शेड्यूल कास्ट सबप्लान एवम ट्राइबल सबप्लान के बजट पर नेशनल एलाइंस फॉर सोशल जस्टिस ने उठाए सवाल
वाराणसी। एससी/एसटी सब प्लान को कानूनी दर्जा दिए जाने संबंध में कई दलित संगठनों के तरफ से वरिष्ठ साथी राम कुमार भाई के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश के समाज कल्याण मंत्री श्री असीम अरुण से मिलकर ज्ञापन सौंपा गया।
नेशनल एलाइंस फॉर सोशल जस्टिस के अनूप श्रमिक ने कहा कि, अब सरकार अगर अगले कुछ दिनों में कोई सार्थक कदम नहीं उठाती है तो हम एससी एसटी सब प्लान कों लेकर प्रदेश में बड़े अभियान के और बढ़ेगें।
पूर्व में भी संगठन की तरफ से 9 सूत्रीय मांग को लेकर राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रेषित किया गया था। ज्ञापन में की सत्र 2024- 25 का शेड्यूल कास्ट सबप्लान एवम ट्राइबल सबप्लान को लेकर तमाम सवाल उठाए गए हैं। राष्ट्रपति को संबोधित ज्ञापन में लिखा गया है –
ज्ञापन पत्र
सेवा में,
महामहिम,
राष्ट्रपति महोदया,
श्रीमती द्रौपदी मुर्मू जी
राष्ट्रपति भवन,नई दिल्ली-110004
द्वारा
जिला अधिकारी महोदय,
वाराणसी,उत्तर प्रदेश
विषय: केन्द्रीय बजट में अनुसूचित जाति/जनजाति समुदाय की उपेक्षा, संवैधानिक प्रावधानों के उल्लंघन के संदर्भ में।
जैसा कि आपको अवगत कराना है की सत्र 2024- 25 का शेड्यूल कास्ट सबप्लान एवम ट्राइबल सबप्लान का बजट संसद में पेश हों चुका है।
वर्ष 2024-25 का केंद्रीय बजट 48,20,512 करोड़ रुपये है, जिसमें से 1,65,493 करोड़ रुपये (3.43%) अनुसूचित जाति के लिए और 1,32,214 करोड़ रुपये (2.74%) अनुसूचित जनजाति के लिए आवंटित किए गए हैं, जबकि अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की योजनाओं के अनुसार उन्हें क्रमशः 7,95,384 और 3,95,281 करोड़ रुपये आवंटित करना चाहिए था । केंद्रीय बजट ने जनसंख्या के अनुसार बजट आवंटित करने में बड़ी असफलता दिखाई दी है और इससे स्पष्ट होता है कि केंद्र सरकार को अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों की समाजिक सुरक्षा एवं विकास की चिंता नहीं है |
अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के कल्याण के लिए योजनाओं के नाम पर सरकार कॉर्पोरेट जगत का हित कर रही है। इस केंद्रीय बजट में, केंद्र सरकार ने अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के कल्याण के लिए बनाई जाने वाली योजनाओं की जगह अन्य क्षेत्रों में पैसे आवंटित कर दिए हैं (जैसे दूरसंचार, सेमीकंडक्टर, लार्ज स्केल इंडस्ट्रीज, परिवहन उद्योग, उर्वरक आयात, रासायनिक उत्पादन आदि) और अनुसूचित जाति उपयोजना एवं अनुसूचित जन जाती योजना की मूल आत्मा के साथ खिलवाड़ किया है।
हम निचे दिए गए कुछ उदाहरण के माध्यम से यह दर्शाना चाहते हैं की मौजूदा केंद्र सरकार ने कैसे अनुसूचित जाति उपयोजना एवं अनुसूचित जन जाती योजना के बजट को अनुचित रूप से अन्य गैर जरूरी कामों में आवंटित किया है और भारतीय संविधान का उल्लंघन किया है।
जिसमे दलित आदिवासी के बजट से कभी हजारों लाखों करोड़ रुपए प्रयागराज कुंभ में,मेट्रो ट्रेन निर्माण में, गौ साला, गौ सेवा केंद्र निर्माण में,बिहार में पुलिस थानों के निर्माण आदि अन्य मदो में बजट को खर्च किया जा रहा है।
महोदया जबकि देश के पांच राज्यों में एससीपी को कानूनी दर्जा बनाया जा चुका है। जिसमे तेलांगना सरकार द्वारा लगभग 17 हजार एकड़ जमीन स्पेशल कंपोनेंट प्लान के बजट से खरीद कर हजारों भूमिहीन दलित आदिवासी परिवारों को बाटा गया है वही एससीपी के बजट से ही हजारों परिवारों को रोजगार हेतु अरबो रुपए अनुदा दिए गए हैं।एवम स्वास्थ,शिक्षा और बुनियादी सुविधाओं हेतु बजट खर्च किया गया है।
