झूठ बोल रहे हैं नरेंद्र मोदी, कांग्रेस के घोषणा पत्र में कहीं नहीं है हिन्दू-मुसलमान का जिक्र
आज की सामाजिक / राजनीतिक परिस्थितियों के चलते, जब मैं अपने शिक्षाकाल पर नजर डालता हूँ तो याद आता है कि जब मैं बी ए में अध्ध्यनरत था तो मेरे विषयों में सामाजिक शास्त्र विषय भी शामिल था। विदित हो कि 70 के दशक में सामाजिक शास्त्र में राजनीतिक शास्त्र का थोड़ा-बहुत हिस्सा भी पढ़ने को मिलता था। सो सामाजिक शास्त्र अरस्तू के बारे में भी कुछ थोड़ा-बहुत पढ़ने को मिला था।
अरस्तू ने कहा था कि लोकतंत्र मूर्खों का शासन है।।क्योंकि अगर मूर्खों की संख्या ज्यादा होगी तो मूर्ख ही शासन करेगा। इसी क्रम में यह भी उल्लिखित था कि लोकतंत्र की प्राप्ती के प्रथम समय मे समाज के वैचारिक रूप से समृद्ध और ईमानदार लोग सत्ता में शामिल होते हैं और जैसे-जैसे लोकतंत्र की उम्र बढ़ती जाती है तो राजनेताओं धर्म-ईमान सब बदलता चला जाता है और सत्ता में नेताओं के गिरते आचरण के चलते सत्ता निरंकुश होती चली जाती है।
सबसे बड़ा कारण ये होता है कि हमारे देश में कलक्टर, डॉक्टर, पुलिस अधीक्षक, न्यायाधीश, सेनाध्यक्ष, वैज्ञानिक परीक्षा के बाद ही चुने जाते हैं किंतु देश की बागडोर जैसे अनगढ़ों/अनपढ़ों के हाथ में चलती चली जाती है। क्यों? गांव वार्ड सदस्य, सरपंच, प्रधान, विधायक, नगर पालिका का पार्षद, नगर पालिका का अध्यक्ष, नगर निगम का मेयर, संसद के सदस्य, लोकसभा के सदस्य, यहां तक कि मंत्री, मुख्यमंत्री और प्रधानमंत्री का भी यही हाल है। आखिर इनकी परीक्षा क्यों नहीं ली जाती? क्या इस देश का रक्षा मंत्री सेना में था? देश का स्वास्थ्य मंत्री डॉक्टर क्यों नहीं? देश का शिक्षा मंत्री अध्यापक क्यों नहीं? इस प्रकार बढ़ती उमर के साथ-साथ लोकतंत्र जैसे मूर्खों के हाथों में चला जाता है।
प्लेटो ने तो यहाँ तक कहा था कि लोकतंत्र से ही तानाशाही जन्म लेती है। आज़ादी की अधिकता ये एक ऐसा विचार है जिसे स्वीकार करना बहुत मुश्किल है। बात ये है कि जब लोगों को आज़ादी मिलती है तो वे और ज़्यादा आज़ादी चाहते हैं। अगर हर कीमत पर सत्ता सुख भोगना मात्र एक लक्ष्य शेष रहता है तो आज़ादी की अधिकता गुटों और मत-भिन्नता को जन्म देती है। इनमें से ज़्यादातर तत्वों को संकीर्ण हितों की वजह से सुख दिखाई नहीं देता। ऐसे में जो भी नेता बनना चाहेगा है, उसे इन गुटों को संतुष्ट करना पड़ता है। इनकी भावनाओं का ध्यान रखना पड़ता है और ये किसी भी तानाशाह के फलने-फूलने के लिए मुफीद स्थिति है। क्योंकि वह लोकतंत्र पर नियंत्रण करने के लिए जनता को भ्रमित करता है।
यही नहीं, असीम आज़ादी एक तरह से उन्मादी भीड़ को जन्म देती है। ऐसा होने पर लोगों का शासक में भरोसा कम होता है। लोग परेशान होने लगते हैं। और उस शख़्स को अपना समर्थन देते हैं जो कि उनके डरों को पालता – पोसता है और स्वयं को उनके रक्षक के रूप में पेश करता है। ऐसा राजनेता/ व्यक्ति स्वयं को हर समस्या का हल बताता है। और जैसे ही जनता इस शख़्स को एक समाधान के रूप में देखकर उत्साहित हो जाती है, ऐच्छिक लोकतंत्र स्वयं को जल्दबाज़ी में ख़त्म कर लेता है।” यह भी इस तरह के नेता “सामान्य रूप से वर्तमान समय से तालमेल बनाकर रखने का हर अच्छा-बुरा काम करने से बाज नहीं आते है। वह एक आज्ञाकारी भीड़ पर अधिकार जमा लेते हैं और उस भीड़ में से जो धनी लोग होते हैं सत्ता मे अप्रत्यक्ष रूप से गठजोड़ करके भ्रष्टाचार के रास्ते पर आ जाते है।
