परीक्षाओं में धांधली और पर्चा लीक के खिलाफ़ दिशा छात्र संगठन ने छित्तूपुर, शीर गोवर्धन और हैदराबाद गेट पर निकाला पैदल मार्च

परीक्षाओं में धांधली और पर्चा लीक के खिलाफ़ दिशा छात्र संगठन ने छित्तूपुर, शीर गोवर्धन और हैदराबाद गेट पर निकाला पैदल मार्च

वाराणसी। देश भर में लगातार हो रहे पर्चा लीक और परीक्षाओं में धांधली के खिलाफ आज दिशा छात्र संगठन की ओर से छित्तूपुर, शीर गोवर्धन और हैदराबाद गेट के इलाक़े में पैदल मार्च निकाल कर जगह-जगह नुक्कड़ सभाएं की गईं। इस दौरान परीक्षाओं में धांधली पर रोक लगाने, दोषियों को सजा दिलाने, खाली पदों पर भर्ती निकालने आदि मांग उठाई गई।

सभा को सम्बोधित करते हुए दिशा छात्र संगठन के अमित ने कहा कि उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्यप्रदेश, राजस्थान, दिल्ली, हरियाणा, तेलंगाना सहित देश के हर राज्य में अन्धाधुन्ध पेपर लीक हो रहे हैं और धांधली हो रही है। शायद ही किसी प्रतियोगी छात्र को किसी परीक्षा में धांधली न होने या पेपर लीक न होने का भरोसा बचा हो। पेपर लीक और धांधली होना अब नियम बन चुका है। भर्ती निकलने से लेकर फ़ॉर्म भरने, परीक्षा देने, परिणाम आने और नियुक्ति होने तक सालों लग जाते हैं। कई बार परीक्षा ही रद्द हो जाती है। भ्रष्टाचार ख़त्म करने की गारण्टी देने वाली मोदी सरकार के शासनकाल में 80 से ज़्यादा पर्चे लीक हो चुके हैं, दर्ज़नों परीक्षाओं को टाला जा चुका है और दर्ज़नों मामलों में छात्र सुप्रीमकोर्ट, हाईकोर्ट के चक्कर काट रहे हैं ।

अमित ने कहा, एक अनुमान के मुताबिक़ पिछले सात सालों में पर्चा लीक और परीक्षाओं में धाँधली की वजह से 1 करोड़ 80 लाख से ज़्यादा छात्र प्रभावित हुए हैं और लाखों छात्र अवसाद और निराशा में आत्महत्या तक के क़दम उठा रहे हैं। इतने बड़े पैमाने पर हो रही धाँधली में अब तक सरकार और इसकी तमाम एजेंसियों ने जाँच के नाम पर केवल लीपापोती ही की है। हर बार ऐसी घटनाओं के बाद बयानबाज़ी और लफ्फाज़ी का दौर शुरू होता है। कुछ छोटे-मोटे कर्मचारियों, कुछ छात्रों को इसका ज़िम्मेदार ठहराकर पूरे मामले को ठिकाने लगा दिया जाता है और बहुत सफाई के साथ असली अपराधियों को बचा लिया जाता है। यही वजह है कि मोदी सरकार के शासनकाल में अब तक इस मामले में न तो कोई बड़ी गिरफ्तारी हुयी है और न ही कोई कार्यवाई हुई है।
भविष्य की अनिश्चितता के कारण छात्र-युवा और अभिभावक हर क़ीमत पर अपने भविष्य को सुरक्षित कर लेना चाहते हैं। इसी बढ़ती असुरक्षा का फ़ायदा शिक्षा माफ़िया उठाते हैं और शासन में अपनी पकड़ का इस्तेमाल कर छात्रों के भविष्य का सौदा कर करोड़ों रुपये बना रहे हैं। पर्चा लीक या धाँधली आम छात्रों के बस की बात नहीं है‌। सच्चाई यह है कि बिना नेताओं, अधिकारियों, शिक्षा माफ़ियाओं की मिलीभगत के इस तरह का, कोई भ्रष्टाचार का तन्त्र पनप ही नहीं सकता। मार्च में ध्रुव, मुकुल, ज्ञान, मुकेश, मनोज आदि शामिल रहे।

  1. पेपर लीक मामले की तत्काल जाँच करायी जाय, और साथ ही हर तरह के भ्रष्टाचार पर रोक लगायी जाय।
  2. पर्चों की छपाई निजी प्रेसों की जगह सरकारी प्रेसों के माध्यम से करवायी जाय।
  3. जिन परीक्षाओं में धाँधली हुई है, उससे प्रभावित छात्रों के नुकसान का मूल्यांकन कर उचित मुआवज़ा दिया जाय।
  4. उदारीकरण-निजीकरण की नीतियों को वापस लिया जाए और सभी सरकारी विभागों में खाली पड़े पदों को तत्काल भरा जाय।
  5. भगतसिंह राष्ट्रीय रोज़गार गारण्टी क़ानून पारित करके सबको पक्के रोज़गार की गारण्टी की जाय।
  6. सबको एकसमान व निःशुल्क शिक्षा और सबको रोज़गार की गारण्टी को मूलभूत अधिकारों में शामिल करो.
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