प्रयागराज: यूपी पीसीएस और आरओ/एआरओ परीक्षा एक ही दिन कराने की मांग को लेकर सड़क पर उतरे छात्र, पुलिस से हुई झड़प
पीसीएस प्रारंभिक परीक्षा और आरओ/एआरओ की प्रारंभिक परीक्षा को एक दिन कराने और नॉर्मलाइजेशन (मानकीकरण) की प्रक्रिया को निरस्त करने की मांग को लेकर प्रतियोगी छात्र आज से उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (यूपीपीएससी) के सामने पहुंचकर अपना विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रतियोगी छात्र आयोग तक न पहुंच सके इसके लिए जिला प्रशासन ने बैरिकेटिंग की भी व्यवस्था की थी जिसे छात्रों ने तोड़ दिया । छात्र आयोग के मुख्य गेट की ओर बढ़ने लगे तो पुलिस के साथ उनकी झड़प भी हुई।
पीसीएस और आरओ/एआरओ की परीक्षा दो दिन कराने का छात्र विरोध कर रहे हैं। उनका तर्क है कि नॉर्मलाइजेशन से छात्रों का नुकसान होता है और भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है।
प्रयागराज के छोटा बघाड़ा में रहकर पीसीएस की पिछले कुछ वर्षों से तैयारी कर रहे जौनपुर जिले के मूल निवासी अंगेश गौतम कहते हैं, सरकार को इस तरह की मनमानी नहीं करनी चाहिए। जब फार्म आया था तो नोटिफिकेशन में दो दिन में परीक्षा कराने जैसी कोई बात नहीं थी। फिर यह तो री इग्जाम है, इसमें नए तरीके से परीक्षा कराने का कोई सवाल ही नहीं उठता। जबकि इसके पहले 18 फरवरी को जो परीक्षा हुई थी, वह एक ही पाली में आयोजित हुई थी, लेकिन उस समय पेपर लीक हो गया। बाद में छात्रों के भारी विरोध को देखते हुए सरकार ने पेपर लीक की बात मानी और परीक्षा रद्द हुई। अब जब आयोग ने परीक्षा की तिथि घोषित की है तो उसमें दो दिन और दो पालियों में परीक्षा कराना तय हुआ है। दो दिन और दो पालियों में जब भी परीक्षा होगी तो नॉर्मलाइजेशन से छात्रों का 15-20 अंकों का नुकसान होता है। यही नहीं नार्मलाइजेशन से भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता है और परीक्षा की सुचिता पर प्रश्नचिन्ह खड़ा होता है। इसलिए हमारी मांग है कि परीक्षा एक ही दिन में करायी जाय।
छोटा बघाड़ा में ही रहकर आरओ/एआरओ की तैयारी कर रहे संदीप, सरकार से प्रश्न पूछने वाले अंदाज में कहते हैं, आखिर सरकार को एक ही दिन में परीक्षा कराने में क्या दिक्कत है? क्या सरकार के पास इतनी कुबत नहीं है कि वह एक दिन में परीक्षा करा सके? दो दिन में अगर सरकार परीक्षा करायेगी तो नॉर्मलाइजेशन के कारण छात्रों का नुकसान होगा। कुछ छात्रों को इससे फायदा मिल जाता है। इसलिए सरकार को चाहिए कि किसी भी छात्र के साथ अन्याय न हो।
छोटा बघाड़ा के ही एक अन्य छात्र संदीप चौहान कहते हैं, दो पालियों में परीक्षा कराना ठीक भी और ठीक नहीं भी है। जिस पाली में पेपर सरल आ जाता है उस पाली के छात्रों को फायदा मिल जाता है जिस पाली में कठिन पेपर आ जाता है उन छात्रों का बहुत ज्यादा नुकसान हो जाता है। इसलिए अच्छा यही होगा कि परीक्षा एक ही दिन में करायी जाय।
ज्ञात हो कि एक तरफ अभ्यर्थियों ने आज से आंदोलन की शुरूआत कर दी है। आयोग के सामने सुबह भारी संख्या में अभ्यर्थी पहुंचे। जिला प्रशासन की ओर से छात्रों को रोकने के लिए बैरिकेटिंग की गई थी जिसे छात्रों ने तोड़ते हुए छात्र आयोग के मुख्य द्वार तक पहुंच गए और अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी करने लगे। छात्रों की माने तो उनकी मांगे जब तक नहीं मनी जाती हैं उनका आंदोलन चलता रहेगा।
छात्रों के विरोध के बावजूद आयोग ने जिन 44 जिलों में परीक्षा करायी जानी है उन जिलों के अधिकारियों की बैठक 21 नवंबर को बुलाई है। आयोग की ओर से एक पत्र जारी कर उन जिलों के जिलाधिकारियों से इस बात का अनुरोध भी किया गया है कि अपरिहार्य कारणों से स्वयं बैठक में प्रतिभाग करना संभव न हो तो वीडियो कॉन्फ्रेसिंग के माध्यम से बैठक से जुड़े और अपनी जगह किसी अपर जिलाधिकारी को नामित कर अनिवार्य रूप से प्रतिभाग करने के लिए निर्देशित करें।
डॉ राहुल यादव न्याय तक के सह संपादक हैं। पिछले 20 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं । दलित, पिछड़े और वंचित समाज की आवाज को मुख्यधारा में शामिल कराने के लिए, पत्रकारिता के माध्यम से सतत सक्रिय रहे हैं।