यथोक्त के आलोक में, हमारी आज की राजनीतिक , सामाजिक और आर्थिक के निरंकुश रूप को देखते हुए अरस्तु के अबलोकन पर कोई शक करने की गुंजाइश नजर ही नहीं आती। क्योंकि लोकतंत्र चुनाव प्रक्रिया धीरे-धीरे लोकतांत्रिक न होकर जनमत संग्रह जैसा होता चला जाता है। अपने देश में आज कमोबेश ऐसी ही स्थिति बन गई है। और लोकतंत्र को इस हालत में आने की समयावधि ज्यादा पुरानी नहीं है। यह सब पिछ्ले नौ-दस साल का ही खेल है। हमारे देश में 2024 में होने वाले चुनावों का दौर शुरू हो गया है। सत्तासीन राजनीतिक दल और विपक्षी राजनीतिक दलों की प्राथमिकता में यूँ तो सता हासिल करना ही है किंतु दोनों कईं रास्तों में भयंकर अंतर देखने को मिल रहा है। विपक्षी राजनीतिक दल जैसे-जैसे एक सूत्र मे बंधने का प्रयास करने लगता है, वैसे-वैसे सत्ता पक्ष उनमें फूट डालने का कुछ भी प्रयास करता है। विपक्ष पर झूठे आरोप लगाने का रुख अपनाने धिनौना खेल करता है। इस संबंध में मैं कुछेक ताजा उदाहरण पेश हैं।
22 अप्रैल, 2024, राजस्थान के बांसवाड़ा में प्रधानमंत्री ने कांगेस के न्याय पत्र को लेकर न जाने क्या-क्या अनर्गल आरोप लगाए उनकी कुछ बानगी यहा दी जा रही है। मोदी जी ने आरोप लगाया की जब मनमोहन सिंह जी प्रधान मंत्री थे तो उन्होंने ने देश के संसाधनों पर मुस्लिमों का पहला हक बताया। मोदी जी ने अपने बयान में सबसे पहले आरोप लगाया कि जब कांग्रेस में थी तो उन्होंने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला हक मुसलमानों का है। इसका मतलब यह है कि हम यह संपत्ति किसे बांटेंगे? हम इसे उन लोगों में बांटेंगे जिनके ज्यादा बच्चे हैं।’ हम इसे उन लोगों में बांटेंगे जिनके ज्यादा बच्चे हैं।‘
कितना झूठ बोल रहें हैं नरेंद्र मोदी
मोदी जी ने आगे कहा कि कांग्रेस ने न्याय पत्र में कहा है कि हम इसे उन लोगों में बांटेंगे जिनके ज्यादा बच्चे हैं।’ वे जनता से सवाल पूछ्ते है कि क्या आपकी मेहनत से कमाया हुआ पैसा उन लोगों को मिलेगा जिनके ज्यादा बच्चे होंगे? क्या आप इसे स्वीकार करते हैं? यही तो कांग्रेस का घोषणा पत्र कह रहा है। हम इसे उन लोगों में बांटेंगे जिनके ज्यादा बच्चे हैं।’ जो सरासर झूठ है। मोदी जी ने कई बार अपने बयान को दोहराया कि इसका मतलब यह है कि संपत्ति उन लोगों को वितरित की जाएगी जिनके अधिक बच्चे हैं। धन गरीबों में बांटा जाएगा। क्या आपकी मेहनत की कमाई गरीबों को दी जाएगी? क्या आप इससे सहमत हैं? ये कांग्रेस का घोषणा पत्र है। मां-बहनों की संपत्ति का हिसाब लेंगे। वे धन इकट्ठा करेंगे। और फिर वे धन बाँट देंगे। और बांटेंगे उनको जिनको मनमोहन सिंह की सरकार ने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला हक मुसलमानों का है। भाइयों और बहनों, ये अर्बन नक्सलवाद कांग्रेस के मंगल सूत्र को भी टिकने नहीं देगा। वे इतनी दूर तक जाएंगे।
मोदी जी के इस भाषण में कई झूठ हैं। लेकिन नफरत एक के खिलाफ होती है। कांग्रेस के घोषणा पत्र को लेकर झूठ है। जनसंख्या को लेकर झूठ है। मंगल सूत्र के बारे में झूठ है। संपत्ति के बंटवारे को लेकर झूठ है। और मुसलमानों से नफरत है। हाउसिंग सोसायटी के अंकल पूरे दिन व्हाट्सएप यूनिवर्सिटी कई जरिए फैलाए गए ऐसे झूठों को और ज्यादा फैलाने का काम करते हैं। जिन चाचाओं को मुसलमानों के खिलाफ नफरत फैलाने में 10 साल लग गए, उनकी भी हालत बहुत खराब है। लेकिन अब वे इस नफरत के बिना नहीं रह सकते, ऐसा लगता है।