महामहिम महोदया भारतीय संविधान के अनुच्छेद 46 में कहा गया है: राज्य यानि सरकार समाज के कमजोर वर्गों के, विशेष रूप से, अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के शैक्षिक और आर्थिक हितों की रक्षा करेगा और उन्हें सामाजिक अन्याय और सभी प्रकार का शोषण से बचाएगा”।
अनुच्छेद 46 के कारण ही अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति विशेष घटक/उप योजना या अन्य लाभ प्रदान किये जाते हैं।
लेकिन दुखद पहलू यह है कि आजादी के 77 वर्ष बीत जाने के बावजूद भी अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के हितों की अनवरत अनदेखी की जा रही है। अभी तक केंद्र सरकार में अनुसूचित जाति के लिए कोई समर्पित मंत्रालय नहीं है। वर्तमान में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय अनुसूचित जातियों, पिछड़ी जातियों के कल्याण को जोड़ता है।
अतः महोदया हम भारत के तमाम अनुसूचित जाति एवं जनजाति संगठनों के ओर से आप से निवेदन करते हैं की दलित एवं आदिवासी बजट को अनुसूचित जाति उपयोजना (एससीएसपी) और जनजाति उपयोजना (टीएसपी) के अनुसार बजट आवंटित करें और दलित आदिवासियों के अधिकार को सुनिश्चित करे।
ज्ञापन के माध्यम से की गई प्रमुख मांगे
1–राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति विकास नीधि कानून बनाया जाए।*l
2–अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति की जनसंख्या के अनुपात में बजट का प्रावधान सुनिश्चित किया जाए।
3–अनुसूचित जाति कल्याण के लिए एक समर्पित मंत्रालय की स्थापना की जाए।
4–इसी सत्र के बजट से एससी एसटी के छात्रों को उच्च शिक्षा में जीरो बजट में दाखिला करवाए एवम सभी को छात्रवृति देने की गारंटी करें।
5–तेलांगना राज्य के तर्ज पर उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश के भूमिहीन दलित आदिवासियों को स्पेशल कंपोनेंट प्लान के बजट से भूमि आवंटन कराया जाए
6–शहरी गरीब दलित, आदिवासियों,खासकर सफाईकर्मी परिवारों को इस बजट से निजी आवास उपलब्ध कराया जाए
7–स्पेशल कंपोनेंट प्लान बजट से देश भर में एससी एसटी के लिए निजी उद्योग,कारखानों का निर्माण के लिए अनुदान दिया जाए ताकि देश के लाखो बेरोजगार एससी एसटी युवाओं को रोजगार मिल सके।
8– अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति विशेष घटक/उप योजना के बजट को तमाम मंत्रालयो के माध्यम से आवंटन ना कर के अनुसूचित जाति के लिए नए मंत्रालय द्वारा एक जगह से आवंटन किया जाए।
9– एससी एसटी विशेष घटक/उप योजना के निगरानी के लिए एससी एसटी पीओए एक्ट की तर्ज पर राज्य,जिला एवम ब्लॉक स्तर पर निगरानी कमेटी बनाई जाए जिसके सदस्य एससी,एसटी नागरिक समाज के लोगो को नामित किया जाए
महामहिम हम सब आपसे आशा करते हैं की आप हमारी उपरोक्त मांगो को संज्ञान लेते हुए उचित कार्यवाही हेतु अग्रसारित करेंगी।धन्यवाद
नेशनल एलाइंस फॉर सोशल जस्टिस के कार्यकर्त्ता फिलहाल अपनी मांग को लेकर गंभीर दिख रहे हैं और उनका आंदोलन लगातार मजबूत हो रहा है।
‘न्याय तक’ सामाजिक न्याय का पक्षधर मीडिया पोर्टल है। हमारी पत्रकारिता का सरोकार मुख्यधारा से वंचित समाज (दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक) तथा महिला उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाना है।