साझी विरासत का सूत्रधार बनता दिखा पांचवा मुनीर बख्श आलम स्मृति सम्मान समारोह 

साझी विरासत का सूत्रधार बनता दिखा पांचवा मुनीर बख्श आलम स्मृति सम्मान समारोह 

सोनभद्र के मरहूम शायर मुनीर बख्श आलम का पाँचवा स्मृति दिवस काव्यत्मक सृजन के नए आयाम रचता हुआ सम्पन्न हुआ। जिस समय में देश और राज्य की राजनीति विभाजन की हुंकार भर रहे हों उस समय में यह आयोजन हिन्दुस्तानी विरासत की साझी तहजीब का मुहाबरा नहीं बल्कि महाकाव्य बनता दिखता है।

सोनभद्र ही नहीं अपितु आस-पास के तमाम जनपदों के कवियों और अन्य रचनाधार्मियों के साथ मिलकर सोनभद्र के ख्यातिलब्ध कथाकार रामनाथ शिवेंद्र ने जिस तरह से इस आयोजन की अविरलता और व्यापकता कि बरकरार रखा है निःसंदेह वह बड़े साहस का काम है। यह पूरा आयोजन विगत वर्षों की तरह इस बार भी अपने सूफी और समाजवादी मिजाज के सरोकार सँजोता हुआ दिखा।

कार्यक्रम मे स्वागत भाषण करते हुए रामनाथ शिवेंद्र  ने जोर देकर कहा कि यह मुनीर बख्श आलम स्मृति सम्मान स्थानीयता तथा सृजन शीलता को समर्पित है।  आलम साहब मंच संचालन के साथ-साथ आजीवन सृजनशील बने रहे और वे भी मानते थे कि किसी भी व्यक्ति को चाहे वह जिस विधा में हो उसे सृजन शील बने रहना चाहिए।

इस वर्ष का मुनीर बख्श आलं स्मृति सम्मान प्रद्युम्न कुमार त्रिपाठी को उनकी रचनात्मक निरंतरता एवं सृजनशीलता के लिए प्रदान किया गया। इस सम्मान के तहत उन्हें अंग वस्त्र व 11000 रुपए नगद प्रदान किए गए। दिलीप सिंह दीपक का 2100 रुपया तथा अंग वस्त्र के साथ प्रतिभा सम्मान से सम्मानित किए गया। इस अवसर पर कई साहित्यिक कृतियों का विमोचन भी किया गया।

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कार्यक्रम के सम्मान सत्र के अध्यक्ष वरिष्ठ साहित्यकार अजय शेखर, मुख्य अतिथि अनिल मिश्रा, विशिष्ट अतिथि ओम धीरज रहे। कार्यक्रम में पत्रकार नागेंद्र वारिद, बेखबर बागवान गजल संग्रह के रचनाकार शिवनारायण शिव,कीनाराम महाविद्यालय के प्रबंधक गोपाल सिंह तथा नगर पालिका अध्यक्ष श्रीमती रूबी प्रसाद आदि सम्मानित जनों का भी अभिनंदन किया।

दूसरे सत्र में आयोजित कवि गोष्ठी में वरिष्ठ कवि जगदीश पंथी, दिवाकर द्विवेदी मेघ, ईश्वर बिरागी, प्रभात सिंह चंदेल, दयानंद दयालु, अशोक त्रिपाठी, धर्मेश चौहान,कौशल्या चौहान, अनुपम वाणी, राकेश शरण मिश्रा, जयराम सोनी, विकास वर्मा,  अलकाकेसरी, दीपक कुमार केसरवानी तथा रेणुकूट से आए धनंजय सिंह रकीम आदि रचनाकरो ने काव्यपाठ के माध्यम से मुनीर बख्श आलम की काव्य परंपरा को आगे बढ़ाने का बहुत ही सारगर्भित प्रयास किया। कार्यक्रम का संचालन भोलानाथ मिश्र ने तथा मुनीर आलम बख्श आलम के छोटे पुत्र डॉक्टर कमरुद्दीन द्वारा आभार ज्ञापित किया गया।

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