वाराणसी : ज्योतिबा फुले के विचारों पर चलकर ही समाज का विकास संभव- रामजी वर्मा
वाराणसी। हरहुआ के कोइराजपुर में आज ज्योतिबा राव फुले का महापरिनिर्वाण दिवस मनाया गया। इस अवसर पर मौजूद वक्ताओं ने स्त्री शिक्षा और विधवा विवाह में फुले जी के योगदान को भी याद किया। यह कार्यक्रम अर्जक संघ वाराणसी की ओर से शक्ति दिवस के रूप आयोजित किया गया था।
कार्यक्रम में बोलते हुए अर्जक संघ के राष्ट्रीय संयुक्त मंत्री रामजी वर्मा ने कहा कि हाथ पर हाथ रखकर बैठने से कुछ नहीं होगा। हमें त्योतिबाफुले जी से प्रेरणा लेते हुए अपने लिए रास्ता तैयार करना होगा। ज्योतिबा जी ने जिस समय दलित और पिछड़े लोगों को शिक्षित करने का बीड़ा उठाया, उस समय उनके साथ कोई नहीं था। उन्होंने महिलाओं के लिए पहला स्कूल खोला। स्कूल में महिला अध्यापक न होने पर उन्होेंने अपनी पत्नी सावित्री फुले को पहले पढ़ाया फिर उनको शिक्षिका के रूप में रखा। आज हमें उनके द्वारा शुरू किए गए आंदोलन में अधिक से अधिक युवाओं को अपने साथ जोड़ने की जरूरत है, चाहे वह हमारे बच्चे ही क्यों न हो। जिससे वे समाज के हर तबके को जागरूक कर सकें। आज भी हमारे लोकों के साथ भेदभाव जारी है।इसके लिए हमें जागरूक होना होगा।
वरिष्ठ अधिवक्ता प्रेम प्रकाश यादव ने इस दौरान अपने वक्तव्य में कहा कि जिस समय ज्यातिबाफुले जी सामाजिक न्याय की लड़ाई लड़ रहे थे उस समय हमारा देश गुलाम था। उस समय हम एक नहीं दो गुलामी के दौर से गुजर रहे थे एक थी अंग्रेजों की गुलामी और दूसरी थी मनुवादी। मनुवादी लोग नहीं चाहते थे कि हम पढ़लिखकर शिक्षित हों और अपने अधिकारों को जाने। आज दलितों – पिछड़ों के अधिकारों को रौदा जा रहा है। मध्य प्रदेश में अभी एक दलित लड़के की पीट पीटकर सिर्फ इसलिए हत्या कर दी गई क्योंकि उसने अपने से ऊंची जाति के आदमी का पानी लेकर पी लिया। आज हमारे बीच में जो भी पढ़ी लिखी बहनें बैठी हुई हैं इसका सारा श्रेय ज्योतिबाफुले को जाता है।
अर्जक संघ के सदस्य पत्तूलाल वर्मा ने अपने सम्बोधन में कहा कि इस कार्यक्रम को करने के पीछे का हमारा मुख्य मकसद ज्योतिबाफुले के विचाारों को जन जन पहुंचाना है। लोगों को जागरूक कर समाज में हो रहे भेदभाव को खत्म करना है। लोग अपने अधिकारों को जाने समझे और अपने हक के लिए लड़ें।
कार्यक्रम में बोलते हुए चौखंडी निवासी उर्मिला देवी कहती हैं आज भी हमारे समाज में ऐसे बहुत सारे लोग हैं जिन्हें ज्योतिबाफुले के बारे में कोई जानकारी नहीं है। हमारा मुख्य मकसद, ऐसे कार्यक्रमों के माध्यम से उन्हें जागरूक किया जाय। इसके लिए अन्य जो भी साधन है उसका भी उपयोग कर लोगों को जागरूक करने का काम करेंगे। समाज को हमें बताना होगा कि हम किसकी बदौलत आज शिक्षित हो रहे हैं। महिलाओं को पढ़ने का हक किसकी बदौलत मिला। विधवा विवाह किसकी बदौलत शुरू हुआ। जब तक हम अपने समाज के महापुरूषों के बारे में जानकारी नहीं रखेंगे हमारे समाज का विकास नहीं हो सकता।
ज्योतिबा राव के विचारों ने समाज को किस तरह से बदला है उसका एक उदाहरण चौखंडी निवासी उर्मिला देवी के रूप में देखने को मिला जो तकरीबन 20 किलोमीटर की दूरी तय करके कार्यक्रम में इस लिहाज से पहुंची कि फुले के विचारों को अगली पीढ़ी तक ले जाया जा सके और सामाजिक बदलाव में अपनी हिस्सेदारी दर्ज की जा सके।
कार्यक्रम में मुख्य रूप से सेवाराम पटेल, कैलाशनाथ पटेल, लालमणि सिंह, मंशाराम वर्मा, राजेन्द्र प्रसाद, जवाहिर प्रसाद सिंह, रामसूरत पटेल, जगतनारायण कश्यप, प्रशान्त वर्मा, जैसे बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।
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