हमारी लड़ाई सत्य,अहिंसा और न्याय के लिए है-जागृति राही

हमारी लड़ाई सत्य,अहिंसा और न्याय के लिए है-जागृति राही

गांधी विरासत को बचाने के लिए वाराणसी स्थित राजघाट परिसर के सामने चल रहे ‘न्याय के दीप जलाएं-100 दिनी सत्याग्रह’ के 58 दिन पूरे हो चुके हैं। इस सत्याग्रह में अब तक  उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, झारखंड, बिहार, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, महाराष्ट्र,राजस्थान और मध्य प्रदेश की भागीदारी हो चुकी है। 1 से 5 नवंबर 2024 तक आंध्र प्रदेश के विभिन्न जिलों से आए सर्वोदय साथी सत्याग्रह में भाग लिये और अब से  6 से 10 नवंबर तक तेलंगाना की टीम सत्याग्रह में शामिल होगी।

तेलंगाना राज्य के भूपालापल्ली जिले के निवासी गोपाल राव का जन्म एक किसान परिवार में हुआ था। जब खेती को चारों तरफ हेय दृष्टि से देखा जाता है तो उस माहौल में भी खेती न केवल इनका पेशा है बल्कि शौक भी है। गोपाल राव विनोबा भावे के भूदान आंदोलन से प्राप्त जमीनों के वितरण में हो रही गड़बड़ियों के विरुद्ध प्रतिवाद का स्वर मुखर किया और समाधान भी किया। वे तेलंगाना सर्वोदय मंडल के कोषाध्यक्ष पद पर अपनी सेवा दे रहे हैं।आज फिर से जब विनोबा भावे की प्रेरणा से स्थापित परिसर की जमीन सरकार ने गलत तरीके से हड़प लिया है तो वे सत्याग्रह में शामिल होकर अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं।

त्रिपुरा के निवासी जैनुल हुसैन गांधी विचार परिषद, वर्धा से डिप्लोमा करने के तुरंत बाद कोकड़ाझार में चल रहे शांति प्रयासों में योगदान दिया। कोकड़ाझार में चंदन पाल की सरपरस्ती और राधा बहन की प्रेरणा से 2012 से शुरू शांति प्रयास काफी अच्छे तरीके से चल रहा था। वे इस प्रयास में 2014 में पूरी तरह शामिल हो गये। शांति के संदेश के साथ 2015 में असम से कश्मीर तक एक साइकिल यात्रा निकाली गई थी। असम के कोकराझार सहित अधिकांश जिलों में यह यात्रा गई और 11 राज्यों में संपर्क करते हुए लगभग 2900 किलोमीटर की दूरी तय किया। इस कार्यक्रम में भाग लेने से मेरे मन पर गांधी विचार का गहरा असर हुआ। यही वजह है कि )जिसने मुझे इस सत्याग्रह में शामिल होने के लिए प्रेरित किया। वे कहते हैं कि शांति और सौहार्द के इस केंद्र की  पुनर्स्थापना मानवता की जरूरत है। सरकार इसमें अब कोई बाधा डालकर खलनायक बनने की कोशिश न करें बल्कि अपनी गलती सुधारकर सहयोग करे।

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 भारत की महान संत परंपरा और स्वतंत्रता आंदोलन में विकसित हुए सेकुलर फेडरल और डेमोक्रेटिक रिपब्लिक की  विरासत को बचाने के लिए 11 सितंबर (विनोबा जयंती) से सर्व सेवा संघ के आह्वान पर “न्याय के दीप जलाए जलाए -100 दिवसीय सत्याग्रह जारी है जो 19 दिसंबर 2024 को संपन्न होगा।

गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता जागृति राही ने कहा कि 11 सितम्बर से लगातार सत्याग्रह चल रहा है। देश भर से सर्वोदय विचार से जुड़े और अन्य जनतांत्रिक लोग सत्याग्रह स्थल,राजघाट,वाराणसी आ रहे हैं । हमारी लड़ाई सत्य,अहिंसा और न्याय के लिए है जिसे सत्ता में बैठे लोग मिटाना चाहते हैं। देश में चारों तरफ नफरत, झूठ, हिंसा,भ्रष्टाचार फरेब, अन्याय का अंधकार छाया हुआ है। सरकार संरक्षित पूंजीवाद ने कट्टरपंथी सांप्रदायिक राजनीति से गठबंधन बना लिया है। ऐसे समय में गांधी विचार की नैतिक ताकत में मुक्तिदाता बनने का सामर्थ्य है और प्रकाश की किरण इसी दिशा से आएगी। प्रकृति का नाश करने वाला विकास- मॉडल को हम सही नहीं मानते। पर्यटन के नाम पर गंगा के अंदर घुसकर कंक्रीट के जाल बिछाए जा रहे हैं क्योंकि अब इसे धंधा बना दिया गया है। करोड़ों लोगों की गरीबी की कीमत पर चंद अमीरों को गारंटी दी जा रही है। भारत के मात्र 10 कॉर्पोरेट के पास लगभग 93 लाख एकड़ की संपत्ति है। इनका मुनाफा गत एक वर्ष में ही 40% बढ़ गया है। यह मुनाफा गरीबों से लूट का परिणाम है। जरूरत की चीजों की कीमतें आसमान छू रहीं हैं। बेरोज़गारी बढ़ गई है। युवा हताश है। हमारा यह अभियान जनता को विकल्प देने के लिए है।इसमें सभी को जुड़ना चाहिए।

आज के सत्याग्रह में उपवासकर्ता सी गोपाल राव और जैनुल हुसैन के अलावा सर्व सेवा संघ के मंत्री अरविंद कुशवाह, उत्तर प्रदेश सर्वोदय मंडल के अध्यक्ष राम धीरज ,वरिष्ठ गांधीवादी अलख भाई, लेखक एवं पत्रकार शक्ति कुमार, तारकेश्वर सिंह, सुरेंद्र नारायण सिंह, भदोही से विजन संस्था के वंशीधर,पूर्वांचल बहुजन मोर्चा के अनूप श्रमिक, गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता जागृति राही, मानस,तेलंगाना से भास्कर,गिरीप्रसाद, प्रवीण गोविंदम्मा,आजमा शमी रेड्डी,अनवर पाशा,श्रीधर रेड्डी,पुष्पमा अन्तम्मा, चंपारण से आलमगीर, रोहित पाठक ललित नारायण आदि शामिल हुए।   

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