इंदिरा गाँधी ने 42 वां संविधान संशोधन करके देश को मजबूत किया- शाहनवाज़ आलम

लखनऊ। आरएसएस और भाजपा शुरू से ही संविधान विरोधी रहे हैं। अटल बिहारी बाजपेयी सरकार में भी संविधान को बदलने की कोशिश की गयी थी। मोदी सरकार में तो रोज़ ही संविधान के मूल्यों की हत्या हो रही है। इसलिए आरएसएस और भाजपा के मुंह से संविधान की बातें हास्यास्पद लगती हैं। ये बातें अल्पसंख्यक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष शाहनवाज़ आलम ने साप्ताहिक स्पीक अप कार्यक्रम की 153 वीं कड़ी में कहीं।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि इंदिरा गाँधी ने संविधान को मजबूत करने के लिए 26 वां संविधान संशोधन करके राजाओं का प्रीवी पर्स खत्म करके देश के पैसों की बर्बादी पर रोक लगा दी। इस पैसे को इंदिरा गाँधी सरकार ने दलितों और कमज़ोर तबकों के आर्थिक विकास पर खर्च किया। इसी तरह इंदिरा गाँधी जी ने संविधान में 42 वां संशोधन करके संविधान की प्रस्तावना में सेकुलर और समाजवादी शब्द जोड़कर देश की एकता और अखंडता को मजबूत किया था।
शाहनवाज़ आलम ने कहा कि आरएसएस के सभी सरसंघ चालकों ने संविधान को बदलने और उसकी जगह मनुस्मृति लागू करने की बात करते रहे हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय में मनुस्मृति पढ़ाने का प्रयास इसी साज़िश का हिस्सा था जिसपर विरोध के बाद सरकार को पीछे हटना पड़ा।
उन्होंने कहा कि इमर्जेंसी के समय आरएसएस और जनसंघ के नेता इंदिरा गाँधी से माफी मांग कर छूटे थे इसलिए भाजपा को इस मुद्दे पर बोलने का नैतिक अधिकार ही नहीं है।

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