आने वाले समय में बनारस के बुनकर भुखमरी के कगार पर आ जाएंगे
वसीम अहमद
वाराणसी और आसपास के शहरों में बनारसी साड़ी बीनने वाले कलाकार बुनकरों की हालात पर एक नजर
आईए आपको बताते हैं बनारस के बुनकरों के हालात एक दशक पहले के क्या हालात थें आज़ क्या हालात हैं बुनकर मजदूरों की बनारस वैसे तो बनारस एक मशहूर शहर है यहां पर हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई सब धर्म के लोग मिल-जुलकर रहते हैं और हर काम को मिल बांटकर काम करते हैं अपना शहर बनारस जो हर शहर से बेहतर माना जाता रहा है आईए जानते हैं बनारसीं साडी़ बीनने वाले बुनकरों के बारे में आज़ से लगभग कुछ साल पहले बनारसी साड़ी की अच्छी खासी डिमांड हुआ करती थी पर आज़ बुनकर कारीगरों के आगे एक बड़ी चुनौती आ गया है बनारस में हर वर्ग को रहते हैं बनारस एक कपड़े यानी बनारसी साड़ी के नाम से जाना जाता हैं पर आज इस समय जो बुनकर लोगों के आगे समस्या है उस पर गंभीरता से विचार करने कि जरूरत है।
आज़ बनारस से बड़ी संख्या में लोग अपना घर बार छोड़ कर परिवार संग किसी दूसरे राज्यों में जाकर काम करने को मजबूर है वजह बनारस में काम करने के बाद सही समय पर उनको मेहनत करने के बाद भी उनको मेहनत के हिसाब पैसा नहीं मिल पा रहा है तो सोचिए कैसे अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा और अच्छी तरह जीवन यापन कैसे दें पाएगा
आज़ बनारस में जो हालात हैं बनारस के बुनकर भाईयों का शायद इससे पहले कभी नहीं थी आज़ बनारस या पुरे भारत में इतनी ख़राब स्थिति पहले कभी नहीं थी बनारसीं साडी़ बीनने वाले लोगों को कभी यह नहीं मालूम होता था कि मंदी हैं मंदी क्या होता है बनारसीं साडी़ बीनने वाले बुनकर मजदूरो को नहीं मालूम होता था लेकिन इस समय जो हालात हैं बनारस या और जिलों कि जहां-जहां साड़ियों का या कपड़ों का कारोबार है वहां हर व्यक्ति और हर व्यापारी परेशान हाल है आखिर क्यों नहीं रुक रहा है बनारस से पलायन करने वाले बुनकरों का सिलसिला?
आखिर कब तक हम लोग ऐसे ही दर बदर के ठोकरें खाते रहेंगे? सरकार द्वारा कोई ठोस कदम क्यों नहीं उठाए जा रहे हैं जिससे आम आदमी को कोई राहत मिले। सरकार तरह तरह के कानून लागू कर रही है जिससे बड़े व्यापारी से लेकर एक छोटे से मजदूरी करने वाले बुनकरों के लिए बड़ी समस्या का कारण बन गया है
जैसे जीएसटी एसीबी लागू करना ऐसे तमाम छोटे-बड़े कानून लाकर खड़ा कर दिया गया है जिससे बनारसी साड़ी बीनने वाले बुनकर लोगों के आगे काफी दिक्कते आ रही है कोई भी गद्दीदार काम करवाने को तैयार नहीं हैं
जितनी जरूरत है उतना ही काम करवाते हैं अगर मार्केट में तेजी नहीं आईं तो आने वाले समय में बनारस में रह रहें लोग भूखमरी के कगार पर आ जाएंगे अगर काम नहीं रहेगा तो वह अपने परिवार को खिलाएंगे क्या और अपने बच्चों को पढ़ाएंगे क्या आज़ शिक्षा पढ़ाई महंगा दवा महंगा है लोगों के पास काम नहीं है आज़ बनारसी साड़ी का काम ठप हैं आज़ बनारस में लगभग 70% काम बंद पड़े हैं अपने हाथों से बनारसी साड़ी को तैयार करने वाले कलाकार बुनकरों के पास काम नहीं है अपने अपने घरों में काम करने वाले लोग आज ठेलों पर सब्जी बेच रहे हैं गारा मिट्टी के काम कर रहे हैं तों कोई होटलों में काम कर रहे हैं