अब तो लगने लगा है कि जब तक भारतीय पीएम मोदी झूठ नहीं बोलेंगे और नफरत फैलाने वाले भाषण नहीं देंगे तो उनका भाषण पूरा नहीं होगा। आमतौर पर प्रधानमंत्रियों के भाषणों की समीक्षा की जाती है। लेकिन मोदी हमेशा से ऐसे प्रधानमंत्री रहे हैं जिनके हर भाषण में झूठ और नफरत झलकती रही है। यदि कोई मुसलमान उनके भाषण में भाग नहीं लेता तो ऐसा नहीं लगता कि यह उनका भाषण है। वे खुद साबित कर रहे हैं कि उनकी राजनीति का आधार इसी नफरत पर आधारित है। इसी के सहारे वे चुनाव जीतते रहे हैं। इसके बिना वे जीत नहीं सकते। राजस्थान के बांसवाड़ा में प्रधानमंत्री का बयान न सिर्फ शर्मनाक और झूठा है, बल्कि हेट स्पीच की श्रेणी में भी आता है।
हेट स्पीच पर सुप्रीम कोर्ट कई बार सख्त टिप्पणी और आदेश दे चुका है। प्रधानमंत्री मोदी वोट के लिए ऐसे कई बयान दे चुके हैं। कभी कपड़ों से पहचान की बात तो कभी इशारों-इशारों में उन्होंने कुछ और ही कहा है कि मोड़ी जी मुस्लिम, मुस्लिम लीग, मस्जिद के बिना एक भी भाषण नहीं दे सकते। हमने पिछले वीडियो में भी बताया है कि अगर प्रधानमंत्री के भाषण को संदर्भ से बाहर कर दिया जाए तो कुछ नहीं बचता। प्रधानमंत्री मोदी ने ये बयान राजस्थान के बांसवाड़ा में दिया है।
बांसवाड़ा की जनसंख्या 200,000 से भी अधिक है । जनसंख्या के आधार पर बांसवाड़ा में बहुत गरीबी है, लोगों की आय कम है, कुपोषण की गंभीर समस्या है। ऐसी जगह पर उन्हें बताना चाहिए था कि आपकी आमदनी कैसे बढ़ेगी। 10 साल में मोदी जी इनकी आमदनी क्यों नहीं बढ़ा सके? सवाल यह भी है कि क्या राजस्थान के इन जिलों का विकास मुसलमानों या मुस्लिम लीग की बातों से हो सकता है? बांसवाड़ा के प्रधानमंत्री का भाषण बता रहा है कि वे मुसलमानों के खिलाफ नफरत भरी बातें किए बिना भाषण नहीं दे सकते। यही उनकी राजनीति का मूल है। इससे मतदाता को सदमा लग रहा है। ट्विटर पर अनेक नागरिक चुनाव आयोग को टैग कर सवाल पूछ रहे हैं।
कई लोग इस भाषण को लेकर प्रधानमंत्री के खिलाफ मामला दर्ज करने की मांग कर रहे हैं। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार, चुनाव आयुक्त ज्ञानेश कुमार, चुनाव आयुक्त सुकबीर सिंह संधू हैं जो इस मुद्दे पर मूकदर्शक बने हुए हैं। लोग पूछ रहे हैं कि क्या चुनाव आयोग सख्त कदम उठाएगा या इसे नजरअंदाज कर देगा? वह यदि कदम उठाएगा तो कब कदम उठाएगा? चुनाव के तुरंत बाद या उसके बाद कोई कदम नहीं उठाएगी? क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विकास के विषय पर चुनाव नहीं जीता जा सकता? उनके लिए यह अहम है कि मामला भावनात्मक है। 2019 में पुलवामा के बाद शहीदों के नाम पर वोट मांगा गया। और सत्ता हासिल कर ली।
यहाँ पुलवामा के शहीदों की पत्नियों के मंगल सूत्र का भी सवाल उठना स्वाभाविक ही है। लोग यह भी पूछ रहे हैं कि पूर्व राज्यपाल और सत्यपाल मलिक के आरोपों की जांच क्यों नहीं की गई? अगर मोदी जी को जनता की इतनी ही चिंता है तो पुलवामा के मसले पर प्रधानमंत्री ने मलिक जी के आरोपों का जवाब क्यों नहीं दिया? क्या देश इन नफरतों से चलेगा?
