चंदे के नाम पर गुंडई कर रहे हैं बीएचयू के छात्र, भयभीत हैं दुकानदार और खामोश है सरकार
वाराणसी। एक लोकतान्त्रिक देश की स्वतंत्र चेतना का राजतंत्रात्मक आस्था में बदलना हमेशा ही फासीवादी ताकतों को मजबूत बनाता है। ऐसे में आस्था की कठपुतली बनते समाज के लोग उन्माद में अपने समाज के खिलाफ ही अपनी धार्मिक कुंठाओं का हिंसक प्रदर्शन करने से भी नहीं चूकते। इस बात का ताजा सबूत सामने आया है बनारस हिंदू विश्वविद्यालय में जहाँ सरस्वती पूजा की चंदा के नाम पर परिसर और आसपास की दुकानों के दुकानदारों को छात्रों द्वारा परेशान किया जा रहा है।
काशी हिंदू विश्वविद्यालय स्थित बिरला सी छात्रावास में सरस्वती पूजा के चंदे को लेकर छात्रों द्वारा लगातार दूकानदारों को परेशान करने की खबरें मिल रही हैं। बीएचयू अस्पताल परिसर में स्थित उमंग फार्मेसी के एक एमआर को छात्रों द्वारा जिस तरह से पीटा गया वह एक शैकक्षिक परिसर में धर्मांधता की हिंसक परिणिति का खतरनाक उदाहरण बनता दिख रहा है।
छात्र जिन्हें समाज का सबसे ज्यादा विनम्र वर्ग होना चाहिए वह धर्म के आवेश में हिंसक बन रहा है यह दुखद है। इसके साथ यह भी बड़ा प्रश्न है कि राज्य की सुरक्षा व्यवस्था क्या इतनी कमतर हो चुकी है कि कोई भी भीड़ की शक्ल में किसी को भी पीट देने के लिए स्वतंत्र महसूस कर रहा है। प्राप्त जानकारी के अनुसार लगभग 15 की संख्या में पहुंचे छात्रों ने उमंग फार्मेसी पर चंदे की मांग को लेकर हंगामा करना शुरू कर दिया। फार्मेसी के कर्मचारियों ने इस हुड़दंग के डर से अंदर से दरवाजा बंद कर लिया जिसके बाद छात्रों ने बाहर से दवा काउंटर बंद करा दिया। थोड़ी देर बाद दवा कंपनी के एक एमआर ने कुछ पूछा तो उसको छात्र अंदर से बाहर लाए और दौड़ाकर पीटना शुरू कर दिया। घटना स्थल पर बीएचयू के सुरक्षाकर्मी भी मौजूद थे पर उन्होंने पूरे मामले को रोकना तो दूर पीटे जा रहे एमआर को बचाने का भी कोई प्रयास नहीं किया।
राजनीति को धर्म के साथ जोड़कर सत्ता पाने का जो आखाडा तैयार किया जा रहा है वह निश्चित रूप से एक ऐसा युवा समाज तैयार करने में लगा हुआ है जो धर्म के अतिरिक्त महिमामंडन के लिए मनुष्यता को भी दांव पर लगाने को तैयार खड़ा दिख रहा है।
घटना के उपरांत मौके पर पहुंची लंका पुलिस ने सीसीटीवी में कैद घटना के आधार पर उमंग फार्मेसी से तहरीर देने की बात कही। उमंग फार्मेसी ने एक लाख रुपये जबरदस्ती चंदा के नाम पर मांगने की लंका थाने पर तहरीर दी है। इसके पहले लंका स्थित अन्य दवा की दुकानों और दुकानदारों से पर्ची देकर जबरदस्ती चंदा वसूल किया जाने का मामला भी सामने आया था।
बीएचयू में कार्यक्रम के दौरान होने वाले हंगामे को लेकर प्रशासन पहले से ही काफी सतर्क है जिसके लिए प्रशासन ने बीएचयू को लिखित रूप से पूजा के अलावा अन्य कार्यक्रम के लिए मना कर दिया था। इंस्पेक्टर लंका भारत भूषण तिवारी और सीओ भेलूपुर ने सरस्वती पूजा को भी बिरला हॉस्टल के कैम्पस में कराने को कहा था लेकिन बीएचयू प्रशासन ने पूजा के अलावा कार्यक्रम की अनुमति बिरला के सामने वाले मैदान में करने की अनुमति दे दी।
