पलानी मंदिर में गैर-हिन्दुओं को प्रवेश की अनुमति नहीं! उच्च न्यायालय मदुरै शाखा ने दिया कार्रवाई का आदेश
डिंडीगुल, तमिलनाडु। उत्तर भारत ही नहीं बल्कि दक्षिण भारत में भी चल रहा है धार्मिक विभाजन का राजनीतिक खेल। ताजा मामले में तमिलनाडु के डिंडीगुल जिले के पलानी में मुरुगन मंदिर का आया है जहां गैर हिंदुओं के मंदिर में प्रवेश पर रोक की मांग की जा रही है। वर्तमान सरकार ने मंदिर में विभाजित प्रवेश की भावना पर रोक लगाते हुये मंदिर से उस बोर्ड को हटवा दिया था जैस्पर लिखा था कि मंदिर में गैर हिंदुओं का प्रवेश वर्जित है। अब इस मामले में एक मदुरै उच्च न्यायालय का फैसला आया है। मदुरै उच्च न्यायालय ने गैर-हिंदुओं को पलानी मंदिर में प्रवेश नहीं करने और ध्वजस्तंभ को पार नहीं करने देने का आदेश दिया है।
डिंडीगुल जिले के पलानी में मुरुगन मंदिर में एक नोटिस बोर्ड लगा था जिसमें लिखा था कि गैर-हिंदुओं को प्रवेश नहीं करना चाहिए। हालांकि, इस बोर्ड को मंदिर प्रशासन ने हटा दिया था। पिछले साल जून में पलानी के सेंथिल कुमार ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट की मदुरै शाखा में मामला दायर किया था। सबसे प्रसिद्ध पलानी थंडायुथपानी स्वामी मुरुगन मंदिर पलानी में है। इस मंदिर में प्रतिदिन हजारों भक्त आते हैं। मंदिर का रखरखाव हिंदू धर्मार्थ विभाग द्वारा किया जाता है। हिंदू धर्मार्थ विभाग मंदिर प्रवेश नियम अधिनियम 1947 किसी भी धर्म के गैर-हिंदुओं को प्रवेश करने से रोकता है।
तब किसी भी गैर-हिंदू को मंदिर में प्रवेश से रोकने के लिए यह कानून पारित किया गया था। जो लोग देवता में विश्वास नहीं करते हैं और जो वैकल्पिक धर्म में विश्वास करते हैं उन्हें मंदिर में प्रवेश करने की आवश्यकता नहीं है।
इस संदर्भ में, पलानी मुरुगन मंदिर में गैर-हिंदुओं को मंदिर में प्रवेश करने से रोकने वाले नोटिस बोर्ड को वर्तमान कार्यकारी अधिकारी द्वारा हटा दिया गया है। यह हिंदुओं की आस्था पर आघात है। इससे अनावश्यक विवाद पैदा होने की संभावना है। इसलिए कुछ गैर-हिंदुओं ने मंदिर में प्रवेश करने की कोशिश की है। इसके बाद ये बैनर हटा दिए गए हैं। इसलिए गैर-हिंदुओं को पलानी देवस्थानम के तहत पलानी मुरुगन और उप-मंदिरों में प्रवेश पर प्रतिबंध लगाया जाना चाहिए। सेंथिल कुमार ने मांग की है कि आदेश दें कि गैर-हिंदुओं को मंदिर में प्रवेश करने से रोकने वाले बैनर को वापस लगाया जाए।”
तमिलनाडु सरकार लगातार कट्टर हिन्दुत्व का विरोध कर रही है और संविधान विरोधी तरीके से धर्म के आधार पर स्थापित जातीय श्रेष्ठता के खिलाफ समता मूलक समाज की स्थापना का काम कर रही है।
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