जिन्होंने भी कांग्रेस का घोषणा पत्र देखा है उनका कहना है कि कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में कहीं नहीं कहा कि हम माताओं-बहनों के सोने का हिसाब लेंगे और फिर यह इसे वितरित करेंगे । कोई भी पार्टी ऐसा नहीं कह सकती। फिर प्रधानमंत्री मोदी इस तरह झूठ कैसे बोल सकते हैं? कांग्रेस ने यह वादा जरूर किया है कि गरीब महिलाओं को साल में एक लाख रुपये दिये जायेंगे। पीएम मोदी जानते हैं कि अगर ये बात गरीब महिलाओं तक पहुंची कि कांग्रेस उन्हें एक साल में एक लाख रुपये देगी तो उनका हिंदू वोट खत्म हो सकता है।
कांग्रेस के इस वादे पर तो मोदी जी को ये भी कहना चाहिए कि हम कांग्रेस से ज्यादा देंगे। महिलाओं को एक नहीं दो लाख देंगे। लेकिन यहां वे कुछ भी देने का वादा नहीं करते। दरअसल ये गरीब महिलाओं के मन में मुसलमानों को लेकर डर पैदा करते हैं। कि कांग्रेस उनका मंगल सूत्र लेकर मुसलमानों को दे देगी। कांग्रेस के घोषणापत्र में सबसे पहले तो इसमें मुस्लिम और हिंदू शब्द का जिक्र ही नहीं है। फिर मां-बहनों के मंगल सूत्र या सोने का हिसाब होगा,वह भी बिल्कुल नहीं।
आपको नोटबंदी के दिनों याद होगी कि माताओं-बहनों की मेहनत बर्बाद हो गई। पीएम मोदी ने महिलाओं द्वरा सालों से जमा किया हुआ पैसा पलभर में खो दिया था। मोदी जी को इसका कभी अफसोस नहीं हुआ। न ही उन्होंने महिलाओं से माफ़ी मांगी। जिस व्यक्ति के दिवालियेपन ने माताओं-बहनों की कमाई ख़त्म कर दी, परिवार की निजी पूंजी ख़त्म कर दी, वही व्यक्ति अब उन माताओं-बहनों को मुसलमानों के नाम पर डरा रहा है कि कांग्रेस उनका मंगल सूत्र लेकर मुसलमानों में बांट देगी।
साल 2016 में 10,000 महिलाएं, 50,000 पुरुष, लाखों महिलाएं और उससे भी ज्यादा लोग बर्बाद हो गए। महिलाओं की जमापूंजी नष्ट हो गयी। पीएम मोदी जी को साफ पता है कि गोदी मीडिया इस पर कोई बात नहीं करेगा। अखबार छापेंगे नहीं । इसलिए ये सच्चाई महिलाओं तक नहीं पहुंच पाएगी। अखबारों में इतना नहीं छपता कि कांग्रेस गरीब महिलाओं को एक लाख रुपये देने जा रही है। उल्टे यह डर फैलाया जाएगा कि कांग्रेस मंगल सूत्र छीनने वाली है। यह पूरी तरह झूठ है। चुनाव जीतने के लिए आप जनता के बीच झूठ फैलाते रहेंगे। आपकी गारंटी झूठी है, आपके वाक्य झूठे हैं, आपके वादे झूठे हैं। आप हिंदू और मुस्लिम के नाम पर झूठ फैला रहे हैं।
इस मुद्दे पर अभिषेक मनु सिंह, सलमान खुर्शीद और गुरदीप सपल ने चुनाव आयोग से मुलाकात की और कार्रवाई की मांग की। कांग्रेस अध्यक्ष मलिक अर्जुन खड़गे ने अपने भाषण में कहा, मैं प्रधानमंत्री मोदी से मिलने का समय मांगता हूं ताकि हम कांग्रेस के घोषणापत्र पर चर्चा कर सकें। 21 अप्रैल की रात को राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं ने ट्वीट करना शुरू कर दिया। राहुल गांधी ने ट्वीट किया कि पहले दौर में निराशा मिलने के बाद नरेंद्र मोदी का झूठ का स्तर इतना गिर गया है कि वह जनता को मुद्दों से गुमराह करना चाहते हैं। कांग्रेस के क्रांतिकारी घोषणापत्रों को अप्रतिम समर्थन का उत्साह मिलने लगा है।
