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महापुरुषों का संघर्ष गरीबों, पिछड़ों और वंचितों की हिस्सेदारी का संघर्ष था-प्रेम प्रकाश

महापुरुषों का संघर्ष गरीबों, पिछड़ों और वंचितों की हिस्सेदारी का संघर्ष था-प्रेम प्रकाश

वाराणसी। संघर्ष की कहानियां याद की जाएंगी, संघर्ष के चेहरे याद किए जाएंगे। याद किए जाएंगे वो लोग जिन्होंने खुद को समर्पित कर दिया अपने उस समाज के लिए जो आजाद भारत में भी सम्मान और समानता से कोसों दूर वंचना की परिधि पर खड़ा था। कुछ ऐसे ही चेहरों को याद किया गया 11 अक्टूबर को बीएचयू परिसर में।

यह आयोजन समाजवादी पार्टी के संस्थापक, पूर्व मुख्यमंत्री उत्तर प्रदेश और पूर्व रक्षा मंत्री भारत, पद्म विभूषण मुलायम सिंह यादव की पुण्यतिथि पर काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के छात्र – छात्राओं द्वारा सेंट्रल लाइब्रेरी के लॉन में किया गया था। मुलायम सिंह यादव के साथ ही फातिमा शेख, मान्यवर कांशीराम को भी याद किया जिनकी पुण्यतिथि 9 अक्टूबर को थी।

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चंदौली के पूर्व सांसद राम किशुन यादव

चंदौली के पूर्व सांसद राम किशुन यादव ने नेताजी के साथ अपने अनुभवों को साझा किया। उन्होंने नेता जी के जमीन से जुड़ाव और संघर्ष की तमाम स्मृतियों को छात्रों के सामने रखा और कहा की  नौजवानों को नेता जी के व्यक्तित्तव से प्रेरणा लेने की जरूरत है।

एक्टिविस्ट अधिवक्ता प्रेम प्रकाश यादव ने समकालीन परिस्थियों में नेताजी, मान्यवर कांशीराम और फातिमा शेख के संघर्षों को याद किया साथ ही साथ उन्होंने न्यायिक संस्थानों में बहुजनों की हिस्सेदारी की बात भी कही। उन्होंने कहा की महापुरुषों का संघर्ष गरीबों, पिछड़ों और वंचितों की हिस्सेदारी का संघर्ष था हमें उस संघर्ष को आगे बढ़ाने की आवश्यकता है। यही महापुरुषों के प्रति हमारी श्रद्धांजलि होगी।

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सहायक प्रोफेसर डॉ प्रियंका सोनकर

कार्यक्रम में हिंदी विभाग से सहायक प्रोफेसर डॉ प्रियंका सोनकर ने फातिमा शेख के महिला शिक्षा के लेकर किए गए कार्यों पर प्रकाश डाला और बताया की किन कठिन परिस्थितियों में उन्होंने महिला समाज यानी आधी आवादी के लिए शिक्षा का द्वार खोलने का काम किया था।  

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सहायक प्रोफेसर डॉ विंध्याचल यादव एवं अन्य वक्ता

सहायक प्रोफेसर डॉ विंध्याचल यादव ने मान्यवर कांशीराम और मुलायम सिंह यादव द्वारा किए गए कार्यों की चर्चा की और साथ ही साथ मुलायम सिंह के सामाजिक न्याय के विजन पर भी विस्तार से प्रकाश डाला और इस आयोजन में मुलायम सिंह के साथ कांशी राम और फातिमा शेख को याद किए जाने को मुलायम सिंह की सोच का भवितव्य बताया। इसके अलावा सुमित, शुभम समेत अन्य छात्रों ने भी गोष्ठी में अपने विचार व्यक्त किए एवम अपना श्रद्धासुमन अर्पित किया । कार्यक्रम में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राएं मौजूद रहें।

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