शेखर यादव पर एक महीने बाद भी सुप्रीम कोर्ट का कोई कार्यवाई न करना दुर्भाग्यपूर्ण- शाहनवाज़ आलम

शेखर यादव पर एक महीने बाद भी सुप्रीम कोर्ट का कोई कार्यवाई न करना दुर्भाग्यपूर्ण- शाहनवाज़ आलम

लखनऊ। अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय सचिव शाहनवाज़ आलम ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के सांप्रदायिक टिप्पणी करने वाले जज शेखर यादव पर एक महीना बीत जाने के बाद भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोई ठोस कार्यवाई न किए जाने को दुर्भाग्यपूर्ण बताया है। उन्होंने कहा कि इससे यह संदेश गया है कि न्यायपालिका में मौजूद सांप्रदायिक तत्व इतने मजबूत हैं कि सुप्रीम कोर्ट चाह कर भी उनके खिलाफ़ कोई सार्थक कार्यवाई नहीं कर पा रहा है।

लखनऊ स्थित प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय से जारी बयान में शाहनवाज़ आलम ने कहा कि क़रीब एक महीने पहले सुप्रीम कोर्ट ने शेखर यादव के विश्व हिंदू परिषद के कार्यक्रम में मुस्लिम विरोधी और मौजूदा सरकार के सांप्रदायिक एजेंडे के पक्ष में किए गए विवादित टिप्पणीयों पर स्वतः संज्ञान लेकर तार्किक कार्यवाई करने का माहौल बनाया था और शेखर यादव को कॉलेजियम के तीन सदस्यों के सामने पेश भी होना पड़ा था। लेकिन उनपर क्या कार्यवाई हुई यह देश के सामने अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। उन्होंने कहा कि यह कोई ऐसा मामला नहीं था जिसपर कार्यवाई को विभाग का अंदुरुनी मामला बताकर गोपनीय रखा जाए। उन्होंने कहा कि इससे यह संदेश भी गया है कि मौजूदा मुख्य न्यायाधीश उस चक्रव्यूह से न्यायपालिका को बाहर नहीं निकाल पा रहे हैं जिसे उनसे पहले के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ ने संघ और भाजपा के साथ मिलकर रचा था।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि शेखर यादव पर कोई कार्यवाई न होना मणिपुर के तत्कालीन कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एमवी मुरलीधरण पर सुप्रीम कोर्ट के तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश डीवाई चन्द्रचूड़ की 17 मई 2024 को मैतेयी समुदाय को अनुसूचित जनजाति वर्ग में शामिल करने के संविधान विरोधी निर्देश पर सार्वजनिक नाराज़गी ज़ाहिर करते हुए सख़्त कार्यवाई करने की बात कहने के बावजूद कोई कार्यवाई न करने की याद दिलाता है। तब ऐसा चंद्रचूड़ ने आरएसएस और भाजपा के दबाव में किया था क्योंकि आरएसएस और भाजपा मणिपुर को आंतरिक हिंसा की आग में झोंकना चाहते थे। उन्होंने कहा कि शेखर यादव पर भी सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोई ठोस कार्यवाई न किया जाना सांप्रदायिक जजों के मनोबल को बढ़ायेगा जो आरएसएस और भाजपा के विभाजनकारी एजेंडे के अनुकूल है।

शाहनवाज़ आलम ने कहा कि शेखर यादव पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा कोई कार्यवाई न करने की एक वजह यह भी हो सकती है कि उनपर कार्यवाई करने के बाद सुप्रीम कोर्ट के ही जज पंकज मित्तल के भी खिलाफ़ कार्यवाई की मांग उठ सकती है जिन्होंने जम्मू कश्मीर का मुख्य न्यायाधीश रहते हुए देश के संविधान की प्रस्तावना में सेकुलर शब्द की मौजूदगी को देश के लिए कलंक बताया था।

Spread the love

Related articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *