हमसे संवाद क्यों नहीं करती? कलेक्टर हों या आयुक्त कागजाद देखकर यह तय करें कि किसका अधिकार है! लेकिन यहां तो संवेदना ही नहीं दिख रही है। मेरी गांधी के विचारों को मानने वाले लोगों से अपील है कि गांधी की इस विरासत को बचाने के लिए हमारा साथ दें।
सर्व सेवा संघ के प्रदेश अध्यक्ष चंदन पाल ने इस दौरान सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जिस प्रकार की कार्रवाई सर्व सेवा संघ परिसर पर की गई यह किसी भी लोकतांत्रिक देश के लिए शुभ नहीं है। यह सरकार उस जमींन को पूंजीपतियों का सौंपना चाहती है। हमने बाकायदा इस जमींन की रजिस्ट्री करायी है। जबकि जिला प्रशासन इस बात को मानने को तैयार नहीं है। सर्व सेवा संघ बहुत बड़ी राजनीति का शिकर हुआ है। यह सरकार पूरी तरह से तानाशाही पर उतारू है। चन्दन पाल ने सभा में उपस्थित लोगों का उत्साहवर्द्धन करते हुए आगे कहा कि हम लडेंगे और जीतेंगे भी।
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लोकतंत्र को कुचलने का काम कर रही सरकार
गांधीवादी नेता और प्रदेश के संयोजक रामधीरज ने कहा कि यह सरकार पूरी तरह से लोकतंत्र को कुचलने का काम कर रही है। वह गांधी के विचारों को पूरी तरह से खत्म कर देना चाहती है। लेकिन इस सरकार के मिटाने से गांधी के विचार मरने वाले नहीं हैं। यही नहीं सरकार हमारे रास्ते में लाख रोडे अटकाए हम उन सभी का सामना करते हुए एक अवश्य जीत हासिल करेंगे। जब तक सरकार हमारी मांगे नहीं मान लेती तब तक हमारा यह आन्दोलन रूकने वाला नहीं है।
सामाजिक कार्यकर्ता नंदलाल ने कहा कि हम गांधी और विनोवा की विरासत को बचाने के लिए हर मुश्किल से लड़ने को तैयार हैं। प्रशासन कुछ भी कर ले हम हार नहीं मानने वाले ।
इस अवसर पर लोक समिति नागेपुर की सोनी ने एक गीत भी सुनाया जिसके बोल इस प्रकार थे- अपने लिए जिए तो क्या जिए, जिओ तो जमाने के लिए। तो रामवचन ने देसवा के नेतवन क मुसवन से हाल बा। यह बिल से वह बिल लुकाला आहो लाला, गीत सुनाकर धरने में शामिल लोगों का उत्साहवर्द्धन किया। धरने में छत्तीसगढ़ से भी एक दल आंदोलन में शामिल हुआ। धरने में बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
डॉ राहुल यादव न्याय तक के सह संपादक हैं। पिछले 20 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं । दलित, पिछड़े और वंचित समाज की आवाज को मुख्यधारा में शामिल कराने के लिए, पत्रकारिता के माध्यम से सतत सक्रिय रहे हैं।