प्रधानमंत्री ने सेक्युलर सिविल कोड और वन नेशन, वन इलेक्शन की बात फिर दोहराई, विपक्ष ने बोला हमला
स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से अपने संबोधन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता (एससीसी) की जोरदार पैरवी की और भारत को ‘विकसित राष्ट्र’ बनाने का संकल्प और ‘एक राष्ट्र, एक चुनाव’ का सपना साकार करने का आह्वान किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि, ”जब हम 40 करोड़ थे, तब हमने सफलतापूर्वक आज़ादी का सपना देखा। आज तो हम 140 करोड़ हैं। एक साथ मिलकर हम किसी भी बाधा को पार कर सकते हैं।”उन्होंने कहा, “आज़ादी के दीवानों ने हमें स्वतंत्रता की सांस लेने का सौभाग्य दिया है। ये देश उनका ऋणी है। ऐसे हर महापुरुष के प्रति हम अपना श्रद्धाभाव व्यक्त करते हैं।””एक समय पर आतंकवादी आकर देश में हमले करते थे लेकिन अब सेना सर्जिकल स्ट्राइक करती है और देश के युवा का सीना इससे गर्व से भर जाता है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने अपने भाषण में एनडीए सरकार की कई उपलब्धियां गिनाईं और कहा कि भारत को 2047 तक विकसित देश बनाना ही उनकी सरकार का संकल्प है। उन्होंने सेक्युलर सिविल कोड और वन नेशन, वन इलेक्शन को समय की ज़रूरत बताया। पीएम ने भाषण में बांग्लादेश के हिंदुओं की सुरक्षा का भी मुद्दा उठाया।
विपक्षी दलों के नेताओं ने बृहस्पतिवार को स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के भाषण को लेकर आरोप लगाया कि वह लोगों को एकजुट करने, प्रेरित करने और राष्ट्र के महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने में विफल रहे।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने आरोप लगाया कि प्रधानमंत्री मोदी ने यह कह कर संविधान निर्माता बाबासाहेब भीमराव आंबेडकर का घोर अपमान किया है कि आजादी के बाद से अब तक देश में ‘‘सांप्रदायिक नागरिक संहिता’’ है।
रमेश ने दावा किया कि आंबेडकर, हिंदू पर्सनल लॉ में जिन सुधारों के बड़े पैरोकार थे, उनका राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और भारतीय जनसंघ ने पुरजोर विरोध किया था।
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (सीपीआई) के महासचिव डी राजा ने कहा कि भारत के 78वें स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से प्रधानमंत्री के भाषण में लोगों को एकजुट करने और प्रेरित करने की कोई बात शामिल नहीं थी।
राजा ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा, ‘‘प्रिय प्रधानमंत्री मोदी जी, बेशर्मी तो जन-विरोधी लोगों की विशेषता होती है। दयालु राजनेताओं की नहीं। यह आपको एक चालाक सेल्समैन बना सकता है, एक दयालु नेता नहीं।
राष्ट्रीय जनता दल के नेता मनोज झा ने कहा कि, ‘‘सबसे महत्वपूर्ण और चिंताजनक बात यह है कि 11वीं बार भी नरेंद्र मोदी यह समझने में विफल रहे हैं कि वह देश के प्रधानमंत्री हैं। विपक्ष या जिन लोगों ने आपको वोट नहीं दिया, उनके लिए कोई अलग प्रधानमंत्री नहीं है।आज उन्होंने धर्मनिरपेक्ष नागरिक संहिता के बारे में बात की। धर्मनिरपेक्षता एक प्रक्रिया है, इसे आत्मसात करना होगा। हर बार जब हम उम्मीद करते हैं कि प्रधानमंत्री संकीर्ण मानसिकता छोड़ देंगे और व्यापक सोच रखेंगे, तो वह निराश करते हैं।’’
कांग्रेस के नेता और प्रवक्ता पवन खेड़ा ने अपनी प्रतिक्रिया दी है। पवन खेड़ा ने एक्स पर एक पोस्ट के माध्यम से कहा, “यह साहेब कितने ही साल इस पद पर रहें, इनका कद बढ़ ही नहीं सकता। ना इनके वैचारिक पूर्वजों को स्वतंत्रता दिवस से कोई मतलब था, ना इनके मन में आज के दिन की पवित्रता की समझ है।”
पवन खेड़ा ने बीजेपी और पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल को निशाने पर लेते हुए कहा, “हाँ, संसद में हुआ हमला दुखदाई था; हाँ, कंधार विमान अपहरण ने देश को दहला दिया था, लेकिन स्वर्गीय वाजपेयी जी के ख़िलाफ़ बोलने का यह भी कोई मौक़ा है?” पवन खेड़ा ने लिखा कि वाजपेयी जी ने कम से कम पठानकोट हमले के बाद आईएसआई को निरीक्षण के लिए तो नहीं बुलाया था; आईएसआई को क्लीन चिट तो नहीं दी थी।
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