राजातालाब में ज़िम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से फल फूल रहा अवैध कबाड़ कारोबार।

राजातालाब में ज़िम्मेदार अधिकारियों की मिलीभगत से फल फूल रहा अवैध कबाड़ कारोबार।

वाराणसी। कमिश्नरेट वाराणसी गोमती जोन के राजातालाब और मिर्जामुराद थाना क्षेत्र के कचनार, मेहदीगंज और भिखारीपुर गांव और इसके आसपास के एक दर्जन से ज्यादा रिहायसी गाँवों में चल रही अवैध कबाड़ की फैक्ट्रियों और गोदामो से त्रस्त इस इलाके की जनता ने सीएम योगी को डिजिटली शिकायत कर समस्या के समाधान के लिए गुहार लगाई। क्षेत्रीय लोगो ने सीएम पोर्टल पर अपनी सममस्याओ के संदर्भ में एक पत्रक दिया।

मेहदीगंज निवासी हरीश जायसवाल ने बताया कि लंबे समय से यहाँ के उक्त दोनों थाना क्षेत्र का ये इलाका कबाड़ माफियाओ की अराजकता और रिहायसी इलाक़े में चल रहे इस काले कारोबार की वजह से पीड़ित है। लोग तहसील या स्थानीय पुलिस से शिकायत भी करते तो कभी कोई कार्यवाही इन माफियाओ के खिलाफ नही होती, इसी से आजिज आकर लोगो को सीएम के पोर्टल तक जाना पड़ा। पत्रक में जिन समस्याओं का जिक्र किया गया उनमें ये की उक्त गाँवों सहित आसपास की लगभग पचास हज़ार की आबादी इस कबाड़ के काले कारोबार से त्रस्त है और चूंकि ये सब रिहायसी इलाके है तो यहां इस प्रकार के क्रिया कलाप होने भी नही चाहिए। नियमतः ऐसे कारोबार जिसकी वजह से प्रदूषण और गंदगी के साथ भयानक बीमारियों का खतरा हो साथ ही इनकी वजह से रिहायसी इलाको में आग लगने का बड़ा खतरा हो इन्हें केवल औद्योगिक इलाको में संचालित किया जाना चाहिए।

कचनार गांव निवासी विनय जायसवाल ने ये भी कहा कि इन गोदामो और इनमे आने वाले भारी वाहनों की वजह से क्षेत्र में यातायात की बड़ी समस्या है जिस पर भी ध्यान आकृष्ट कराया गया है। हाईवे के दोनों तरफ सर्विस लेन इन कबाड़ियों के वाहनों के कब्जे में रहती है जिसकी वजह से आए दिन जाम और दुर्घटनाए होती रहती है। कमोबेश यही हाल अंदर की सड़को का भी है। राजातालाब पुलिस चौकी से मिर्जामुराद वांया भिखारीपुर राजमार्ग 19 पर भी कबाड़ के वाहनों की वजह से आमजन का चलना फिरना दूभर हो गया है। कबाड़ गोदामो की वजह से क्षेत्र में तमाम धर्मकांटे भी हो गए है जिनके पास अपनी खुद की पार्किंग न होने से यहाँ आने वाले वाहन भी रोड पर ही आगे पीछे करते है। यहाँ लगातार दुर्घटनाएँ होने और जाम लगने से आवागमन बाधित होने से प्रशासन को भी जाम खुलवाने में भीषण ठंड में पसीना छूट जाता है ताकि रिहायसी इलाके में भारी वाहन न जा सके लेकिन कबाड़ माफियाओ के आगे सब बौने साबित हुए और प्रशासन द्वारा त्वरित कार्रवाई के बाद फिर से कबाड़ माफियाओं और वाहनों की अराजकता चालू हो जाती हैं। प्रदूषण नियंत्रण विभाग के अधिकारी और विद्युत विभाग के कर्मचारी भी कबाड़ माफियाओ के जेब मे है तभी तो पराली जलाने पर किसानों को जेल भेजने वाला प्रदूषण नियंत्रण प्लास्टिक जलाने और थ्रेश करने पर भी इन कबाड़ियों पर मेहरबान है। यही हाल बिजली विभाग का भी है, आम आदमी को जहाँ घरेलू बिजली के कनेक्शन के लिए दुनिया के कागजात और घर मे वायरिंग वगैरह दिखाना पड़ता है, वही कबाड़ फैक्ट्रियों में 20-20 हॉर्स पॉवर की थ्रेसिंग मशीनें किराए के खाली प्लॉट में बिना किसी कागजात और मानकों के चल रही है।

घरेलू लाइनों से ही गोदामो और फैक्ट्रियों को बिजली दे दी गयी है। जबकि हर फैक्ट्री का अपना अलग ट्रांसफार्मर होना चाहिए। अब देखना होगा की आखिर सीएम योगी के अधिकारी यहाँ के हज़ारों पीड़ित जनता की फरियाद पर ध्यान देते है या एक बार फिर कबाड़ माफियाओ का रसूख और इनकी सेटिंग जनता के आंसुओं पर भारी पड़ जाएगी। शिकायतकर्ताओं ने चेतावनी दी है कि शीघ्रातिशीघ्र समस्या का निराकरण नहीं किया गया तो वह मजबूरन अन्य फोरम सक्षम न्यायालय, एनजीटी, लोकायुक्त का दरवाज़ा खटखटाएँगे।

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