वाराणसी : प्रधानपति की दबंगई, अधिवक्ता से मांगी एक लाख की रंगदारी

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र के चौबेपुर थाने के छीतमपुर गांव के अधिवक्ता अजीत सिंह यादव गांव के प्रधान पति मनोज सिंह के दबंगई से बहुत परेशान हैं। उनका आरोप है कि उन्होंने जब अपने घर के बगल में शौचालय का निर्माण कार्य करवाना शुरू किया तो बदले में ग्राम प्रधान ने उनसे एक लाख रूपए की मांग की। जब उन्होंने रूपए देने से मना कर दिया तो 50 वर्षों से चल रहे अधिवक्ता अजीत के पुराने जमींन को खेती करने से रोक दिया। इस जमींन पर पिछले पचास वर्षों से अजीत के परिवार के लोग खेती कर रहे हैं और यह मामला हाईकोर्ट में यथास्थिति बनाए रखने के साथ चल रहा है।

इस बारे में अजीत सिंह यादव कहते हैं गाँव के प्रधान पति मनोज सिंह जब मेरे घर का शौचालय बन रहा था तो उन्होंने रोकवा दिया। बोले एक लाख रुपया दो तो बनाने दूंगा। यही नहीं जिस जमीन पर हम पिछले पचास वर्षों से खेती कर रहे हैं, फसल उगा रहे हैं, उस जमीन पर खेती करने से मनोज सिंह ने रोकवा दिया। हालांकि उस जमीन का मामला हाईकोर्ट में चल रहा है और हमारे पक्ष में स्टे मिला हुआ है। उसके बावजूद मनोज सिंह हमें अब उस जमीन पर खेती नहीं करने दे रहा हैं। यही नहीं वह मुझे फर्जी वकील कहकर बदनाम भी करता है। मेरी सारी डिग्री को फर्जी बताता है।
अजीत को खेती करने से रोके जाने की बाबत जब मनोज सिंह से बात की गई तो उन्होंने कहा अजीत एक फर्जी वकील है। उनके पास कोई डिग्री नहीं है। जिस जमीन पर वे खेती करने की बात कर रहे हैं उस जमीन पर पिछले कुछ वर्षों से खेती नहीं हो रही है। यह ग्राम समाज की जमीन है। ऐसे में उन्हें ग्राम समाज की जमीन पर कैसे खेती करने दिया जाय।
दूसरी तरफ अजीत सिंह यादव का कहना है कि अभी उस जमीन पर हमने धान की फसल पैदा की थी। अब हम उस जमीन पर गेहूं की फसल पैदा करने के लिए जोतने जा रहे हैं तो हमें मनोज द्वारा रोका जा रहा है।
आखिर मनोज आपका विरोध क्यूँ विरोध कर रहे हैं ? सवाल के जवाब में अजीत सिंह बताते हैं ग्राम प्रधान पति गाँव की सड़क बनवा रहे थे उसमें जो ईंट लगाई जा रही थी वह बहुत घटिया किस्म की थी। मैंने जब इस चीज का विरोध किया तो वे मेरे पीछे पड़ गए।
अजीत और मनोज की यह लड़ाई कहां तक जाएगी इसका अंदाजा लगाना तो मुश्किल है। हाईकोर्ट के यथास्थिति बनाए रखने के आदेश के बावजूद मनोज सिंह किस हैसियत से अजीत को खेती करने से रोक से रोक रहे हैं, यह समझ से परे है। यही नहीं मनोज सिंह ने अजीत यादव की कानून की डिग्री को फर्जी कहकर बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश और बार काउंसिल वाराणसी की साख पर ही प्रश्न चिन्ह खड़ा कर दिया। जहां पर रजिस्ट्रेशन के बाद से ही अजीत प्रैक्टिस कर रहे हैं। यह देखना रोचक होगा कि बार काउंसिल ऑफ उत्तर प्रदेश मनोज सिंह की इस हिमाकत पर चुप बैठता है या उनके खिलाफ कोई कानूनी कार्रवाई करता है।

डॉ राहुल यादव न्याय तक के सह संपादक हैं। पिछले 20 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय हैं । दलित, पिछड़े और वंचित समाज की आवाज को मुख्यधारा में शामिल कराने के लिए, पत्रकारिता के माध्यम से सतत सक्रिय रहे हैं।