पीतल नगरी में अनुप्रिया पटेल की राह रोकने की जेम्मेदारी ले रहे हैं नरेश उत्तम पटेल
मिर्जापुर। लोकसभा चुनाव में समाजवादी इस बार पूरी ताकत लगाती दिख रही है। सबसे पहले उम्मीदवारों की पहली सूची जारी करके सपा ने यह जरूर जता दिया है कि इस बार वह भाजपा की राह आसान नहीं होने देगी। इससे पहले के चुनावों में सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव जहां गठबंधन के प्रति अतिरिक्त उदारता दिखाते नजर आते थे वहीं इस बार वह मझें हुये नेता की तरह सामने आ रहे हैं। इस बार वह एक-एक सीट पर पूरी तरह से तौल कर उम्मीदवार उतारते नजर आ रहे हैं। सपा के 16 प्रत्याशियों की पहली सूची जारी करने के बाद वह दूसरी सीटों को लेकर भी गंभीर नजर आ रहे हैं।
मंगलवार को 16 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशियों के नाम का ऐलान करने के बाद पार्टी कार्यालय द्वारा वाराणसी लोकसभा सीट का प्रभारी पूर्व मंत्री सुरेंद्र सिंह पटेल को बनाया गया। इसके अलावा मिर्जापुर लोकसभा सीट की जिम्मेदारी नरेश उत्तम पटेल को सौंपी गई है। सपा के प्रदेश अध्यक्ष नरेश उत्तम पटेल को मिर्जापुर का प्रभारी घोषित कर स्पष्ट संकेत दे दिया है कि इस बार लड़ाई आर या पार के मुताबिक होने जा रही है।
नरेश उत्तम पटेल को मिर्जापुर का प्रभारी बनाने से यह संकेत मिल रहा है कि भाजपा गठबंधन में शामिल अपना दल सांसद अनुप्रिया पटेल को उनके घर में घेरा जा सके। यह भी कयास लगाया जा रहा है कि पार्टी जरूरत होने पर नरेश उत्तम पटेल को अनुप्रिया पटेल के खिलाफ चुनावी मैदान में भी उतार सकती
मिर्जापुर सीट से अपना दल (सोनेलाल) की राष्ट्रीय अध्यक्ष अनुप्रिया पटेल सांसद हैं और केंद्र सरकार में मंत्री हैं। मिर्ज़ापुर सीट कुर्मी बहुल सीट हैं। यहां बड़ी संख्या में कुर्मी मतदाता हैं। अनुप्रिया पटेल भी कुर्मी समाज से हैं ऐसे में अखिलेश यादव ने भी कुर्मी समाज से आने वाले नरेश उत्तम पटेल को मिर्जापुर की कमान देकर यह बता दिया है कि इस बार वह मुलायम सिंह वाले पैंतरे चुनाव में आजमा सकते हैं।
मिर्जापुर सीट पर पहली बार 1957 में लोकसभा चुनाव हुआ था। उसके बाद यहां से पांच बार कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार चुनाव जीतने में सफल हुये तो चार बार इस सीट पर समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार अपना परचम फहराने में सफल रहे थे। फूलन देवी को भी मुलायम सिंह यादव ने इसी सीट से चुनाव लड़वाया था और वह मिर्जापुर से चुनाव जीतकर संसद में पहुंची थी। फूलन देवी ने 1996 और 1999 में समाजवादी पार्टी के सांसद के रूप में मिर्जापुर का प्रतिनिधित्व किया था।
पीतल और कालीन उद्योग में अंतर्राष्ट्रीय पहचान रखने वाले मिर्जापुर के लोग अनुप्रिया पटेल से नाराज भी नजर आ रहे हैं। लोगों का कहना है कि यहाँ से सांसद बनकर अनुप्रिया पटेल मौजूदा सरकार में उद्योग मंत्री हैं इसके बावजूद उन्होंने यहाँ के लघु उद्योग की अनदेखी की।
लोगों का कहना है कि कभी देश की शान समझा जाने वाला मिर्जापुर का व्यवसाय आज मर रहा है। पीतल के व्यवसाय में लगे कारोबारी और मजदूर इस व्यवसाय को लेकर निराश दिख रहे हैं। कालीन और दरी कारोबार भी लगभग अंतिम साँसे ही ले रहा है। मिर्जापुरी दरी और कालीन कभी देश को डॉलर देने वाले व्यवसाय थे पर अब इन व्यवसायों में लगे लोग दूसरे कामों के लिए पलायन कर रहे हैं।
मिर्जापुर में अनुप्रिया पटेल को इस आक्रोश का सामना भी करना पड़ेगा। लोग तो यहाँ तक कह रहे हैं कि जनता की नाराजगी की बात अनुप्रिया पटेल भी जानती हैं और बहुत हद तक संभव है कि इस बार वह मिर्जापुर को छोडकर अपने लिए दूसरा ठिकाना खोज लें। अनुप्रिया पटेल को साल 2019 में 5,91,564 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहे सपा के रामचरित्र निषाद को 3,59,556 वोट मिले थे।
फिलहाल मिर्जापुर से अगर नरेश उत्तम पटेल स्माजवादी पार्टी के उम्मीदवार बनते हैं तो एनडीए गठबंधन के लिए इस सीट को बचाए रखना कठिन हो जाएगा।