धार्मिक धुर्वीकरण की कोशिश है चुनाव से ठीक पहले सीएए लागू करने की सोच

धार्मिक धुर्वीकरण की कोशिश है चुनाव से ठीक पहले सीएए लागू करने की सोच

विपक्ष के पीडीए कहीं न कहीं भाजपा को डरा रहा है। उस पीडीए को दबाने के लिए भाजपा ने सीएए को अपना हथियार बनाया है। केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) लागू कर दिया गया है। लेकिन वास्तव में यह कानून क्या है? इसमें क्या प्रावधान हैं और वास्तव में इससे देश के नागरिकों पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है। कई लोगों को इसके बारे में सही जानकारी नहीं है।

पिछले एक हफ्ते से देश के अलग-अलग राज्यों में आंदोलन फैलता जा रहा है। इस विवाद की चिंगारी पूर्वोत्तर भारत और अब दिल्ली, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, बिहार में भड़की, हजारों नागरिक मार्च कर रहे हैं, छात्र आक्रामक हो रहे हैं, कई जगहों पर आंदोलन हिंसक रूप ले रहा है। इसकी वजह केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार द्वारा पारित नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) है। लेकिन वास्तव में यह कानून क्या है? इसमें क्या प्रावधान हैं और वास्तव में उनके देश के नागरिकों पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है। कई लोगों को इसके बारे में सही जानकारी नहीं है। आइए जानते हैं आखिर क्या है नागरिकता संशोधन कानून (सीएए)। नागरिकता संशोधन बिल हाल ही में संसद में पास हुआ है। राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद यह बिल कानून में तब्दील हो गया है। नागरिकता संशोधन अधिनियम तीन पड़ोसी देशों: पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में रहने वाले गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान करता है।

सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के नेता दावा कर रहे हैं कि इन मुस्लिम बहुल देशों में धार्मिक उत्पीड़न के कारण जिन अल्पसंख्यकों को इन देशों से भागना पड़ा है, उन्हें भारत में शरण और नागरिकता मिलेगी।

 विपक्षी दल दावा कर रहे हैं कि यह धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन है। यह अधिनियम अनुच्छेद 14 का उल्लंघन करता है जो समानता का अधिकार प्रदान करता है। साथ ही यह भी डर है कि अगर कुछ राज्यों में विदेशियों को बसाया गया तो इससे वहां की क्षेत्रीय संस्कृति पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। साथ ही देशभर में इसके खिलाफ माहौल बन रहा है। विरोधियों को यह भी मानना है कि नागरिकता कानून से असम समझौता रद्द हो जाएगा।

ममता बनर्जी ने सीएए के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है । उन्होंने कहा है कि, ‘हम सीएए को न टी स्वीकार करते हैं और न करेंगे।

राजनीतिक विश्लेषक दिलीप मण्डल ने x पर वीडियो जारी कर इसका विश्लेषण किया है –

नागरिकता संशोधन अधिनियम पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के धार्मिक अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान करता है। इन मुस्लिम बहुल देशों के हिंदू, सिख, पारसी, जैन, बौद्ध और ईसाई इस कानून के तहत भारतीय नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं। पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से 31 दिसंबर 2014 से पहले भारत आए धार्मिक अल्पसंख्यक भारतीय नागरिकता के लिए पात्र होंगे।

नागरिकता संशोधन कानून के तहत भारत की नागरिकता हासिल करने की शर्तों में कुछ ढील दी गई है। फिलहाल भारतीय नागरिकता पाने के लिए संबंधित व्यक्ति को कम से कम 11 साल तक भारत में रहना पड़ता है। लेकिन अब इस शर्त को शिथिल कर छह साल कर दिया गया है।

 पहले अवैध तरीके से भारत में घुसने वालों को देश की नागरिकता नहीं मिलती थी। उन्हें घर भेजने के साथ-साथ हिरासत में लेने का भी प्रावधान था। लेकिन नये कानून के कारण संबंधितों को ऐसे अवैध प्रवासन के आरोप से मुक्ति देने की बात कही जा रही है।

नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 पारित होने से पहले, भारत में नागरिकता अधिनियम 1955 अस्तित्व में था। लेकिन अब उस कानून में बड़ा बदलाव कर नया कानून अस्तित्व में लाया गया है। नागरिकता अधिनियम 1955 में भारतीय नागरिकता से संबंधित शर्तों का विवरण दिया गया है।

नागरिकता संशोधन कानून में अब तक पांच बार संशोधन हो चुका है। अधिनियम में 1986, 1992, 2003, 2005 और 2015 में संशोधन किया गया था। इन राज्यों को नागरिकता संशोधन कानून से विशेष छूट दी गई है।नागरिकता संशोधन कानून देशभर में लागू हो गया है। हालाँकि, यह अधिनियम असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के आदिवासी क्षेत्रों में लागू नहीं होगा। साथ ही यह कानून अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड राज्यों में लागू नहीं होगा। मणिपुर को भी नागरिकता संशोधन कानून से छूट दी गई है।

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