सावित्रीबाई फुले जयंती : राजातालाब के परमन्दापुर गॉव के लोगों ने जन जागरूकता रैली निकालकर शिक्षा के प्रति लोगों को किया जागरूक
वाराणसी। राजातालाब तहसील क्षेत्र के गौर और परमंदापुर गांव में आशा विश्वास ट्रस्ट, समता किशोरी युवा मंच की ओर से शुक्रवार को नारी शिक्षा की अग्रदूत व प्रथम शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की जयंती धूमधाम से मनाई गई। इस अवसर पर यहाँ रैली भी निकाली गईं। इसमें सैकड़ों की संख्या में लोग शामिल थे। मनरेगा मज़दूर यूनियन के संयोजक सुरेश राठौर ने भी कार्यक्रम में पहुंचकर सावित्रीबाई फुले के जीवन पर प्रकाश डाला।
परमंदापुर गांव में आज नारी शिक्षा की अग्रदूत प्रथम शिक्षिका सावित्रीबाई फुले की जयंती मनाई गई। इस अवसर पर रैली का भी आयोजन किया गया, जिसमें सैकड़ों लोगों ने भाग लिया। मनरेगा मज़दूर यूनियन के संयोजक सुरेश राठौर ने भी कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर अपने सम्बोधन में राठौर ने कहा कि माता सावित्रीबाई फुले भारत की पहली महिला शिक्षिका, कवियत्री व समाजसेविका थी, जिनका लक्ष्य बालिकाओं को शिक्षित करना रहा। सावित्रीबाई फुले का जन्म तीन जनवरी 1831 को महाराष्ट्र के एक सैनी परिवार में हुआ था। मात्र नौ साल की आयु में उनकी शादी क्रांतिकारी महात्मा ज्योतिबा फुले से हुई थी। उस वक्त ज्योतिबा फुले मात्र 13 साल के थे। माता सावित्रीबाई फुले को बालिकाओं को शिक्षित करने के लिए समाज का बड़ा विरोध झेलना पड़ा था। 18वीं सदी की बात करें तो उस समय महिलाओं का स्कूल जाना भी पाप समझा जाता था। ऐसे समय में सावित्रीबाई फुले ने जो कर दिखाया, वह कोई साधारण उपलब्धि नहीं थी। उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर 1848 में बालिकाओं के लिए प्रथम विद्यालय की स्थापना की। कार्यक्रम का संचालन सपना ने किया।
इस मौके पर रेनू, सरोज, अनिल, सुरेश राठौर, गुड़िया, रोशनी, कोमल, सपना, काजल, सविता, रेशमा, सपना, रेखा, सगीता, दीक्षा सहित सैकड़ों लोग उपस्थित थे।
प्रेस विज्ञप्ति
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