सत्याग्रह हमारे नागरिक अधिकारों और ऐतिहासिक विरासत की रक्षा का संघर्ष है-जागृति राही

सत्याग्रह हमारे नागरिक अधिकारों और ऐतिहासिक विरासत की रक्षा का संघर्ष है-जागृति राही

वाराणसी। सर्व सेवा संघ परिसर को बचाने के लिए चल रहा 100 दिनी सत्याग्रह आज सुबह 6 बजे सर्वधर्म प्रार्थना के साथ 23 वें दिन में प्रवेश कर गया। आज से उत्तर प्रदेश के विभिन्न जिलों से सर्वोदय से जुड़े लोग सत्याग्रह में शामिल होंगे।  इसी क्रम में आज प्रयागराज (इलाहाबाद) के सर्वोदय कार्यकर्त्ताओं ने सत्याग्रह किया। उपवास पर बैठे श्याम नारायण  इलाहाबाद सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष हैं जो पिछले कई वर्षों से सर्वोदय और गांधी विचार के लिए काम कर रहे हैं,  चंद्रप्रकाश इलाहाबाद सर्वोदय मंडल के मंत्री हैं, तीसरे राम बहोरी पाल प्रयागराज जंक्शन पर सर्वोदय साहित्य के बुक स्टॉल के माध्यम से 1983 से ही सर्वोदय विचार की सेवा कर रहे हैं।

इन सभी के साथ गांधी को मानने वाले चार युवा आयुष, भाष्कर, विमल, अभिषेक भी सत्याग्रह में शामिल हुए।। यह युवा इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विधि के छात्र हैं तथा इलाहाबाद विश्वविद्यालय के अपने  विद्यार्थी साथियों के साथ मिलकर हिंद युवा प्रतिष्ठान नाम से संगठन चलाते हैं। ये देश के सामाजिक संघर्ष, स्वतंत्रता संघर्ष और उनसे पैदा हुई विचारिकी को संकलित करके लोगों के सामने सोशल मीडिया के माध्यम से प्रस्तुत करते हैं। इलाहाबाद के इन सभी साथियों के साथ आज चंदौली के 76 वर्षीय साथी विद्याधर भी उपवास पर बैठे हैं। इन्होंने गाजीपुर के इंटर कॉलेज में 42 वर्षों तक अध्यापन किया और समाज में न्याय और समता के विचारों को स्थापित करने के लिए लगातार प्रयास करते रहे हैं।

इलाहाबाद सर्वोदय मंडल की मान्यता है कि सर्व सेवा संघ परिसर पर सरकारी अत्याचार की घटना हमारे लिए बेहद महत्व रखती है, क्योंकि सरकार ने ही उस परिसर पर अवैध कब्जा किया और सरकार ने ही गैरकानूनी तरीके से पूरे परिसर को ध्वस्त किया। जब सरकार ही कानून और संविधान को दरकिनार कर देती है तो एक नागरिक और एक समर्पित संगठन के रूप में हमारे सारे अधिकार असुरक्षित हो जाते हैं।

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एक नागरिक के रूप में इस घटना का महत्व इसलिए भी है की इस संस्था ने भारत में लोकसत्ता के लिए संघर्ष किया है। देश,दुनिया के दूसरे तमाम लोकतंत्र के संघर्षों के इतिहास को संजोने वाली लाखों किताबें संस्था के पास रही हैं, सरकार ने इन किताबों को उठाकर बाहर बरसात में नष्ट होने के लिए फेंक दिया।  महत्व इसलिए भी है की इस संस्थान को गढ़ने वाले लोगों के संघर्ष से भारत सरकार बनी और आज  सरकार में बैठे लोग इस संस्थान को अवैध बता रहे हैं। किसी भी जमीन और भवनों को किसी संस्थान का साबित करने के लिए संवैधानिक रूप से जितने भी दस्तावेज और प्रमाण की जरूरत होती है वह सारे दस्तावेज और प्रमाण हैं। इन प्रमाणों को फर्जी साबित किए बिना सरकार ने अवैध कब्जा करके इस संस्थान को ध्वस्त किया है और किताबों के साथ इतिहास को मिटाने की कोशिश की है।

सर्व सेवा संघ के कार्यकर्त्ताओं का कहना है कि यह सत्याग्रह हमारे नागरिक अधिकारों और ऐतिहासिक विरासत की रक्षा का संघर्ष है। इलाहाबाद सर्वोदय मंडल की पहल पर प्रत्येक दिन शाम को बालसन चौराहा स्थित गांधी प्रतिमा के सामने दीप प्रज्वलन कर अपनी एकजुटता प्रकट करते हैं और आज वाराणसी के सत्याग्रह में शामिल हुए हैं।

सत्याग्रह आयोजन समिति की जागृति राही ने कहा कि गांधी विद्या संस्थान से लेकर सर्व सेवा संघ परिसर को सांप्रदायिक शक्तियों द्वारा हड़पने की साजिश के खिलाफ विगत दो दशकों से संघर्ष जारी है। आर एस एस की विचारधारा से संचालित सरकार के बुलडोजर के खिलाफ राजघाट सत्याग्रह प्रतिवाद का प्रतीक बन चुका है और धीरे-धीरे पूरे देश की जनतांत्रिक शक्तियां इससे जुड़ती जा रही है। हमें पूर्ण विश्वास है कि यह देश हिंसा और नफरत के रास्ते पर नहीं, गांधी के रास्ते पर चलेगा।

आज के सत्याग्रह में चंदन पाल, अभिषेक विश्वकर्मा, विमल यादव, भास्कर शर्मा, आयुष द्विवेदी, विद्याधर, रामबहोरी पाल, श्याम नारायण, चंद्र प्रकाश, अशोक भारत, गौरांग महापात्र, नारूसम्मा, शिवम्मां, नंदलाल मास्टर, परवीन बानो, रामदयाल, सत्येंद्र, जागृति राही, तारकेश्वर सिंह, मनीष कुमार पटेल, बृजेश कुमार आदि शामिल होकर अपनी एकजुटता प्रकट किया।

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