सभी देशवासियों को 78 वें स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामना और बधाई
अक्षर और उम्मीद दोनों में हमारे हिस्से का सबसे जरूरी और महत्वपूर्ण शब्द आजादी है। भारत के लोगों के लिए यह शब्द बहुत ही व्यापक हो जाता है। दरअसल यहाँ के बहुसंख्यक लोगों के लिए गुलामी सिर्फ विदेशी आक्रान्ताओं से मिली हुई जंजीर नहीं थी बल्कि यहाँ हमवतन लोगों से मिली जातीय गुलामी भी थी और इस जातीय गुलामी से अब तक इस देश को सम्पूर्ण स्वतंत्रता नहीं मिल पाई है।
15 अगस्त 1947 को विदेशी ताकतों से देश आजाद हो गया यह एक देश के रूप में हमारे लिए गर्व का विषय है और इसका जश्न भी हम मना रहे हैं । इस आजादी की वर्षगांठ की सभी देशवासियों को अशेष शुभकामनाएं, मुबारकबाद और बधाई।इस आजादी के उत्सव में हम अपने उन तमाम शहीदों के प्रति भी कृतज्ञता व्यक्त करते हैं जिन्होंने खुद को दांव पर लगाकर हमें आजाद देश का नागरिक होने का अवसर दिया। न्याय तक परिवार उन सभी का नमन करता है और उन्हें सादर श्रद्धाञ्जलि देता है।
इस आजादी के बावजूद भी देश के तमाम नागरिक आजादी के 78 साल भी अपने हिस्से की आजादी नहीं पा सके हैं, संवैधानिक रूप से सभी को समानता का अधिकार भले ही मिल गया हो पर आज भी देश में जाति तंत्र में लिपटी हुई एक गुलामी कायम है। आज भी दलित, पिछड़ा और स्त्री समाज अपने बराबरी के दर्जे से बहुत दूर हासिए पर खड़ा है। जिसे धार्मिक नियमावली के सहारे आज भी दोयम दर्जे के रूप में देखा जा रहा है। जिसके हक और सम्मान पर लगातार हमला किया जा रहा है। आजादी की इस वर्षगांठ का सबसे खूबसूरत उत्सव तभी अपना रूप ग्रहण कर सकेगा जब इस देश का हर नागरिक समानता, सम्मान और देश के संसाधनों पर अपनी सामाजिक हिस्सेदारी के अनुरूप भागीदारी पा लेगा।
आजादी को मानव जीवन का सबसे खूबसूरत शब्द महसूस करते हुए इसे बचाए रखने का और जो अब तक नहीं मिली है उस आजादी को प्राप्त करने का यत्न सफलीभूत हो मंगलकामना।
कुमार विजय
संपादक -न्यायतक
दो दशक से पत्रकारिता, रंगमंच, साहित्य और सिनेमा से सम्बद्ध। न्याय तक के संपादक हैं।
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