देश अब अपने मुद्दों पर वोट करेगा। वह अपने रोजगार, अपने परिवार और अपने भविष्य के लिए वोट करेगी। भारत गुमराह नहीं होगा। प्रधानमंत्री मोदी को दिखाना चाहिए कि कांग्रेस के घोषणापत्रों में कहां लिखा है कि मुस्लिमों को हिंदू महिलाओं को मंगलसूत्र या सोना दिया जाएगा। क्या मोदी हिंदू महिलाओं को इतना समझते हैं कि कोई उनसे मंगलसूत्र मांगेगा और वे उसे दे देंगे? इसे ले लो और बांट दो। क्या सरकार चाहे तो उनसे मंगलसूत्र ले सकती है? दूसरे, क्या वह मुस्लिम महिलाओं को इतना भी महत्व देते हैं कि वे अपनी हिंदू बहनों की शादी के प्रतीक के रूप में मंगलसूत्र पहनेंगी? मुसलमानों में मंगलसूत्र पहनने का रिवाज नहीं है। लेकिन कई जगहों पर मुस्लिम महिलाओं के जीवन में सिन्दूर और मंगलसूत्र ने प्रवेश कर लिया है।
प्रधानमंत्री के झूठ बोलने की आदत ने पुरुषों को सांप्रदायिक बना दिया। देश मे युवा बेरोजगार हो गये है। इतना ही नही बीजेपी द्वारा अब महिलाओं को सांप्रदायिक बनाया जा रहा है। ये बहुत खतरनाक है। मोदी जी का मानना है कि अगर कांग्रेस का ये वादा हर साल एक गरीब महिला को प्रति वर्ष एक लाख रुपये मिलेंगे। मोदी जी अपनी ट्रोल टीम को आदेश दिया है कि यह झूठ फैलाओ कि कांग्रेस महिलाओं से मंगलसूत्र ले रही है ताकि महिलाएं डर जाएं और भाजपा में आ जाएं। और कांग्रेस को महिलाओ को एक लाख रुपए देने का वादा निभाना मुश्किल हो जाएगा।
प्रधानमंत्री ने कहा है कि कांग्रेस संपत्ति इकट्ठा करेगी और मुसलमानों में बांटेगी। तो क्या कांग्रेस ने ऐसा कुछ कहा है? बिल्कुल नहीं। कांग्रेस की घोषणा में हिंदू और मुस्लिम शब्द नहीं है। घोषणा के पेज 28 पर लिखा है कि कांग्रेस नीतियों में उचित बदलाव करेगी और धन तथा आय के मामले में बढ़ती असमानता का समाधान करेगी।
आपने देखा कि पीएम मोदी का झूठ कितना बड़ा और खतरनाक है। एक छोटे से बयान में उन्होंने इतना झूठ बोला कि उन्हें पकड़ने के लिए इतना लंबा वीडियो बन गया। फिर भी हम तमाम झूठों का पर्दाफाश नहीं कर पाए हैं। सोचिए पिछले 10 सालों में आपके घरों में कितने बड़े-बड़े झूठ फैलाए गए हैं। पीएम मोदी जानते हैं कि अखबारों में वही हेडलाइन छपेगी जो उन्होंने कहा है। वे पाठकों को कभी नहीं बताएंगे कि पीएम ने झूठ बोला है। आज कई अखबारों ने उनका बयान प्रकाशित किया है। कुछ अखबारों ने उनके बयान पर सवाल उठाया है। उन्होंने सिर्फ पहले पन्ने पर हेडलाइन लगाई है।लेकिन इसके बगल में कांग्रेस अध्यक्ष का बयान छपा है। खड्गे के बयान की हेडलाइन का पीएम के बयान से कोई लेना-देना नहीं है। लेकिन शाम को खड़गे ने पीएम के बयान पर अपनी टिप्पणी दी थी।
