‘लैटरल एंट्री’ के सरकारी मंसूबे को वरदाश्त करने के मूड में नहीं दिख रहा है विपक्ष, अखिलेश यादव ने दी आंदोलन की चेतावनी
नौकरशाही में ‘लैटरल एंट्री’ को लेकर राजनीतिक विवाद बढ़ता जा रहा है। इस बार विपक्ष के नेता लैटरल एंट्री के सरकारी मंसूबे को वरदाश्त करने के मूड में नहीं दिख रहे हैं। संसद में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी के नेता अखिलेश यादव ने तो आंदोलन की चेतावनी दे दी है।
यूपीएससी द्वारा केंद्र सरकार की नौकरशाही में लैटरल एंट्री के जरिए नियुक्तियों का विज्ञापन निकाला गया है। इसे लेकर विपक्ष मोदी सरकार पर गंभीर सवाल उठाया रहा है और इसे संविधान विरोधी बता रहा है।
कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने सोशल मीडिया पर कहा है कि, ‘संविधान को तार-तार करती भाजपा ने किया आरक्षण पर डबल वार ! पहला, आज मोदी सरकार ने केंद्र में Joint Secretary, Directors and Deputy Secretary के कम से कम 45 पद Lateral Entry द्वारा भरने का विज्ञापन निकाला है। क्या इसमें SC,ST, OBC एवं EWS आरक्षण है? सोची समझी साज़िश के तहत भाजपा जानबूझकर नौकरियों में ऐसे भर्ती कर रही है, ताकि आरक्षण से SC, ST, OBC वर्गों को दूर रखा जा सके। दूसरा, यूपी में 69,000 सहायक शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण घोटाले का अब हाई कोर्ट के फ़ैसले से पर्दाफ़ाश हो चुका है।’
उन्होंने आगे कहा है कि, ‘श्री राहुल गाँधी ने मार्च 2024 में दलित और पिछड़े वर्ग में आरक्षण घोटाले में प्रधानमंत्री जी को पत्र लिखकर वंचित अभ्यर्थियों की आवाज़ उठाई थी। योगी सरकार ने अभ्यर्थियों से नाइंसाफ़ी करते हुए ये पद भरे थे, जिसमें दलित और पिछड़े वर्ग का आरक्षण का संवैधानिक हक़ उनसे छीना गया। अब हमें पता चला की भाजपा की सहयोगी दल की केंद्रीय मंत्री ने नौकरियों में आरक्षण पर हो रहे धाँधली पर सरकार का ध्यान क्यों आकृष्ट कराया था। भारत के संविधान में निहित आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय के प्रावधानों को पूर्णतः लागू करना आवश्यक है। कांग्रेस पार्टी इसीलिए सामाजिक न्याय के लिए जातिगत जनगणना की माँग कर रही है।
इस मुद्दे पर समाजवादी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी के पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने आंदोलन की चेतावनी देते हुए सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक बयान में लिखा, “बीजेपी अपनी विचारधारा के संगी-साथियों को पिछले दरवाजे से यूपीएससी के उच्च सरकारी पदों पर बैठाने की जो साजिश कर रही है, उसके खिलाफ एक देशव्यापी आंदोलन खड़ा करने का समय आ गया है।”
उन्होंने कहा, “ये तरीका आज के अधिकारियों के साथ, युवाओं के लिए भी वर्तमान और भविष्य में उच्च पदों पर जाने का रास्ता बंद कर देगा। आम लोग बाबू व चपरासी तक ही सीमित हो जाएंगे। दरअसल से सारी चाल पीडीए से आरक्षण और उनके अधिकार छीनने की है। अब जब भाजपा ये जान गयी है कि संविधान को ख़त्म करने की भाजपाई चाल के खिलाफ देश भर का पीडीए जाग उठा है तो वो ऐसे पदों पर सीधी भर्ती करके आरक्षण को दूसरे बहाने से नकारना चाहती है।”
सपा अध्यक्ष ने कहा, “बीजेपी सरकार इसे तत्काल वापस ले, क्योंकि ये देशहित में भी नहीं है। बीजेपी अपनी दलीय विचारधारा के अधिकारियों को सरकार में रखकर मनमाना काम करवाना चाहती है। सरकारी कृपा से अधिकारी बने ऐसे लोग कभी भी निष्पक्ष नहीं हो सकते। ऐसे लोगों की सत्यनिष्ठा पर भी हमेशा प्रश्नचिन्ह लगा रहेगा।”
अखिलेश यादव ने इसे एक षडयन्त्र बताते हुए कहा है कि, “देशभर के अधिकारियों और युवाओं से आग्रह है कि यदि बीजेपी सरकार इसे वापस न ले तो आगामी 2 अक्टूबर से एक नया आंदोलन शुरू करने में हमारे साथ कंधे-से-कंधा मिलाकर खड़े हों। सरकारी तंत्र पर कारपोरेट के क़ब्ज़े को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे क्योंकि कारपोरेट की अमीरोंवाली पूंजीवादी सोच ज़्यादा-से-ज़्यादा लाभ कमाने की होती है। ऐसी सोच दूसरे के शोषण पर निर्भर करती है, जबकि हमारी ‘समाजवादी सोच’ ग़रीब, किसान, मजदूर, नौकरीपेशा, अपना छोटा-मोटा काम-कारोबार-दुकान करनेवाली आम जनता के पोषण और कल्याण की है। ये देश के विरूद्ध एक बड़ा षड्यंत्र है।”
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू यादव ने भी इस मुद्दे पर केंद्र की मोदी सरकार को निशाने पर लिया है। उन्होंने एक्स पोस्ट किया, “बाबा साहेब के संविधान एवं आरक्षण की धज्जियां उड़ाते हुए नरेंद्र मोदी और उसके सहयोगी दलों की सलाह से सिविल सेवा कर्मियों की जगह अब संघ लोक सेवा आयोग ने निजी क्षेत्र से संयुक्त सचिव, उप-सचिव और निदेशक स्तर पर नियुक्ति के लिए सीधी भर्ती का विज्ञापन निकाला है।”इसमें कोई सरकारी कर्मचारी आवेदन नहीं कर सकता। इसमें संविधान प्रदत कोई आरक्षण नहीं है।
लालू यादव ने कहा कि,कारपोरेट में काम कर रहे बीजेपी की निजी सेना यानि खाकी पेंट वालों को सीधे भारत सरकार के महत्त्वपूर्ण मंत्रालयों में उच्च पदों पर बैठाने का यह “नागपुरिया मॉडल” है। संघी मॉडल के तहत इस नियुक्ति प्रक्रिया में दलितों, पिछड़ों और आदिवासियों को आरक्षण का कोई लाभ नहीं मिलेगा। वंचितों के अधिकारों पर NDA के लोग डाका डाल रहे है।”
बिहार के नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने भी इस भर्ती का कडा बिरोध जताया है। बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने इन भर्तियों को लेकर विरोध किया है. उन्होंने अपने एक ट्वीट में भर्ती के विज्ञापन को ट्वीट करते हुए लिखा, “केंद्र की मोदी सरकार बाबा साहेब के लिखे संविधान और आरक्षण के साथ कैसा घिनौना मजाक एवं खिलवाड़ कर रही है, यह विज्ञापन उसकी एक छोटी सी बानगी है. यूपीएससी ने लैटरल एंट्री के जरिए सीधे 45 संयुक्त सचिव, उप-सचिव और निदेशक स्तर की नौकरियां निकाली हैं, लेकिन इनमें आरक्षण का प्रावधान नहीं है।
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