खबर के मुताबिक जिन वॉलंटियर्स का नाम आयोजक के रूप में दिया गया है आरोप है कि वही उमंग फार्मेसी चंदा वसूलने भी गए थे।
बीएचयू चौकी प्रभारी अमरेंद्र पांडेय ने बताया कि बीएचयू की तरफ से कार्यक्रम के लिए फोर्स की जो अनुमति मांगी गई है उसमें भी बवाल की आशंका दिखाई गई है। इसके बाद भी इस तरह के आयोजन की अनुमति देना समझ से परे है। बीएचयू चौकी प्रभारी ने बताया कि बीएचयू प्रशासन को पहले से ही कंस्ट्रक्शन का काम कराने वालों के साथ ही उमंग और सीसीडी जैसे जगहों पर सुरक्षा कर्मी लगाने की मांग की गई थी। इसके बावजूद किसी जगह सुरक्षा कर्मी नही लगाए गए। लोगों को यह बताया गया है कि जब छात्र दबाव बनाने आएं तो कंट्रोल रूम को सूचना दीजिए।
स्थानीय व्यापारियो का कहना है कि चन्दे की यह वसूली धीरे-धीरे रंगदारी की शक्ल में तब्दील हो चुकी है। बीएचयू परिसर में होने वाले कार्यक्रम के लिए पहले यहां और आसपास के दुकानदार स्वेच्छा से चन्दा देते थे लेकिन इधर कुछ सालों से इसे धंधा बना लिया गया और मनमाने तरीके से पर्ची छपवाकर चंदा के नाम पर जबरदस्त वसूली की जा रही है।
ट्रामा सेंटर में कंस्ट्रक्शन का काम कर रहे ठेकेदार और कंपनी से एक लाख की मांग की गई जिसके बाद लोगों ने पुलिस की शरण ली तब जान बची। एक अन्य कंस्ट्रक्शन का काम करने वाले ठेकेदार से भी इसी तरह रंगदारी की मांग करने का ऑडियो भी वायरल हुआ।
लंका स्थित दुकानों से चंदे को लेकर बवाल के बाद दुकानदारों ने दुकान बंद कर प्रदर्शन शुरू किया। दुकानदारों का कहना है कि दर्जन भर लड़के आकर मनमानी पर्ची काटकर प्रताड़ित कर रहे हैं और पुलिस की भी धमकी देते हैं। दूकानदारों का कहना की आए दिन इस तरह की मांग से भय का माहौल बना रहता है।
दुकानदारों ने शनिवार को 11-11 हजार रूपये प्रति दुकान चन्दा देने के दबाव और फार्मासिस्ट की पिटाई की घटना को लेकर दुकाने बंद रखीं और विश्वविद्यालय प्रशासन से कार्रवाई की मांग की।
यह खबर सहजता भले ही सामान्य लग रही हो पर यह उतनी सामान्य खबर नहीं है। जब भारत का भविष्य धार्मिक उन्माद में हिंसक हो रहा हो, अपने आस-पास के दूकानदारों से गिरोह की शक्ल में रंगदारी की तरह चन्दा वसूल रहा हो और ना मानने पर मारपीट करने पर टूल रहा हो तो यह चिंतित करता है।
इसके पीछे की वजह तलाशनी होगी। यह वजह शुद्ध रूप से संघ की उस भट्ठी में पकी हुई मिलेगी जिसमे छात्रों को व्हाटसअप्प से सिखाया जा रहा है और विश्वविद्यालय को हिंसक गतिविधियों के केंद्र में बदला जा रहा है।
वाराणसी जिसकी सबसे सम्मानित पहचान बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय है वह लगातार अपराध की पाठशाला में बदल रहा है। युवा अपने भविष्य के संकट से अंजान धर्म की जिस आराजक तरीके से आलमबरदारी कर रहा है वह उसे एक बेहतर मनुष्य नहीं बनने देगी।
धार्मिक होना स्वेच्छा का मामला है पर अपने धार्मिक ध्वज को मजबूत बनाने के लिए हिंसक होना निश्चित रूप से असंवैधानिक है और इस तरह की आपराधिक गतिविधियों में जिस तरह से बढ़त दिख रही है उससे यह सरकार के कमजोर कानून व्यवस्था की कलई भी खोलता है।