मण्डल विरोधी भाजपा नहीं हो सकती वंचित वर्ग की हितैषी-लौटन राम निषाद

भाजपा, बसपा ने अतिपिछड़ी जातियों के साथ किया छल-कपट व धोखा
बदलापुर (जौनपुर)। राष्ट्रीय निषाद संघ के राष्ट्रीय सचिव चौ. लौटनराम निषाद ने बदलापुर विधानसभा क्षेत्र के बड़ेरी, रामनगर और बबुरा में आयोजित निषाद चौपाल को सम्बोधित करते हुए भाजपा व बसपा पर 17 अतिपिछड़ी जातियों के साथ छल-कपट व धोखा करने का आरोप लगाया। उन्होंने भाजपा पर निषाद सहित 17 अतिपिछड़ी जातियों के साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाते हुए कहा कि योगी सरकार ने सपा सरकार के समय 22 व 31 दिसंबर,2016 की अधिसूचना के सम्बंध में न्यायालय के निर्णय का अनुपालन न कर सोची समझी रणनीति के तहत संविधान के अनुच्छेद- 341 का उल्लंघन करते हुए 24 जून,2019 को अधिसूचना जारी कराया।
भाजपा व योगी ने अपने ही कार्यकर्ता गोरख प्रसाद से चुपके चुपके याचिका योजित कराकर 17 सितम्बर,2019 को स्टे करा दिया और बाद में प्रस्ताव को वापस लेकर आरक्षण मुद्दे को खत्म कर दिया। निषाद पार्टी के अध्यक्ष व मत्स्य मंत्री संजय निषाद पर निशाना साधते हुए कहा कि इसने निषाद के साथ ब्लैकमेलिंग किया। निषाद समाज ने भीड़ और चंदा दिया, पर ज़ब चुनाव का समय आया तो ज्ञानपुर,कटेंहरी,सुल्तानपुर, शाहगंज,अतरौलिया,मेंहदावल, बांसडीह,खड्डा,कालपी,हड़िया, तमकुहीराज से सामंती जातियों को टिकट बेच दिया।
निषाद चौपाल को सम्बोधित करते हुए लौटनराम निषाद ने कहा कि बसपा सुप्रीमो मायावती ने मुलायम सिंह यादव सरकार द्वारा 10 अक्टूबर, 2005 को जारी कराये गए शासनादेश को स्थगित कराने के लिए उच्च न्यायालय लखनऊ खण्डपीठ में जोगीलाल प्रजापति, चन्द्रप्रकाश बिन्द, प्रगतिशील प्रजापति समाज समिति व इलाहाबाद खण्डपीठ में डॉ. बी.आर. अम्बेडकर ग्रन्थालय व एवं जनकल्याण समिति गोरखपुर से याचिका योजित कराकर स्टे करा दिया। 2007 में मुख्यमंत्री बनने पर पहली ही कैबिनेट बैठक में 30 मई, 2007 को केंद्र के पास 17 अतिपिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति में शामिल करने सम्बन्धित विचाराधीन प्रस्ताव को वापस मंगाकर निरस्त करने का निर्णय लिया। 6 जून,2007 को केंद्र सरकार से प्रस्ताव को वापस मंगाकर निरस्त कर दिया। निषाद ने कहा कि जब योगी सांसद थे,उस समय कई बार निषाद,मल्लाह, केवट,बिन्द,धीवर,मांझी ,गोड़िया, कहार आदि को अनुसूचित जाति में शामिल करने का मुद्दा उठाये। 3 जुलाई,2015 को गोरखपुर के निषाद मछुआरा सम्मेलन में कहा था कि-निषादों के मान-झम्मन, अधिकार व आरक्षण की लड़ाई अब भाजपा लड़ेगी।भाजपा नेता कहते थे कि प्रदेश में भाजपा की सरकार बनने पर प्रस्ताव भेजकर अनुसूचित जाति का दर्जा दिलाया जाएगा।पर,अब योगी व भाजपा निषाद व अतिपिछड़ी जातियों के साथ विश्वासघात व वादाखिलाफी कर रहे हैं।

निषाद ने कहा कि भाजपा चुनाव के समय श्रीराम-निषादराज की मित्रता का गुणगान करती है, लेकिन सत्तासीन होने के बाद निषाद जातियों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार करने लगती है। संजय निषाद को भाजपा के हाथ की कठपुतली बताते हुए कहा कि इसने आरक्षण के नाम पर निषाद मछुआरा समाज को झूठा सपना दिखाकर सिर्फ पारिवारिक हित साधने में जुटा हुआ है। प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना व मुख्यमंत्री मत्स्य संपदा योजना के नाम पर भोले-भाले अशिक्षित निषाद मछुआरों से संजय निषाद के कमीशन एजेंट अनुदान और छूट का लालच दिखाकर खूब लूट किये। जब जब भाजपा की प्रदेश में सरकार बनी,उसने निषाद समाज के परम्परागत अधिकारों को सार्वजनिक कर माफियाओं के हाथों नीलाम कर पुश्तैनी पेशेवर जातियों की रोजी-रोटी छीनने का ही काम किया है।राम-निषादराज की मित्रता की भाजपा द्वारा चर्चा सिर्फ राजनीतिक नाटकबाजी व निषाद वोटबैंक पर डकैती का तरीका है।सपा सरकार ने 5 अप्रैल को निषादराज जयंती के लिए सार्वजनिक अवकाश घोषित किया था जिसे मुख्यमंत्री बनते ही योगी ने रद्द कर दिया। 2027 के विधान सभा चुनाव में निषादराज के वंशज भाजपा की चुनावी नैया को डुबाने का काम करने के लिये एकजुट हों। उन्होंने भाजपा के सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास सबका प्रयास नारे को ढोंग और पाखंड बताते हुए कहा कि सबका साथ लेकर सिर्फ अपनों का काम कर रही है। जिस भाजपा ने मण्डल कमीशन का विरोध करने के लिए कमंडल राजनीति की शुरुआत कर ओबीसी आरक्षण का विरोध किया,पिछड़ों वंचितों की हितैषी नहीं हो सकती है।भाजपा लोकतंत्र, संविधान व सामाजिक न्याय की कट्टर विरोधी है।
निषाद चौपाल का आयोजन गुलाब चंद्र निषाद प्रधान, मुकुंदलाल निषाद, सुरेश कुमार बिन्द और अध्यक्षता देवमुनी निषाद, उमाशंकर केवट व प्यारेलाल निषाद प्रधान ने किया। चौपालों को शिवमूरत निषाद, रामनवल बिन्द, धर्मराज बिन्द, राधेश्याम निषाद, धर्मू बिन्द, राजनाथ निषाद ने भी सम्बोधित किया।

‘न्याय तक’ सामाजिक न्याय का पक्षधर मीडिया पोर्टल है। हमारी पत्रकारिता का सरोकार मुख्यधारा से वंचित समाज (दलित, पिछड़े और अल्पसंख्यक) तथा महिला उत्पीड़न के खिलाफ आवाज उठाना है।