कांग्रेस ने अपने घोषणापत्रों में कहीं नहीं लिखा कि आपकी संपत्ति इकट्ठा करके मुसलमानों में बांट दी जाएगी। यह भी नहीं लिखा है कि इसे गरीबों में बांटा जायेगा। कांग्रेस ने सरकार की नीतियों में बदलाव की बात कही है। ताकि गरीबों का आर्थिक विकास हो। इसे पीएम से इतना छुपाया गया कि उन्होंने इसे हिंदू विरोध का रंग दे दिया है। राहुल गांधी अपनी हर सभा में ये बात कहते हैं। राहुल गांधी यह भी बता रहे हैं कि अमीर, और अमीर होते जा रहे हैं। भारत के गरीबों को, दलितों को, आदिवासियों को अब तक जो मिला है, वह संविधान से मिला है। अगर संविधान ख़त्म हो गया तो जो भी प्रगति हुई है, गरीबों के लिए जो भी किया गया है, वो सब बंद हो जाएगा।
मैं आपको 2-3 उदाहरण, 2-3 आंकड़े देना चाहता हूं। आज भारत में 22 ऐसे लोग हैं, जिनके पास उतना ही पैसा है, जितना 70 करोड़ भारतीयों के पास है। आप सोचिए, एक तरफ 22 लोग, दूसरी तरफ 70 करोड़ लोग। भारत में 70 करोड़ लोग ऐसे हैं जिनकी आय 100 रुपये से कम है। एक तरफ देश की सारी संपत्ति अंबानी, अडानी को दे दी जाती है। वहीं दूसरी तरफ देश की गरीब जनता, किसान, मजदूर, छोटे व्यापारी और नरेंद्र मोदी 10 साल से यही कर रहे हैं। इसमें बताया गया है कि कैसे मोदी राज में अमीर अमीर हो गए, आम आदमी मध्यम वर्ग और गरीब गरीब हो गए। क्या आप ऐसा देश देखना चाहते हैं, जिसकी 70% आबादी गरीब हो, उसके पास जितनी संपत्ति हो, कुल संपत्ति, उसे मिलाकर उस आबादी के पास 1% संपत्ति हो। क्या यह अच्छी चीज है? अगर कांग्रेस ने बदलाव की बात कही है, अपनी नीतियों को सही करने की बात कही है तो इसमें ग़लत क्या है? लेकिन कांग्रेस ने ये कहीं नहीं कहा कि वो मुसलमानों को मंगल सूत्र बांटेंगे।
कांग्रेस के न्याय पत्र में दावा किया गया है कि गरीबों का कल्याण, कांग्रेस सरकार की प्राथमिकता होगी। कांग्रेस की कोशिश होगी कि अगले 10 साल में गरीबी रेखा से नीचे रहने वाले 22 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाया जाएगा। शिक्षा, स्वास्थ्य, आवास, पानी, साफ-सफाई, बिजली और सबसे बढ़कर रोजगार, अवसर और सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी और उन्हें आर्थिक रूप से मजबूत और आत्मनिर्भर बनाया जाएगा, इसके लिए नीतियां बनाई गई हैं।
वहीं, प्रधानमंत्री ने अजमेर रैली में कहा कि कांग्रेस का घोषणापत्र, मुस्लिम लीग की विचारधारा से भरा है। क्या कांग्रेस ऐसा कर सकती है? कोई भी राजनीतिक दल ऐसा नहीं करेगा। किंतु मोदी जी द्वारा मुस्लिमों के नाम पर किस तरह हिंदू समुदाय से झूठ बोला जा रहा है।
अब यह चुनाव आयोग पर निर्भर करता है कि वह अपनी छवि कैसे पेश करता है, आज गिरिराज सिंह कह रहे हैं, जो गद्दार हैं, पाकिस्तानी हैं, उनके पास वोट मांगने मत जाइये। जो गद्दार हैं, जो पाकिस्तानी हैं, जो देशद्रोही हैं, जो भारत के खिलाफ झूठ फैला रहे हैं, चाहे कितनी बार भी चुनाव हारना पड़े, उनके पास वोट मांगने मत जाना। क्या चुनाव आयोग गिरिराज सिंह के खिलाफ किसी तरह की कार्रवाई करेगा। क्या चुनाव आयोग मुस्लिम समर्थकों को बताएगा कि पाकिस्तानी कौन हैं और गद्दार कौन हैं। सीपीआई नेता शत्रुध्न प्रसाद सिंह ने चुनाव आयोग से शिकायत की है। यदि कोई उन्होंने जय श्री राम के नारे लगाए या फिर हर-हर महादेव के नारे लगाए तो क्या यह आचार्य संहिता का स्पष्ट उल्लंघन नही है?
