आरएसएस भारतीय संस्कृति की विरोधी है- शाहनवाज़ आलम

आरएसएस भारतीय संस्कृति की विरोधी है- शाहनवाज़ आलम

लखनऊ। मनमोहन सिंह जी की मृत्यु के बाद मध्यवर्ग के एक बड़े हिस्से में आत्मग्लानि का भाव स्पष्ट देखा जा सकता है। इस वर्ग को लग रहा है कि उसने भाजपा और आरएसएस के दुष्प्रचार में फंस कर उस व्यक्ति और पार्टी से दूरी बना ली थी जिसकी नीतियों ने आधुनिक मध्यवर्ग को जन्म दिया था। भारत में अपनी गलतियों को स्वीकार कर प्रायश्चित्त करने की परंपरा रही है। इसे मनमोहन सिंह जी की मृत्यु के बाद महसूस किया जा सकता है। उनकी अंत्येष्टि में उन्हें उचित सम्मान न देकर मोदी सरकार ने भाजपा और आरएसएस के भारतीय संस्कृति के विरोधी होने का प्रमाण दिया है।

ये बातें कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 175 वीं कड़ी में कहीं।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि दुनिया के एक ध्रुवीय होने के बाद के भारत की कहानी मनमोहन सिंह की कल्पना और इच्छाशक्ति की कहानी है। जिन्होंने मानवीय चेहरे के साथ आर्थिक विकास को तरजीह दी तो वहीं नागरिक चेतना को मजबूत बनाने के लिए लोगों को अधिकारों से लैस किया। सूचना का अधिकार, खाद्य सुरक्षा क़ानून, मनरेगा, वन अधिकार क़ानूनों सेआम नागरिकों को सशक्त करके भारतीय संविधान की प्रस्तावना में उल्लिखित आदर्शों को ज़मीन पर उतारने का काम किया। जो आरएसएस जैसे मनुवादी एजेंडे वाले संगठनों को रास नहीं आया और आम लोगों के सशक्तिकरण को रोकने के लिए उन्होंने मनमोहन सिंह और कांग्रेस के खिलाफ़ दुष्प्रचार शुरू कर दिया। जिसमें बड़े कॉर्पोरेट घराने, विवेकानंद फाउंडेशन जैसे संघी साज़िश केंद्र और उनके द्वारा पोषित एनजीओ भी शामिल थे।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि यह आश्चर्य की बात नहीं है कि लोग दिवंगत मनमोहन सिंह जी की शालीनता और दूरदर्शीता को याद करते हुए मोदी जी के झूठ और मूर्खतापूर्ण नीतियों पर चर्चा कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि मल्लीकार्जुन खर्गे, राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी के नेतृत्व में देश की जनता संविधान की रक्षा कर फिर से मनमोहन सिंह जी की प्रगतिशील नीतियों को आगे बढ़ायेगा।

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