संभल की जामा मस्जिद को मन्दिर बताने की याचिका स्वीकार करना असंवैधानिक- शाहनवाज़ आलम
पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन करने वाले जज के खिलाफ़ कार्यवाई करें सीजेआई
लखनऊ। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के सचिव शाहनवाज़ आलम ने संभल की ऐतिहासिक जामा मस्जिद को मन्दिर बताने के दावे को ज़िला अदालत द्वारा स्वीकार कर लिए जाने को पूजा स्थल अधिनियम का उल्लंघन बताया है। उन्होंने याचिका स्वीकार करने वाले जज के खिलाफ़ मुख्य न्यायाधीश से कार्यवाई करने की मांग की है।
कांग्रेस मुख्यालय से जारी प्रेस विज्ञप्ति में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि पूजा स्थल अधिनियम 1991 में स्पष्ट तौर पर कहा गया है कि 15 अगस्त 1947 तक धार्मिक स्थलों का जो भी चरित्र था वो यथावत रहेगा, इसे चुनौती देने वाले किसी भी प्रतिवेदन या अपील को किसी न्यायालय, न्यायाधिकरण (ट्रीब्युनल) या प्राधिकार (ऑथोरिटी) में स्वीकार भी नहीं किया जा सकता।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि जब क़ानून स्पष्ट तौर पर कहता है कि ऐसी कोई याचिका किसी कोर्ट में स्वीकार ही नहीं हो सकती है तो फिर संभल के जिला न्यायालय ने ऐसी याचिका स्वीकार कैसे कर ली। यह स्पष्ट तौर पर असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि अगर निचली अदालतें गैर कानूनी निर्देश देती हैं तो सुप्रीम कोर्ट को ऐसे जजों के खिलाफ़ कार्यवाई करके अनुशासनहीनता पर रोक लगानी चाहिए। अगर सुप्रीम कोर्ट ऐसा नहीं करता है तो यही संदेश जाएगा कि पिछले सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ के कार्यकाल की तरह ही मौजूदा सीजेआई संजीव खन्ना के समय भी आरएसएस और भाजपा के संविधान विरोधी एजेंडे को न्यायपालिका के एक हिस्से का समर्थन मिल रहा है। इससे जनता में न्यायपालिका की छवि खराब होगी।
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