टोंक रैली में पीएम मोदी ने कहा, मैंने सत्य रखा कि कांग्रेस आपकी संपत्ति छीनकर उनके खास लोगों को बांटने की गहरी साजिश रचकर बैठी है। मैंने जब उनकी इस राजनीति का पर्दाफाश किया तो इससे उन्हें इतनी मिर्ची लगी कि वे हर तरफ मोदी को गाली देने में लगे हैं। मैं कांग्रेस से जानना चाहता हूं कि आखिर वे सच्चाई से इतना क्यों डरते हैं? पीएम ने कहा, कांग्रेस के घोषणा पत्र से उनके रियल एजेंडे बाहर आ गए हैं। प्रधानमंत्री ने सवाल किया कि वो नीति को क्यों छिपाना चाहते हैं। लेकिन पता नहीं कि कांग्रेस पीएम मोदी के इन बयानों के खिलाफ खुलकर विरोध क्यों नहीं कर पा रहा है।
मोदी जी ने कांग्रेस के मेनिफेस्टो में एक्स-रे करने की घोषणा की है। टोंक-सवाई माधोपुर में कांग्रस में ताबड़तोड़ हमला करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि। कांग्रेस वोट बैंक पॉलिटिक्स के दलदल में इतनी फंसी हुई है कि बाबा साहेब अंबेडकर द्वारा बनाए गए संविधान का भी ख्याल नहीं है। कांग्रेस के मेनिफेस्टो में एक्स-रे करने की घोषणा की है।’ किंतु सच ये है कि कांग्रेस ने अपने न्याय पत्र में जातियों के सर्वे की बात की है न की एक्स-रे करने की।
इतना ही नहीं राजस्थान के टोंक-सवाई माधोपुर लोकसभा क्षेत्र में मंगलवार को प्रधानमंत्री मोदी ने बीजेपी प्रत्याशी सुखबीर सिंह जौनपुरिया के समर्थन में जनसभा को संबोधित किया। इस दौरान उन्होंने कांग्रेस को आरक्षण के मुद्दे पर जमकर घेरा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरान कहा कि कांग्रेस ने 2004 में एससी/एसटी आरक्षण को कम करके आंध्र प्रदेश में मुसलमानों को आरक्षण देने की कोशिश की थी, इन्होंने ऐसा करते वक्त संविधान की परवाह तक नहीं की। इस दौरान पीएम मोदी का इशारा मुसलमानों की ओर था। पीएम मोदी ने कहा, ‘बाबा साहब अंबेडकर ने दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को जो आरक्षण का अधिकार दिया था, उसे कांग्रेस और इंडिया गठबंधन धर्म के आधार पर मुसलमानों को देना चाहते थे।’ पीएम मोदी ने कहा, ‘बाबा साहब अंबेडकर ने दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को जो आरक्षण का अधिकार दिया था, उसे कांग्रेस और भारतीय गठबंधन धर्म के आधार पर मुसलमानों को देना चाहते थे।’
खैर! अब ये समझना दूर की बात नहीं रही कि प्रधानमंत्री मोदी पद की गरिमा के प्रतिकूल बातें क्यों कर रहे हैं। सारा खेल जैसे-तैसे सत्ता हथियाने का है। आपने मई 2014 में शपथ ली। सौ से भी कम दिनों में भी आपने देश की 135 करोड़ की आबादी को लालकिले से संबोधित करते हुए कहा कि हमारी टीम इंडिया है। हम सभी को मिलजुल कर देश के विकास में योगदान देना है। वर्ष 2019 का चुनाव भी आपने ‘सबका साथ सबका विकास’ नारा देकर जीता। लेकिन दस सालों के आपके कार्यकाल में आपने सिर्फ चंद धन्नाराम सेठों की और खुद के दल की तिजोरियों को भरने के अलावा कुछ भी नहीं किया।
