लेखक ही नहीं अभिनेता भी थे सआदत हसन मंटो
मंटो से अशोक कुमार ने कराई फिल्म में एक्टिंग, राइटर से बनाया एक्टर
पूरे एशिया और विश्व के श्रेष्ठ कहानिकारों में गिने जाने वाले सआदतन हसन मंटो के जीवन पर साल 2018 में नंदिता दास ने फिल्म बनाई थी। फिल्म में नवाजुद्दीन सिद्दिकी ने मंटो का रोल निभाया था। मंटो देश विभाजन के बाद 1947 में पाकिस्तान चले गए थे। मगर इससे पहले उन्होंने जीवन का एक लंबा अर्सा मुंबई में गुजारा और फिल्मों राइटिंग की। उन्होंने किसान कन्या, नौकर, शिकारी, मिर्जा गालिब, चल चल रे नौजवान और आठ दिन जैसी फिल्में लिखीं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि एक फिल्म में मंटो ने बतौर अभिनेता ऐक्टिंग भी की।
असल में, अपन दौर के सुपरस्टार अशोक कुमार और मंटो बहुत अच्छे दोस्त थे। 1946 में अशोक कुमार ने फिल्म बनाई, आठ दिन। वह इसके निर्माता-निर्देशक थे। प्रसिद्ध हिंदी कथाकार उपेंद्र नाथ अश्क भी मंटो के दोस्त थे। वह इस फिल्म में एक्टिंग भी कर रहे थे। मंटो ने आठ दिन लिखी थी और शूटिंग के साथ-साथ राइटिंग चल रही थी। अशोक कुमार लीड रोल में थे। शूटिंग के समय एक किरदार ने काम करने से इंकार कर दिया और तब समस्या आई कि क्या करें क्योंकि स्टूडियो में शूटिंग का हर दिन पांच से छह हजार रुपये खर्च आता था। उस समय बहुत बड़ी रकम थी। तब अशोक कुमार ने मंटो से उस आदमी की जगह एक्टिंग करने को कहा।
मंटो से साफ इंकार कर दिया। अशोक कुमार लौट आए, लेकिन थोड़ी देर में जब शूटिंग शुरू हुई तो वह वे मंटो के सामने पहुंचे और उनके हाथ के कागज एक तरफ रखकर, उन्हें लेकर सीधे कैमरे के सामने पहुंच गए। मंटो को लगा कि अशोक कुमार मजाक कर रहे हैं, लेकिन फिर समझ गए कि वह सीरियस हैं। आखिरकार मंटो ने एयरफोर्स ऑफिसर कृपा राम का रोल निभाया। मंटो के दोस्त अश्क फिल्म में पंडित तोता राम बने थे और फिल्म के गीतकार राजा मेहदी अली खान भी इस फिल्म में एक्टिंग कर रहे थे।
रवि बुले हिन्दी साहित्य के ख्यातिलब्ध कथाकार, फिल्म निर्देशक और फिल्म समीक्षक हैं।
आईने सपने और बसंत सेना तथा यूं न होता तो क्या होता इनके चर्चित कहानी संग्रह तथा दलाल की बीवी इनका बहुपठित उपन्यास है । फिल्म आखेट के निर्देशक के रूप में इन्होंने हिन्दी सिनेमा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। मराठी भाषा के कुछ महत्वपूर्ण साहित्य का हिन्दी अनुवाद भी आपने किया है।