एनसीईआरटी की पुस्तकों से प्रस्तावना हटाना भाजपा का संविधान विरोधी चेहरा उजागर करता है- शाहनवाज़ आलम
लखनऊ। एनसीईआरटी द्वारा प्रकाशित कुछ पुस्तकों में संविधान की प्रस्तावना हटा दिए जाने को अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने भाजपा और आरएसएस के संविधान विरोधी मानसिकता का उदाहरण बताया है. उन्होंने राजस्थान की भाजपा सरकार द्वारा स्कूलों में अंग्रेज़ों से माफी मांगने वाले विनायक दामोदर सावरकर की जयन्ती मनाने की घोषणा को स्वतंत्रता सेनानीयों का अपमान बताते हुए इसे बच्चों को डरपोक और कायर बनाने का षड्यंत्र कहा है.
कांग्रेस मुख्यालय से जारी बयान में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि संविधान की प्रस्तावना भारतीय समाज को धर्मनिरपेक्षता, समाजवाद, बंधुत्व और समानता के विचार के प्रति जागरूक करता है. जबकि आरएसएस इन मूल्यों से डरता है. इसीलिए जब भी भाजपा की सरकार केंद्र में आती है पुस्तकों से प्रस्तावना हटाने की कोशिश करती है क्योंकि उसे लगता है कि बच्चे संविधान की प्रस्तावना पढ़ लेंगे तो उनमें धर्मनिरपेक्षता, बंधुत्व और समता के विचार आ जाएंगे जिससे वो आरएसएस विरोधी हो जाएंगे. उन्होंने प्रस्तावना हटाने वाले अधिकारियों के खिलाफ़ कार्यवाई करने और प्रस्तावना को पुनः प्रकाशित करने की मांग की है.
शाहनवाज़ आलम ने राजस्थान के स्कूलों में अंग्रेजों से माफी मांग कर छूटने वाले सावरकर की जयन्ती मनाने को स्वतंत्रता सेनानियों का अपमान बताया है. उन्होंने कहा कि इससे बच्चों पर नकारात्मक असर पड़ेगा और वो ताक़तवर के दमन का विरोध करने के बजाए उसके आगे झुकने और माफी मांगने के लिए प्रेरित होंगे. इससे बच्चे डरपोक और कायर बन जाएंगे. उन्होंने कहा कि आरएसएस को लगता है कि बच्चे डरपोक और कायर होंगे तो उसका संगठन और मजबूत होगा.
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