सबसे संगीन बात यह है कि हमारे देश के चुनाव आयोग को मोदी जी और बीजेपी दल के अन्य सदस्यों के भडकाऊ भाषण न सुनाई दे रहे हैं और न ही दिखाई दे रहे हैं क्योंकि जब आप अपनी मनमर्जी से चुनाव आयोग का गठन करते हैं, तब वह भी आपके दल की अन्य इकाइयों जैसे ईडी, सीबीआई, एनआरआई के जैसा ही व्यवहार करेंगे। सरकारी जाँच एजेंसियों का मनमाने ढंग इस्तेमाल करना तो अलग की बात है। मोदी जी जैसे एक देश, एक राजा और कोई चुनाव नहीं की भूमिका निभाने के संकेत दे रहे हैं।
मोदी जी आपके चुनावी सभाओं से लेकर लोकसभा में मिमिक्री करते हुए बोलने के ऑडियो रेकॉर्ड मौजूद हैं। आप दूसरे सदस्यों के संविधान से निष्कासित करने से लेकर उनके खिलाफ किस स्तर से बोलते हैं? अब तक के सभी प्रधानमंत्रियों और आपके भाषणों को देखकर व सुनकर लगता है, यह हमारे देश की किसी ग्रामपंचायत के मुखियाओं से भी, असभ्य और तिरस्करणीय है। मोदी जी भूल रहे हैं कि आप 145 करोड़ आबादी वाले देश के प्रधानमंत्री है। और तीसरी बार बनने की कोशिश में हैं। आप ही सोचिए आप खुद एक तरफ विश्व के मंच पर बोलते हुए भारत के लोकतंत्र को ‘विश्व के लोकतंत्र की माँ’ तक बोलते हैं। भारत में चुनाव से लेकर संसद सदन के भीतर बोलते हुए आप उसी लोकतंत्र की मां की इज्जत का चीर हरण करते हैं। क्या देश के प्रधानमंत्री जैसे महत्वपूर्ण पद पर बैठे हुए व्यक्ति को यह शोभा देता है? लेकिन मोदी जी को सत्ता के प्रति इतना मोह है कि उन्होंने मानवता और दानवाता तथा नैतिकता और अनैतिकता के अंतर को ही मिटा दिया है। सारांशत: ऐसा लगता है की 2024 के आम चुनाव जनता और सत्तारूढ़ दल के बीच हो रहा है। इसे जनमत संग्रह की संज्ञा भी दी जा सकती है।
वरिष्ठ कवि तेजपाल सिंह तेज एक बैंकर रहे हैं। वे साहित्यिक क्षेत्र में एक प्रमुख लेखक, कवि और ग़ज़लकार के रूप ख्यातिलब्ध है। उनके जीवन में ऐसी अनेक कहानियां हैं जिन्होंने उनको जीना सिखाया। इनमें बचपन में दूसरों के बाग में घुसकर अमरूद तोड़ना हो या मनीराम भैया से भाभी को लेकर किया हुआ मजाक हो, वह उनके जीवन के ख़ुशनुमा पल थे। एक दलित के रूप में उन्होंने छूआछूत और भेदभाव को भी महसूस किया और उसे अपने साहित्य में भी उकेरा है। वह अपनी प्रोफेशनल मान्यताओं और सामाजिक दायित्व के प्रति हमेशा सजग रहे हैं। इस लेख में उन्होंने उन्हीं दिनों को याद किया है कि किस तरह उन्होंने गाँव के शरारती बच्चे से अधिकारी तक की अपनी यात्रा की। अगस्त 2009 में भारतीय स्टेट बैंक से उपप्रबंधक पद से सेवा निवृत्त होकर आजकल स्वतंत्र लेखन में रत हैं