पूंजीवाद को मानवीय शक्ल देने वालों में से महत्वपूर्ण व्यक्तित्व थे रतन टाटा
राजघाट, वाराणसी। न्याय के दीप जलाएं- 100 दिनी सत्याग्रह आज 30 वें दिन में प्रवेश कर गया इस तरह सत्याग्रह का एक महीना पूरा हो गया।आज के सत्याग्रह में उत्तर प्रदेश के महोबा जिले के राजू उपवास पर बैठे। उनके साथ विद्याधर भी रहे।
NAPM से महेन्द्र राठौर, शकील भाई, पूर्वांचल बहुजन मोर्चा के अनूप श्रमिक, समाजवादी ज़न परिषद से राजेंद्र चौधरी, जौनपुर से शिराज अहमद, अंकित, अनुज एवं इंदुबाला सिंह सोनभद्र से शामिल रही। सर्व सेवा संघ प्रकाशन के तारकेश्वर सिंह,सुशील , आलोक सहाय और सुरेंद्र नारायण सिंह शामिल हैं।
सत्याग्रह स्थल पर आज कॉरपोरेट रतन टाटा को 2 मिनट मौन रख कर श्रद्धांजलि दी गई। पूंजीवाद और कॉरपोरेट की तरक्की श्रम एवं प्राकृतिक संसाधनों के अधिक से अधिक शोषण और दोहन पर निर्भर है। इस आर्थिक प्रणाली में शामिल हर व्यक्ति इसके दोषों से अभिशप्त है। पूंजीवाद को मानवीय शक्ल देने के सिद्धांत को अमल में लाने वालों में से एक महत्वपूर्ण व्यक्तित्व रतन टाटा रहे हैं। टाटा घराना ऐसा पारसी परिवार है जिसने अपनी आमदनी को गैरपारसियों के लिए खर्च किया है। उन्होंने उदारतापूर्वक अपनी निजी संपत्ति को समाज की उन्नति में लगाया है। घनश्याम दास बिरला, जमनालाल बजाज, अजीम प्रेमजी एवं टाटा घराने का यह योगदान स्मरणीय है। आज के कारपोरेट जगत के किरदारों को देखने से तो ये काफी ऊंचे प्रतीत होते हैं।
सर्व सेवा संघ की ओर से रामधीरज ने बताया कि कल 11 अक्टूबर 2024 को जेपी जयंती के अवसर पर राजघाट, वाराणसी में चल रहा सत्याग्रह मणिपुर की शांति और लद्दाख की स्वायत्तता को समर्पित रहेगा। कल का सत्याग्रह सोनम वांगचुक के उपवास के प्रति अपनी गहरी श्रद्धा व्यक्त करने के लिए है। उन्होंने वाराणसी और वाराणसी के सचेत नागरिकों से अपील किया है कि वे सत्याग्रह में शामिल होकर जनतांत्रिक और संघीय राष्ट्रनिर्माण के संकल्प में साझेदार बने।
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