आखिर अमीरों की दुनिया में कहां है गरीबों की जगहॽ
चुनावी चंदे वाले इलेक्ट्रोल बॉन्ड में आखिर किसके लिए खर्च होने वाला पैसा लगा हैॽ ऐसे में जबकि सुप्रीम कोर्ट ने ही चुनावी बॉन्ड को असंवैधानिक घोषित कर दिया है, तो क्या यह पैसा संवैधानिक और सफेद रह गया हैॽ एक तरफ तो सरकार गिना रही है कि बीते दस साल में भारत में गरीबी की दर तेजी से कम हुई है। गरीब देश में कम हो गए हैं।
सरकारी आंकड़ों के हिसाब से 140 करोड़ आबादी में अब सिर्फ 15 फीसदी लोग ही गरीब हैं, यानी बाकी सबको भुखमरी से उबार लिया गया है। अगर ऐसा है तो फिर वे 80 करोड़ लोग कौन हैं जिन्हें मुफ्त अनाज दिया जा रहा है। जो ऐसी स्थिति में हैं, जिन्हें अगर यह अनाज न मिलें तो वे सड़क पर उतर कर संसद को हिला दें। कौन से आंकड़े सच्चे हैं और कौन से झूठे हैं।
दूसरी तरफ देश के मीडिया ने हाल में अंबानी परिवार की प्रे-वेडिंग दिखाई जिसमें करोड़ों-करोड़ रुपया पानी की तरह बहाया गया। कौन सा भारत असली भारत है और कौन से लोग सच्चे भारतीय हैंॽ ऐसे में हाल में नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई फिल्म मर्डर मुबारक में एक एक्ट्रेस कहती हैः गरीबों को मर जाना चाहिए। मगर वह अपनी इस बात पर आगे हंसते हुए सफाई भी पेश करती है। क्या है पूरा मामला, देखिए वीडियो में…
रवि बुले हिन्दी साहित्य के ख्यातिलब्ध कथाकार, फिल्म निर्देशक और फिल्म समीक्षक हैं।
आईने सपने और बसंत सेना तथा यूं न होता तो क्या होता इनके चर्चित कहानी संग्रह तथा दलाल की बीवी इनका बहुपठित उपन्यास है । फिल्म आखेट के निर्देशक के रूप में इन्होंने हिन्दी सिनेमा में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया। मराठी भाषा के कुछ महत्वपूर्ण साहित्य का हिन्दी अनुवाद भी आपने किया है।