एससी के फैसले के बाद भाजपा को संविधान से छेड़छाड़ की साज़िश बन्द कर देनी चाहिए- शाहनवाज़ आलम

एससी के फैसले के बाद भाजपा को संविधान से छेड़छाड़  की साज़िश बन्द कर देनी चाहिए- शाहनवाज़ आलम

लखनऊ। कांग्रेस के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा भाजपा नेताओं की संविधान की प्रस्तावना में से सेकुलर और समाजवादी शब्द हटाने की मांग वाली याचिकाओं के ख़ारिज कर दिए जाने का स्वागत किया है। उन्होंने इस फैसले को पूर्व मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ द्वारा न्यायपालिका की आरएसएस के आगे रेंगने वाली बना दी गयी छवि से बाहर निकलने के लिए भी अहम बताया है।

शाहनवाज़ आलम ने कांग्रेस मुख्यालय से जारी बयान में कहा कि सुप्रीम कोर्ट अपने पूर्व के ऐतिहासिक फैसलों केशवानंद भारती और एसआर बोम्मई केस में पहले ही कह चुका है कि संविधान की प्रस्तावना में कोई बदलाव नहीं हो सकता। इसलिए भाजपा नेताओं की इस याचिका को सुनवाई योग्य स्वीकार कर लिया जाना ही प्रथम दृष्टिया गलत था। जो तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश ने आरएसएस और भाजपा के प्रभाव में किया था।

शाहनवाज़ आलम ने आगे कहा कि भाजपा और आरएसएस को सुप्रीम कोर्ट के फैसले को स्वीकार कर के संविधान से सेकुलर और समाजवादी शब्द हटाने की कुंठित साजिशों को अब बन्द कर देना चाहिये। शाहनवाज़ आलम ने कहा कि 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार बनने के बाद जारी सरकारी विज्ञापनों में से प्रस्तावना से सेकुलर और समाजवादी शब्द गायब कर दिया गया था। जिसपर सवाल उठने के बाद सरकार ने इसे अधिकारीयों का भूल बता दिया था। लेकिन उसके बाद प्रधानमंत्री के आर्थिक सलाहकार परिषद के अध्यक्ष बिबेक देबरॉय ने अपने पद के नाम के साथ अखबार में लेख लिखा था कि प्रस्तावना से सेकुलर और समाजवादी शब्द हटा देना चाहिए। इसके अलावा नये संसद भवन में भी सभी सांसदों को जो संविधान की प्रति दी गयी उसमें से भी ये दोनों शब्द गायब थे। जिसपर कांग्रेस ने सवाल उठाया था।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इससे पहले भी भाजपा के दो सांसदों राकेश सिन्हा और के जे अल्फोंस ने राज्य सभा में प्राइवेट मेंबर बिल लाकर संविधान की प्रस्तावना से इन दोनों शब्दों को हटाने की मांग की थी। जिसे संविधान विरोधी क़दम उठाते हुए तत्कालीन उपसभापति हरि वंश ने स्वीकार कर लिया था। इस फैसले के बाद हरिवंश को भी देश से माफी मांगनी चाहिए।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले के बाद सुप्रीम कोर्ट के जज पंकज मित्तल को स्वतः इस्तीफ़ा दे देना चाहिए या सीजेआई को उन्हें हटा देना चाहिए क्योंकि जम्मू कश्मीर के मुख्य न्यायाधीश रहते उन्होंने सार्वजनिक तौर पर कहा था कि भारत के संविधान में सेकुलर शब्द होना भारत के लिए कलंक है। उन्होंने कहा कि यूपी अल्पसंख्यक कांग्रेस ने उनके इस बयान के बाद उन्हें पद से हटाने के लिए पूरे उत्तर प्रदेश से तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश को ज्ञापन भेजा था। लेकिन भाजपा और आरएसएस के प्रभाव में उन्हें हटाने के बजाए प्रमोशन देकर सुप्रीम कोर्ट का जज बना दिया गया। अब सवाल है कि सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले के बाद पंकज मित्तल किस आधार पर सुप्रीम कोर्ट के जज बने रह सकते हैं।

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